क्या काम आ गया हैं होली का गिफ्ट?
कबूतर,मुर्गा,राशन एवम कलेक्टर को होली गिफ्ट के नाम पर लाखों रुपए की डिमांड करने बाली एसडीएम ज्योति बबली को दिया जिला मुख्यालय में एसडीएम पद का उपहार।
शिकायत करने वाले तहसीलदार को ही किया जिले से बाहर
जशपुर। कलेक्टर पद को जानने के लिये हम पहले हम चलते हैं भारत के इतिहास में जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर जिले का मुख्य कार्यकारी,प्रशासनिक और राजस्व अधिकारी है।वह जिले में कार्य कर रहीं विभिन्न सरकारी एजेंसियों के मध्य आवश्यक समन्वय की स्थापना करता है। इस पद का सृजन 1772 में वारेनहेस्टिंग्स ने किया था।
कलेक्टर पद अंग्रेजो की देन हैं जो हम भारतीयों को लूटने के लिये अंग्रेजों बनाया था,भारत के सिविल सर्वेंट जो हैं उन्हें Constitutional Protection है,क्योंकि जब ये कानून बना था उस समय सारे ICS अधिकारी अंग्रेज थे और उन्होंने अपने बचाव के लिए ऐसा कानून बनाया था,ऐसा विश्व के किसी देश में नहीं है,और वो कानून चुकी आज भी लागू है इसलिए भारत के IAS अधिकारी सबसे निरंकुश हैं,आपने CVC थोमस का मामला देखा होगा इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता और इन अधिकारियों का हर तीन साल पर तबादला हो जाता था क्योंकि अंग्रेजों को ये डर था कि अगर ज्यादा दिन तक कोई अधिकारी एक जगह रह गया तो उसके स्थानीय लोगों से अच्छे सम्बन्ध हो जायेंगे और वो ड्यूटी उतनी तत्परता से नहीं कर पायेगा या उसके काम काज में ढीलापन आ जायेगा और वो ट्रान्सफर और पोस्टिंग का सिलसिला आज भी वैसे ही जारी है और हमारे यहाँ के कलेक्टरों की जिंदगी इसी में कट जाती है और ये जो कलेक्टर होते थे उनका काम था Revenue, Tax, लगान और लुट के माल को Collect करना इसीलिए ये Collector कहलाये और जो Commissioner होते थे वो commission पर काम करते थे उनकी कोई तनख्वाह तय नहीं होती थी और वो जो लुटते थे उसी के आधार पर उनका कमीशन होता था,जो आज भी निरंतर चल रहा हैं,ये मजाक की बात या बनावटी कहानी नहीं है ये सच्चाई है इसलिए ये दोनों पदाधिकारी हम भारतीयों को जमकर लूटपाट और अत्याचार करते थे और इनका कोई कुछ बिगाड़ नही सकता था जो कि आज भी जारी हैं।अब इस कानून का नाम इंडियन सिविल सर्विस एक्ट से बदल कर इंडियन सिविल Administrative एक्ट हो गया है, आजादी के 74 सालों बाद बस इतना ही बदलाव हुआ है,इस एक्ट पर जब ब्रिटिश संसद में चर्चा हो रही थी तो एक सदस्य ने कहा कि “ये तो बड़ा confusing है, कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है”, तो दुसरे ने कहा कि हाँ इसे जानबूझ कर ऐसा रखा गया है ताकि जब भी भारत के लोगों को कोई दिक्कत हो तो वो हमसे ही संपर्क करें।
जिलाधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा का एक प्रमुख प्रशासनिक पद होता है। जिसे अंग्रेजी में “डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर” या फिर सिर्फ “कलेक्टर” के नाम से भी जाना जाता है भारत के प्रत्येक जिले का एक अपना उपायुक्त होता है। अंग्रेज शासन के दौरान सन 1772 में गव्हर्नर जनरल लोर्ड वॉरेन हेस्टिंग द्वारा बुनियादी रूप से नागरिक प्रशासन और ‘भू राजस्व की वसूली’ के लिए गठित ‘जिलाधिकारी’ का पद हैं अब राज्य के लोक-प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पदों में प्रमुख स्थान हैं।’जिलाधीश’ और ‘कलेक्टर’ के रूप में जिले में राज्य सरकार का सर्वोच्च अधिकार संपन्न प्रतिनिधि या प्रथम लोक-सेवक होता है। जो मुख्य जिला विकास अधिकारी के रूप में सारे प्रमुख सरकारी विभागों- पंचायत एवं ग्रामीण विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आयुर्वेद, अल्पसंख्यक कल्याण, कृषि, भू-संरक्षण, शिक्षा, महिला अधिकारता, ऊर्जा, उद्योग, श्रम कल्याण, खनन, खेलकूद, पशुपालन, सहकारिता, परिवहन एवं यातायात, समाज कल्याण, सिंचाई, सार्वजनिक निर्माण विभाग, स्थानीय प्रशासन आदि के सारे कार्यक्रमों और नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन करवाने के लिए अपने जिले के लिए अकेले उत्तरदायी होता है।
