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नाली भ्रष्टाचार मामले में चल रहा मैनेजमेंट का खेल…? कलेक्टर के आदेश के बाद भी CMO ने दर्ज नहीं कराई FIR… जिम्मेदारी और जवाबदेही से क्यों भाग रहे CMO…?

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मुंगेली/जिले के एकमात्र नगर पालिका क्षेत्र के शिवाजी वार्ड(जो वर्तमान में अभी परमहंस वार्ड) में बिना नाली निर्माण कराए 13 लाख रुपयों का आहरण करने का मामला उजागर होने के बाद नगर पालिका पार्षद एवँ जनप्रतिनिधियों के द्वारा जिले के कलेक्टर से उक्त मामले की शिकायत करते हुए जांच कर कार्यवाही की मांग की गई थी जिसके बाद जिले के कलेक्टर अजीत वसन्त के द्वारा इस मामले में जांच कराए जाने को लेकर SDM नवीन भगत के नेतृत्व में एक टीम गठित की साथ ही कलेक्टर ने जल्द जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने निर्देश दिए थे जिसके फलस्वरूप SDM एवं टीम में शामिल अधिकारियों के द्वारा कागजों में किये गए नाली निर्माण मामले के जाँच करने मौके पर पहुंचे और टीम द्वारा वार्डवासियों से इस मामले को लेकर जानकारी लिए जिसमे प्रथमदृष्टया मामले में किये गए शिकायत सही पाया गया साथ ही जांच ये बात भी स्पष्ट हो गया कि कागजों में नाली निर्माण कराए जाने के बाद ठेकेदार को 13 लाख का जो भुगतान किया गया था वो नगर पालिका अध्यक्ष संतुलाल सोनकर एवँ तत्कालीन CMO विकास पाटले के संयुक्त हस्ताक्षर से जारी हुआ था,जिसके तहत SDM ने जांच रिपोर्ट तैयार कर जिले के कलेक्टर को सौंप दिया, वही जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद कलेक्टर ने मामले में दोषी नगर पालिका अध्यक्ष संतुलाल सोनकर,तत्कालीन CMO विकास पाटले,इंजीनियर जेओस तिग्गा,तत्कालीन राजस्व निरीक्षक सियाराम साहू,लेखपाल आनंद निषाद एवँ सौफ़िया कंट्रक्शन के ठेकेदार को नोटिस जारी कर 7 दिवस के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का समय दिया गया था लेकिन मामले से सम्बंधित लोगों ने जो जवाब कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया वह संतोषजनक नही होने पर जिले के कलेक्टर के द्वारा इस मामले में त्वरित कार्यवाही करते हुए 20 जुलाई 2021 को नगर पालिका CMO के नाम आदेश जारी करते हुए नाली निर्माण में फर्जीवाड़ा एवं भ्रष्टाचार करने वाले सभी दोषियों के खिलाफ FIR करवाने के स्पष्ट निर्देश दिए थे बावजूद इसके आज दिनांक तक इस मामले में CMO द्वारा FIR दर्ज नहीं कराया गया हैं, उस आदेश को जारी हुए 5 दिवस बीत रहे हैं लेकिन नगर पालिका के CMO के द्वारा आजतलक तक थाने में किसी प्रकार की कोई शिकायत नही की गई है,जिसको लेकर आम नागरिकों में तरह तरह के चर्चाओं का बाजार गरम है,आमलोगों का कहना है कि नाली निर्माण में किये गए फर्जीवाड़ा में जिन लोगों का नाम शामिल हैं उनमें कुछ हाईप्रोफाइल लोग भी शामिल हैं यही वजह है कि इस मामले में कार्यवाही को लेकर अधिकारियों द्वारा उदासीन रवैया अपनाया जा रहा है जबकि ये मामला शासकीय राशि का फर्जी तरीके से आहरण कर उसका दुरुपयोग करने का है बावजूद इसके इस मामले के दोषियों को जानबूझकर रियायत बरती जा रही है वही आम नागरिकों का ये भी कहना है कि अगर इस मामले में किसी आम आदमी का नाम शामिल होता तो उसके खिलाफ कार्यवाही करने को लेकर अधिकारी तुरन्त सक्रिय हो जाते और वो व्यक्ति अभीतक सलाखों के पीछे होता, लेकिन बड़े लोगों का नाम अगर किसी मामले में आ जाये तो उनके खिलाफ कार्यवाही करने में बड़े बड़े अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगते हैं जो इस मामले में साफ तौर पर देखा जा सकता है, अब देखना होगा के इस मामले में दोषियों के खिलाफ कबतक कार्यवाही हो पाती है या फिर नियमों का हवाला देकर उक्त मामले में कार्यवाही करने या फिर दोषियों को रियायत देते हुए और कुछ दिनों तक इस मामले को टालते रहेंगे ये तो आने वाले समय मे ही पता चल पाएगा। मुंगेलीवासियों का कहना हैं कि जब स्वयं कलेक्टर द्वारा CMO को आपराधिक मामला दर्ज करने निर्देशित किया गया हैं उसके बाद भी 5 दिनों तक किस प्रक्रिया के तहत देर किया जा रहा ? क्या इस मामलें के आरोपियों को कानूनी राहत देने की कोई प्लानिंग तो नहीं की जा रहीं..? या और कोई कानूनी प्रक्रिया बच गई हैं ? मुंगेलीवासियों ने आगे कहा कि क्या CMO अपनी जिम्मेदारियों और जवाबदेही से बचने का प्रयास कर रहे हैं, या कोई मैनेजमेंट का बड़ा खेल चल रहा…? वहीं कई पत्रकारों और नेताओं की शिकायत हैं कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी मनीष वारे फोन नहीं उठाते और इस मामलें में प्रतिक्रिया देने से लगातार बच रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त और शहर में हो रही चर्चा से मिली जानकारी के मुताबिक नाली भ्रष्टाचार मामले में जिन-जिन आरोपियों का नाम आ रहा हैं उन्हें बचाने सत्तापक्ष और विपक्ष के 7 नेता बहुत सक्रिय हैं जो एक बहुत बड़ी रकम का लेनदेन कर इस मामले को दबाने डील कर रहे हैं बहरहाल अब देखना हैं कि मामले में कब कार्यवाही होती हैं ?