नई दिल्ली
चुनावी सीजन से पहले अकसर नेताओं का दलबदल भी होता ही है। अब लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा ने इसके लिए एक कमेटी ही बना दी है। यह कमेटी दूसरे दलों से आने वाले नेताओं की स्क्रीनिंग करेगी और उसके बाद ही उन्हें पार्टी में एंट्री दी जाएगी। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि यह कमेटी उन नेताओं के इतिहास और करियर का आकलन करेगी बताएगी कि इन्हें एंट्री दी जानी चाहिए या फिर नहीं। इस कमेटी की मंजूरी के बिना दूसरे दल से आने वाले किसी भी नेता को मौका नहीं मिलेगा। इसकी पहली मीटिंग 6 जनवरी को होने वाली है।
इस समिति को बनाने की वजह यह बताई जा रही है कि पार्टी ऐसे नेताओं को ही एंट्री देना चाहती है, जो लंबे समय तक वफादार रहें। इसके अलावा जल्दबाजी में नेताओं को शामिल करने से भी परहेज किया जाएगा और पहले उनके सियासी इतिहास को खंगाला जाएगा। दरअसल नेताओं की एंट्री को लेकर भाजपा सावधानी चाहती है क्योंकि उन पर पूर्व में लगे भ्रष्टाचार समेत अन्य आरोपों का उसे सामना न करना पड़े। यही नहीं वह 'आया राम गया राम' की सोच वाले नेताओं से भी बचना चाहती है, जो अकसर चुनाव से पहले पालाबदल लेते हैं।
भाजपा को बंगाल में ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था। टीएमसी से आए मुकुल रॉय और बाबुल सुप्रियो को पार्टी ने काफी महत्व दिया था। लेकिन ये लोग ज्यादा दिन तक टिके नहीं। इन लोगों ने चुनाव से पहले भाजपा जॉइन की थी और उसके बाद वापस टीएमसी में चले गए। यही नहीं कई दागी नेताओं की एंट्री को लेकर भी पार्टी को सवालों का सामना करना पड़ता है। इन सभी से बचने के लिए उसने यह स्क्रीनिंग कमेटी ही बना दी है।