भोपाल
विधानसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में सरकार का चेहरा बदल गया और अब बदल रही है सियासी तस्वीर भी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पिछले 18 साल से पार्टी का पर्याय रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह नए चेहरे मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर सरकार की तस्वीर बदली तो अब विपक्षी कांग्रेस ने भी बदलाव की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की छाया से बाहर निकलते हुए तेजतर्रार नेता जीतू पटवारी को सूबे में संगठन की कमान सौंप दी है.
जीतू पटवारी से पहले कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे. विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कमलनाथ पर गाज गिरना तय माना जा रहा था लेकिन हाल में उनके एक बयान ने सस्पेंस बढ़ा दिया था. कमलनाथ ने साफ कहा था कि मैं रिटायर नहीं होने वाला. विधानसभा चुनाव में जिस तरह से नेतृत्व को दरकिनार कमलनाथ टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार रणनीति तक हावी नजर आए, माना जा रहा था कि कांग्रेस के लिए उन्हें किनारे करना आसान नहीं होगा.
जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने पांच बड़े नेताओं को झटका दिया है। आइए जानते हैं कौन-कौन से हैं वे पांच नेता।
अजय सिंह
अजय सिंह विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े नेता हैं। पूर्व सीएम और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे अर्जुन सिंह के बेटे हैं। अजय सिंह को दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है। उनका नाम नेता प्रतिपक्ष की रेस में थे लेकिन राहुल गांधी ने युवा नेताओं को मौका दिया।
नकुलनाथ
विधानसभा चुनाव के दौरान नकुलनाथ काफी एक्टिव थे। अभी छिंदवाड़ा से सांसद हैं। पिता कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उनका कद बढ़ा था लेकिन अब जीतू पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने से नकुलनाथ के लिए मुश्किलें हो सकती हैं। नकुलनाथ, एमपी में खुद को प्रोजेक्ट करने में लगे हुए थे।
जयवर्धन सिंह
राघौगढ़ विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। जयवर्धन सिंह, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बेटे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान ग्वालियर-चंबल इलाके में बहुत ज्यादा एक्टिव थे। जीतू पटवारी के आने के बाद से उनका दबदबा कम हो सकता है।
अरुण यादव
लंबे समय से पद का इंतजार कर रहे अरुण यादव को बड़ा झटका लगा है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में हार के बाद माना जा रहा था कि अरुण यादव अध्यक्ष बन सकते हैं लेकिन कांग्रेस ने जीतू पटवारी को मौका दिया है। अरुण यादव के पास फिलहाल पार्टी में कोई पद नहीं हैं। वह, सीनियर कांग्रेस लीडर सुभाष यादव के बेटे हैं।
विक्रांत भूरिया
झाबुआ विधानसभा सीट से विधायक विक्रांत भूरिया को भी बड़ा झटका लगा है। विक्रांत भूरिया के पिता कांतिलाल भूरिया, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के करीबी हैं। दिग्विजय सिंह के कारण ही इस बार विक्रांत को टिकट मिला था लेकिन अब जीतू पटवारी के आने से मध्यप्रदेश की सियासत में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। जीतू पटवारी, कमलनाथ और दिग्विजय खेमे के नहीं हैं।
जीतू पटवारी किसी भी खेमे के नहीं हैं। राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं, हालांकि इस बार राऊ विधानसभा सीट से अपना चुनाव हार गए हैं। पटवारी ओबीसी वर्ग से आते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए कांग्रेस ने नया प्रयोग किया है। आइए जानते हैं वो पांच कारण जिससे हाई कमान ने राहुल गांधी के करीबी जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
युवा चेहरा और तेज तर्रार नेता
जीतू पटवारी की छवि मध्यप्रदेश में तेज तर्रार नेता की है। जीतू पटवारी संगठन की पसंद हैं। गुटबाजी से दूर जीतू पटवारी के राजनीति की लाइन युवाओं को पसंद आती है। जीतू पटवारी को मौका देकर कांग्रेस ने युवा नेतृत्व को मौका दिया है।
लोकसभा चुनाव पर फोकस
कमलनाथ को 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था। कमलनाथ के नेतृत्व में दो बार चुनाव लड़ा गया लेकिन एक बार हार और एक बार जीत मिली। कांग्रेस को एमपी के लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था। कमलनाथ की राजनीति एग्रेसिव नहीं है। जबकि जीतू पटवारी एग्रेसिव राजनीति करते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव को फोकस करते हुए उन्हें जिम्मेदारी दी गई है।
ओबीसी वोटर्स को साधने की कोशिश
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए जीतू पटवारी को जिम्मेदारी दी है। जीतू पटवारी ओबीसी का बड़ा चेहरा हैं। वहीं, आदिवासी वोटर्स को साधने के लिए कांग्रेस ने उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाया है।
किसी भी खेमे के नहीं हैं जीतू पटवारी
कांग्रेस में अक्सर गुटबाजी की खबरें आती हैं। एमपी कांग्रेस में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का एक गुट है लेकिन जीतू पटवारी किसी भी गुट के नेता नहीं हैं। ऐसे में जीतू पटवारी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एकजुट कर सकेंगे।
पार्टी ने दिया परिवर्तन का संकेत
बीजेपी अक्सर युवाओं को मौका देती है। ऐसे में कांग्रेस ने इस बार यह संदेश देने की कोशिश की है कि कांग्रेस में भी युवाओं को मौका मिल सकता है। कांग्रेस जीतू पटवारी को जिम्मेदारी देकर यह संदेश देने की कोशिश कर रही है वंशवाद की राजनीति से अलग युवाओं को मौका दे रहे हैं।