भोपाल
16वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार 18 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है. 21 दिसंबर तक चलने वाले 4 दिवसीय सत्र में नए विधायकों को शपथ दिलवाई जाएगी. सत्र के पहले ही दिन प्रोटेम स्पीकर गोपाल भार्गव 230 विधायकों को शपथ दिलवाएंगे. इस बार का सत्र कई मायने में खास होने वाला है. क्योंकि पूर्व संसदीय मंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत कई दिग्गज इस बार चुनाव हारने की वजह से यहां दिखाई नहीं देंगे. जबकि कई चेहरे पहली बार विधायक के तौर पर भी एंट्री लेंगे.
ये बड़े नेता नहीं दिखाई देंगे
गौरतलब है कि हाल ही में हुए विधानसभा नतीजों में पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत 12 मंत्री ऐसे हैं, जो विधानसभा चुनाव हार गए हैं. इनमें कमल पटेल, राहुल सिंह लोधी, प्रेम सिंह पटेल, अरविंद भदौरिया, गौरीशंकर बिसेन, सुरेश राजखेड़ा, राज्यवर्धन दत्तिगांव, भारत सिंह कुशवाह, रामखिलावन पटेल, राम किशोर कांवरे शामिल हैं. अब ये सभी इस बार विधानसभा सत्र में दिखाई नहीं देंगे.
ये बड़े नेता नहीं दिखेंगे
पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत 12 मंत्री ऐसे हैं जो विधानसभा का चुनाव हार गए हैं। इनमें कमल पटेल, महेंद्र सिसोदिया, गौरीशंकर बिसेन, सुरेश राजखेड़ा, राज्यवर्धन दत्तिगांव, भारत सिंह कुशवाह, रामखिलावन पटेल, राहुल सिंह लोधी, प्रेम सिंह पटेल, अरविंद भदौरिया और राम किशोर कांवरे के नाम शामिल हैं। ये सभी इस बार विधान सभा सत्र में नहीं दिखाई देंगे। वहीं कांग्रेस से पूर्व नेताप्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह, कांग्रेस के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, कुणाल चौधरी, पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह, पूर्व मंत्री तरुण भनोट, केपी सिंह कक्का जी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और लक्ष्मण सिंह जेसे कांग्रेस के कई दिग्गज नेता इस बार सत्र में नहीं होंगे।
इनकी पहली बार एंट्री
इधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, पूर्व सांसद रीति पाठक, पूर्व सांसद राकेश सिंह, और पूर्व सांसद उदय राव प्रताप सिंह जेसे कई वरिष्ठ नेता ऐसे हैं जो पहली बार विधायक के तौर पर विधानसभा सत्र में शामिल होंगे। इनके अलावा कई युवा चेहरे भी पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं। यह उनका पहला सत्र होगा।
उपाध्यक्ष पद पर सवाल
इधर, विधानसभा में उपाध्यक्ष के पद को लेकर सवाल बना हुआ है। देखना होगा कि क्या भारतीय जनता पार्टी इस बार विपक्ष को यह पद देती है या नहीं। पहले आपसी सहमति से अध्यक्ष का पद सत्ता पक्ष और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाता था लेकिन बाद में कांग्रेस ने इस परंपरा को तोड़ कर ये दोनों ही पद अपने पास रख लिए। इसके बाद से भाजपा ने तय किया कि सत्ता में आने पर वो अब उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को नहीं देगी।
विधायक के परिवार से सिर्फ एक को प्रवेश
इधर, विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ सोलहवीं विधानसभा के प्रथम सत्र की तैयारियों एवं सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की तथा संबंधितों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। प्रमुख सचिव ने बताया कि सोलहवीं विधानसभा के नवनिर्वाचित माननीय सदस्यों के विधानसभा में प्रवेश हेतु परिचय पत्र न होने पर उनके द्वारा निर्वाचन प्रमाण पत्र तथा आधार कार्ड दिखाए जाने पर प्रवेश की पात्रता रहेगी। साथ ही शपथ ग्रहण के दौरान यदि उनके साथ उनके परिजन आते हैं तो किसी एक परिजन को ही विधानसभा में प्रवेश की अनुमति रहेगी और इनका भी आधार कार्ड इत्यादि साथ में लाना आवश्यक होगा।
मीडिया के लिए इंतजाम
विधानसभा में मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा विधानसभा में प्रवेश एवं कार्यवाही की रिपोर्टिंग के दौरान संबंधित संवाददाता/कैमरामैन के पास जनसंपर्क कार्यालय द्वारा प्रदत्त अधिमान्यता कार्ड तथा विधानसभा द्वारा जारी प्रवेश पत्र आवश्यक होगा। बता दें हाल ही में संसद भवन में हुई घटना के मद्देनजर प्रमुख सचिव ने सभी संबंधितों को विधानसभा की सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए जाने के आवश्यक निर्देश दिए।