वह जिला मजिस्ट्रेट के रूप में पुलिस अधीक्षक के साथ प्रमुखतः जिले की संपूर्ण कानून-व्यवस्था का प्रभारी होता है और सभी तरह के चुनावों का मुख्य प्रबंधक भी। साथ ही वह जनगणना-आयोजक, प्राकृतिक-आपदा प्रबंधक, भू-राजस्व-वसूलीकर्ता, भूअभिलेख-संधारक, नागरिक खाद्य व रसद आपूर्ति-व्यस्थापक, ई-गतिविधि नियंत्रक, जनसमस्या-निवारणकरता भी है।
जांच टीम के सामने रखे गए आरोपों की पुष्टि करने वाले ऑडियो क्लिप, शिकायतकर्ताओं ने एसडीएम के विरुद्ध दिया था बयान
कबूतर,मुर्गा,राशन एवम कलेक्टर को होली गिफ्ट के नाम पर लाखों रुपए की डिमांड करने बाली एसडीएम ज्योति बबली को दिया जिला मुख्यालय में एसडीएम पद का उपहार।
जशपुर जिले के बगीचा तहसील में एसडीएम ज्योति बबली कुजूर पर लगे आर्थिक व मानसिक प्रताड़ना के आरोपों की जांच पूरी भी नहीं हुई थी कि शिकायत करने वाले तहसीलदार टीडी मरकाम को पहले ही सुनाते हुए सजा बतौर ट्रांसफर कर बैकुंठपुर भेज दिया गया है,वहीं कबूतर,मुर्गा और राशन की डिमांड सहित कलेक्टर को होली गिफ्ट देने के नाम पर लाखो रुपए की बसूली करने बाली एसडीएम बबली ज्योति को जशपुर जिला मुख्यालय में एसडीएम का प्रभार हेतु आदेश जारी कर दिया गया है।जो कि अपने आप मे कई सवाल खड़े करता हैं।बड़ा सवाल यहां हैं कि ज्योति बबली कुजूर की पोस्टिंग जशपुर जिला के जनपद पंचायत दुलदुला के रूप में कई गई थी किन्तु इनपर प्रशासन इतना मेहरवानी क्यों दिखा रहा हैं कि इस मोहतरमा के ऊपर भ्रस्ट्राचार के आरोप लगने के बाद भी इन्हें एस डी एम के पद से नवाजा जा रहा हैं।क्या होली का गिफ्ट का असर अब जिला जशपुर में दिखाई देने लगा हैं?जो कि जांच पूरी होने से पहले ही कलेक्टर महोदय ने ज्योति बबली कुजूर को जिला मुख्यालय एस डी एम नियुक्त कर दिया है?दूसरी ओर जशपुर में पदस्थ एस डी एम सुश्री आकांक्षा त्रिपाठी को बगीचा स्थानांतरित कर दिया गया हैं।हम शिकायत आवेदन पर नजर डाले तो आवेदन में ज्योति बबली के ऊपर प्रथम बिंदु पर ही आरोप लगाया गया हैं कि जिला कलेक्टर को होली का गिफ्ट देने के नाम पर ज्योति बबली द्वारा दो लाख रुपया का डिमांड किया गया था कलेक्टर के आदेश के बाद जशपुर जिले में यहा चर्चा का विषय बना हुआ हैं कि क्या होली का गिफ्ट काम कर गया जो हैं ज्योति बबली को जिला मुख्यालय का एसडीएम बतौर पोस्टिंग की गई हैं?कलेक्टर के इस आदेश को इस रूप में भी समझा जा सकता है कि बगीचा के बाद अब जशपुर के पटवारी कबूतर की तलाश करेंगे और होली दीपावली के गिफ्ट के लिये भी जद्दोजहद करेंगे? हांलाकि तहसीलदार ने इसे प्रशासनिक कार्यवाही बताते हुए आदेश का पालन किया है और बैकुंठपुर में उन्होंने पदभार ग्रहण कर लिया है।गौरतलब हो कि कलेक्टर ने बगीचा एसडीएम ज्योति बबली कुजूर के खिलाफ तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच शुरु कर दी है। हांलाकि शिकायत कर्ताओं की मांग थी कि एसडीएम को जिला कार्यालय में अटैच करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की जाए लेकिन कलेक्टर द्वारा नजरअंदाज करते हुए एसडीएम के पद पर बने रहते हुए जांच की जा रही है। दो दिन पहले जांच टीम जब पटवारियों का बयान लेने बगीचा के रेस्टहाउस पंहुची तो वहां मामले में आपसी समझौते का बहुत प्रयास किया गया।