नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर जारी है। वहीं तीसरी लहर के आने की आशंका बनी हुई है। इस बीच, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) देश में चौथा सीरो-सर्वेक्षण कराने की तैयारी में है। इससे पहले नौ माह में तीन-तीन बार सीरो सर्वे किए गए, जबकि फिलहाल पिछले चार माह से सीरो सर्वे नहीं हुआ है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महामारी विज्ञान और संचार रोग विभाग के प्रमुख डॉ.समीरन पांडा ने कहा, चौथे सीरो सर्वे कराने की योजना पर काम जारी है। आईसीएमआर के महानिदेशक की ओर से औपचारिक रूप से इसकी घोषणा की जाएगी। डॉ. समीरन पांडा का कहना है कि सबसे पहले जिन जिलों में संक्रमण दर अधिक है, वहां बहुत तेजी से कार्य करने की आवश्यकता है। इसमें सीरो सर्वे भी मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि जनवरी में हुए सीरो सर्वे में एक चौथाई आबादी संक्रमण की चपेट में आने की पुष्टि हुई थी, लेकिन यह भी पता चला था कि 75 फीसदी आबादी संकट में है जिन्हें बचाव की सबसे ज्यादा जरूरत है।
चार माह बाद सीरो सर्वे कराने पर चर्चा
वर्तमान हालात देखें तो बीते चार माह से देश में एक भी सीरो सर्वे नहीं हुआ है, जबकि उससे पहले नौ माह में तीन-तीन बार सीरो सर्वे किया गया। इस सर्वे के दौरान गांव-गांव जाकर लोगों के रक्त नमूने लेकर जांच की गई तो कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी का पता चला। वहीं आंकड़ों के अनुसार, इसी साल एक मार्च से अब तक देश में एक करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं और डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। जबकि जनवरी, 2020 से 28 फरवरी, 2021 तक 1.11 करोड़ मामले थे और 1.57 लाख लोगों की मौत हुई थी।
फैल गया कोरोना, अब सीरो सर्वे का लाभ नहीं
आईसीएमआर के ही एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दूसरी लहर में कोरोना गांव-गांव तक पहुंच चुका है। उन्हें नहीं लगता कि अब सीरो सर्वे का कोई फायदा होगा क्योंकि उसके परिणाम पहले से ही हमें पता है। हालांकि, टीकाकरण को लेकर सर्वे की जरूरत है ताकि यह पता चले कि कितनी फीसदी आबादी सुरक्षा जोन में है। इस पर विचार भी चल रहा है लेकिन अंतिम निर्णय अभी नहीं हुआ है।
गणितीय आकलन के लिए सर्वे जरूरी
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन की प्रो. भ्रामक मुखर्जी के अनुसार भारत में अभी 2.47 करोड़ से ज्यादा मामले हैं, लेकिन उनका अनुमान है कि यह संख्या 49 करोड़ से ज्यादा है जोकि 36 फीसदी आबादी के संक्रमित होने का इशारा करता है। भारत में नौ में से करीब दो मौतें ही कागजों पर दर्ज की जा रही हैं। हमारे इस अनुमान को साबित करने के लिए सीरो सर्वे का होना बहुत जरूरी है। महामारी में गणितीय आकलन को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इसके आधार पर भविष्य की नीतियां तय होने में मदद मिलती है।
इससे पहले कब-कब हुए सीरो सर्वे
पहला सर्वे : मई से जून 2020 के दौरान किए इस सर्वे में 0.73 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी मिलीं।
दूसरा सर्वे: अगस्त से सितंबर 2020 के दौरान 6.6 फीसदी आबादी संक्रमण की चपेट में।
तीसरा सर्वे: दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 के दौरान 21.4 फीसदी आबादी में संक्रमण।