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छत्तीसगढ़विधान सभा में पहली बार राजपरिवार से एक भी विधायक नहीं

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महासमुंद

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की चारों विधानसभा सीट से कुल 53 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। जिनमें महासमुंद से 20 प्रत्याशियों में 18 निर्दलीय व अन्य पार्टियों से थे।

इसी तरह खल्लारी से 15 प्रत्याशियों में से 13 निर्दलीय व अन्य, बसना में कुल 10 प्रत्याशियों में से 8 निर्दलीय व अन्य तथा सरायपाली से 8 प्रत्याशियों में से 6 निर्दलीय व अन्य पार्टियों से कुल 45 चुनाव मैदान में थे पर कोई खास असर नहीं डाल पाए।

संभावना थी मुकाबला कड़ा होगा पर हुआ नहीं

सरायपाली से कांग्रेस के विधायक किस्मत लाल नंद को पार्टी ने दोबारा टिकट नहीं दिया तो वे जेसीसीजे से टिकट लेकर चुनाव मैदान में उतरे तो सरायपाली में त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना थी, पर नंद को मात्र 2 हजार 747 वोट ही मिल पाए। उन्हें कुल मतदान का 1.64 प्रतिशत ही वोट मिला।

बेहद कम रहा वोट प्रतिशत

कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों को छोड़ निर्दलीय व अन्य पार्टी के कुल 45 प्रत्याशियों ने मात्र 26 हजार 359 वोट ही हासिल कर पाए जो कुल मतदान का 3.78 प्रतिशत ही रहा। जिनमें महासमुंद विधानसभा से कुल 18 निर्दलीय व अन्य पार्टी के प्रत्याशियों ने 10 हजार 724 वोट प्राप्त किए।

वहीं खल्लारी के 13 प्रत्याशियों ने 4 हजार 658 वोट, बसना के 8 प्रत्याशियों ने 4 हजार 507 और सरायपाली विधानसभा से कुल 6 निर्दलीय व अन्य को मात्र 6 हजार 470 वोट मिले। उक्त सभी 45 प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए। जबकि इसके पहले के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय व अन्य प्रत्याशियों का वोट प्रतिशत अच्छा रहा है।

वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद यह पहला मौका है, जब नई विधानसभा में पूर्ववर्ती राजपरिवारों का एक भी सदस्य बतौर विधायक नहीं होगा।

इस चुनाव में कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से मैदान में उतारे गए राजपरिवारों के सभी सातों उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। इनमें प्रमुख रूप से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और निवर्तमान उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव भी शामिल हैं। कांग्रेस और भाजपा ने तीन-तीन और आप ने एक उम्मीदवार खड़ा किया था।

कांग्रेस प्रत्याशियों में टीएस सिंहदेव, अंबिका सिंहदेव और देवेंद्र बहादुर सिंह शामिल थे। तीनों निवर्तमान विधानसभा में विधायक थे। भाजपा ने संयोगिता सिंह जूदेव, प्रबल प्रताप सिंह जूदेव और संजीव शाह को टिकट दिया था। वहीं आप ने खड़गराज सिंह को टिकट दिया था।

पहली बार 18 महिला विधायक पहुंचेंगी सदन

छत्तीसगढ़ के विधानसभा में पहली बार एक साथ निर्वाचित होकर 18 महिलाएं सदन पहुंचेंगी। इनमें भाजपा से आठ और कांग्रेस से 10 विधायक होंगी। प्रदेश के सरगुजा संभाग से सबसे अधिक छह महिलाएं विधायक चुनी गई हैं। बता दें कि इस बार भाजपा ने 15 और कांग्रेस ने 18 महिलाओं को टिकट दिया था। वर्ष 2018 के चुनाव में 13 महिलाएं सदन पहुंची थीं। इसके बाद उपचुनाव में तीन महिलाएं और जीती थीं।

दूसरे राज्यों के खेवनहार, अपने राज्य में डूबी नैया

अपने विकास माडल के माध्यम से कांग्रेस के लिए देश के कई राज्यों में खेवनहार बने भूपेश बघेल की तमाम कोशिशों के बाद कांग्रेस की नैया छत्तीसगढ़ में डूब ही गई। राज्य में लोक कल्याणकारी नीतियों व लोकलुभावन योजनाओं के सहारे कांग्रेस के पोस्टर ब्वाय कहे जाने वाले भूपेश का माडल भले ही कई राज्यों में पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में कामयाब रहा, लेकिन अपने ही गृहप्रदेश में उनकी पार्टी के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई।

गोबर-गोठान की योजना से चर्चित भूपेश माडल को कांग्रेस ने अपना राष्ट्रीय एजेंडा बताया। अन्य राज्यों में भी इसे लागू करने का वादा किया। दो रुपये में गोबर, चार रुपये में गोमूत्र की खरीदी, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, अंग्रेजी माध्यम के स्वामी आत्मानंद स्कूल जैसी तमान बड़ी योजनाओं को कांग्रेस दूसरे राज्यों में भुनाती रही। भूपेश भी दूसरे राज्यों में इन्हीं योजनाओं के भरोसे प्रचार-प्रसार करते दिखे, मगर छत्तीसगढ़ में उनकी इन योजनाओं के सहारे सत्ता में वापसी के प्रयास सफल नहीं हो पाए।

सिंहदेव ने कहा-हारकर मैदान नहीं छोडूंगा

कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने कहा कि मेरे शुभचिंतक मुझसे मजबूत हैं। जनादेश मुझे स्वीकार है, लेकिन मैं हारकर मैदान नहीं छोडूंगा। अगर जीत जाता तो अगली पीढ़ी को विरासत सौंपा देता।

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