यहां पटवरियों ने एसडीएम से सीधे कहा मैडम जितनी शिकायत हम लोगों ने की है ईश्वर को साक्षी मानकर आप गलती स्वीकार कर लें तो हम सब मान जाएंगे।जब हम लोग आर्थिक व मानसिक रुप से अंततः प्रताड़ित हो गए तब हम लोगो ने शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया हांलाकि इतना कहने पर भी एसडीएम अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हुईं क्योंकि की ज्योति बबली को पता था कि अब उन्हें जिला मुख्यालय में पदस्थ होना हैं।जिंसके बाद धमकी चमकी और मान मनव्वल का दौर चलता रहा और जब बात नहीं बनी तब शाम को 5 बजे के आसपास जांच टीम ने पटवारियों का बयान लेना शुरु कर दिया।
पुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसडीएम ज्योति बबली कुजूर के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने बगीचा पंहुचे अपर कलेक्टर आईएल ठाकुर,डिप्टी कलेक्टर आरएन पांडेय व तहसीलदार महेश शर्मा की जांच टीम के सामने नायाब तहसीलदार ने भी अपना बयान दर्ज कराया।यहां लगाए गए आरोपों की पुष्टि के लिये एसडीएम से बातचीत का ऑडियो भी जांच टीम को सुनाया।ज्ञातब्य हो कि पिछले चार दिनों से बगीचा का राजस्व अनुविभाग राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। यहां की एसडीएम ज्योति बबली कुजूर पर अधीनस्थ राजस्व अधिकारियों ,पटवारियों ने आर्थिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने सम्बन्धी कई गम्भीर आरोप लगाते हुए 8 बिंदुओं पर मामले की शिकायत की गई है।इन आरोपों में एसडीएम द्वारा राशन,देशी मुर्गा व कबूतर की डिमांड के साथ उच्चाधिकारियों को गिफ्ट देने के नाम पर लाखों की उगाही राष्ट्रीय स्तर पर छाया हुआ है।
SDM के रवैये से सरकार सवालों के घेरे में
बगीचा तहसील के एसडीएम बबली ज्योति कुजूर पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं।जो जिला प्रशासन के साथ सरकार की कार्यप्रणाली पर सीधा सवालिया निशान लगा रहे हैं।जशपुर जिले के कलेक्टर ,कमिश्नर समेत कई बड़े अधिकारी सरकार की बिगड़ती छवि को सुधारने की कवायद में जुटे हुए हैं।हांलाकि अब तक जिला प्रशासन ने एसडीएम को नहीं हटाया है और मामले की जांच की जा रही है।लंबे समय से कुंठित और अपने को शोषित और अपमानित महसूस करने वाले पटवारियों के सब्र का बांध तब टूट गया जब लॉक डाऊन में आर्थिक परेशानी झेल रहे पटवारियों के सामने डिमांड तेज हो गई।हांलाकि जिला प्रशासन की कार्यवाही का शिकार तहसीलदार टीडी मरकाम हुए हैं।उनसे जब मामले में बात की गई तो उन्होंने कहा शासन का आदेश है इसके परिपालन में वे बैकुंठपुर पंहुच गए हैं।तहसीलदार टीडी मरकाम ने पिछले दिनों मीडिया के सामने एसडीएम पर उन्होंने सीधा आरोप लगाया था।उच्चाधिकारियों के नाम पर एसडीएम ने उन्हें लाखों रुपए इकट्ठा करने का आदेश दिया था।शिकायतकर्ता के रुप मे तहसीलदार टीडी मरकाम ने अब तक जांच टीम के सामने अपना बयान दर्ज नहीं कराया है लिहाजा उनको अपना बयान दर्ज कराने के लिए आना पड़ेगा।अब देखना होगा कि जांच टीम के सामने क्या बातें सामने आती है और पटवारियों के आरोप किस हद तक पुष्ट सिद्ध होते हैं।
एसडीएम पर लगाए हैं ये गंभीर आरोप
आरोप 1 : बगीचा एसडीएम बबली ज्योति के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि जिला कलेक्टर को होली गिफ्ट दिए जाने के नाम पर दो लाख रुपए वसूलने के लिए प्रत्येक पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों से सात-सात हजार रुपए जमा कराने के लिए तहसीलदार बगीचा टीडी मरकाम को निर्देशित किया गया था जिसकी जानकारी तहसीलदार द्वारा पटवारी मीटिंग में दी गई एवं प्रत्येक पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों से सात-सात हजार रुपए जमा करने के लिए कहा गया। इसके अतिरिक्त प्रत्येक पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों से प्रत्येक माह सात-सात हजार रुपए SDM बगीचा के लिए जमा करने के लिए कहा गया। इसका विरोध किया गया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ, आखिरकार अंत में प्रत्येक पटवारी द्वारा एक-एक हजार रुपए चंदा कर दिया गया।
आरोप 2 : पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों दो लाख रुपए वसूली नहीं कर पाने पर पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों की मीटिंग में नायब तहसीलदार बगीचा रोशनी तिर्की एव नायब तहसीलदार अविनाश चौहान तथा पटवारीयों एवं राजस्व निरिक्षकों की उपस्थिति में तहसीलदार बगीचा टीडी मरकाम द्वारा SDM बगीचा को कहा गया कि- ‘आपने मुझे पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों से दो लाख रुपए वसली करने के लिए कहा था जिसे मैं वसली नहीं कर सका। जिस पर तहसीलदार को एसडीएम द्वारा मीटिंग से बाहर निकाल दिया गया।
आरोप 3 : SDM बगीचा द्वारा अपने घरेलू एवं निजी उपयोग की सामग्री जैसे राशन सामग्री, सब्जी, फल, जूस, दही, ड्रायफूड्स, देशी मुर्गा, मटन, कबूतर, बर्तन इत्यादि पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों एवं लिपिकों से मंगाया जा रहा है एवं स्वयं के द्वारा किए गए खरीददारी का बिल पटवारियों एवं अन्य कर्मचारियों से भुगतान कराया जा रहा है। जिसके लिये SDM बगीचा द्वारा नायब तहसीलदारों एवं तहसीलदार को फोन कर आर्डर दिया जाता है। तहसीलदार एव नायब तहसीलदारों द्वारा सामग्री भिजवाने से मना किये जाने पर उन्हें भी कार्यवाही की धमकी दी जाती है।
आरोप 4 : SDM बगीचा द्वारा प्रोटोकाल ड्यूटी के नाम पर पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों को अनावश्यक आर्थिक एवं मानसिक रुप से प्रताडित किया जाता है। प्रोटोकाल के नाम पर अनावश्यक सामग्री की खरीददारी कराई जाती है एवं खरीदे गये सामग्री को स्वयं के घर पहुंचाने हेतु कहा जाता है, मना करने पर दबाव डालकर मंगाया जाता है।
आरोप 5 : SDM बगीचा द्वारा हाल ही में 17 फरवरी 2021 को पटवारियों को पाट क्षेत्र में स्थानांतरण करने के नाम पर ब्लैकमेलिंग कर पच्चीस से तीस हजार रुपए तक अवैध वसूली किया गया है, मजबूर होकर कुछ पटवारियों दारा पैसा दिया गया है किन्तु जो पटवारी रुपए नहीं दे सकें उन्हें दूरस्थ एवं पाट क्षेत्र में स्थानान्तरण किया गया है।
आरोप 6 : SDM बगीचा द्वारा पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों की साप्ताहिक मिटींग में पटवारियों को अपमानित किया जाता है एवं अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है जैसे- “दो थप्पड़ लगाउंगी तो भी मेरा कुछ नहीं कर सकते हो तुम लोग”, “किसी को मुझसे कोई भी प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं है और इस लायक भी नहीं हो तुम लोग इसके अतिरिक्त मीटिंग हॉल से पटवारियों को बाहर निकल जाओ बोला जाता है, किसी को अपनी बात तक रखने का अवसर नहीं दिया जाता है उल्टा डांट फटकार कर चुप करा दिया जाता है।
आरोप 7: SDM बगीचा द्वारा बिना शासन की अनुमति के हमर अंचरा’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमें सभी विभाग के कर्मचारियों को अपना डर दिखाकर 1000 से 5000 तक जमा कराया जा रहा है और राजस्व विभाग के कर्मचारियों को हमर अंचरा कार्यक्रम के कार्यों को करने के लिए आदेशित किया जाता है, जिससे इनका मूल काम प्रभावित हो रहा है।
आरोप 8 : SDM बगीचा द्वारा हमर अंचरा कार्यक्रम के लिए निर्मित बैंक अकाउंट में कर्मचारियों व्यापारियों एवं प्रतिष्टित व्यक्तियों से चंदा एकत्रित कर लगभग 20 से 25 लाख रुपए जमा कराया गया है जिसका उपयोग गरीबों को निःशुल्क सामग्री वितरण के नाम पर प्रत्येक सामग्री में कमीशनखोरी किया जा रहा है जिसका जांच किया जाना उचित होगा एवं हमर अंचरा कार्यक्रम में एकत्रित राशि का उपयोग वर्तमान में कोविड 19 के दौर में आक्सीजन सिलेंडर एवं अन्य राहत सामग्री के लिये किया जाना उचित होगा परंतु एस डी एम बगीचा जिन सामग्रीयों की खरीदी में कमीशन मिलता है वहीं कार्य करती है।
मनरेगा के निर्माण कार्यों में 14 लाख के गबन में पाई गईं थी दोषी,ज्योति बबली कुजूर हुई थी सस्पेंड
बलरामपुर के वाड्रफनगर की एसडीएम ज्याेति बबली कुजूर को भ्रष्टाचार के मामले में सस्पेंड किया गया था। करीब साल भर पहले वाड्रफनगर की ही जनपद सीईओ रहने के दौरान मनरेगा के निर्माण कार्याें में 14 लाख रुपए गबन करने की दोषी विभागीय जांच में पाई गई थी। तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी अश्वनी तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिया गया था।छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में वाड्रफनगर एसडीएम ज्योति बबली को सस्पेंड कर दिया गया था विभागीय जांच में मनरेगा के तहत हुए निर्माण कार्यों में 14 लाख रुपए गबन में एसडीएम दोषी पाई गईं थी करीब एक साल पुराने इस मामले में तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी अश्वनी तिवारी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं। एसडीएम बैरागी एक दिन पहले ही एसडीओपी दुर्गेश अग्रवाल से विवाद के बाद सुर्खियों में आईं थीं। दरअसल, वर्ष 2014-15 और 2015-16 में वाड्रफनगर जनपद के ग्राम चपोता में मनरेगा के तहत मिट्टी मुरूम सड़क और पुलिया निर्माण, तुंगवा पंचायत में नदी किनारे तटबंध, जमई में मुख्य मार्ग से घोघर पारा तक रोड और पेंडारी में मिट्टी मुरूम रोड और पुलिया निर्माण कार्य कराया जाना था। इन कार्यों के एवज में मेसर्स हरिहर यादव सप्लायर और मेसर्स साहू जनरल सप्लायर रघुनाथ नगर को 38.58 लाख का भुगतान किया था।
बिना काम कराए दो फर्मों को कर दिया था भुगतान
हालांकि जांच के दौरान पता चला था कि इनमें से बहुत सारे काम कराए बिना ही फर्जी तरीके से भुगतान कर दिया गया था जांच में सामने आया था कि इस तरह से 14 लाख रुपए से ज्यादा का गबन किया गया है। इस दौरान वाड्रफनगर जनपद पंचायत में राजस्व खर्च के लिए सीईओ के रूप में ज्योति बबली पदस्थ थीं। सरगुजा संंभाग आयुक्त ने जिला पंचायत सीईओ से जानकारी लेने के बाद निलंबन के आदेश जारी कर दिए थे।उस समय अश्वनी तिवारी कार्यक्रम अधिकारी थे। यह पद संविदा पर होने और उनके नौकरी छोड़कर जाने के कारण एफआईआर के आदेश दिए गए थे साथ ही संभाग आयुक्त ने मनरेगा घोटाले की फाइल दबाए रखे जाने के मसले पर नाराजगी जताई गई थी साथ ही एक माह में जांच पूरी कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे निलंबन की अवधि में एसडीएम ज्योति बबली सूरजपुर मुख्यालय से अटैच रहने के आदेश जारी किए गए थे।