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देश के युवाओं से इतनी सख्ती ठीक नहीं, संसद में उत्पात मचाने वालों के समर्थन में AAP सांसद

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नई दिल्ली
संसद पर हमले की बरसी के दिन लोकसभा में कार्यवाही के दौरान उत्पात मचाने वाले आरोपियों के खिलाफ सरकार सख्स ऐक्शन ले रही है। दिल्ली पुलिस ने मामले में यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही संसद में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। एक तरफ विपक्षी सांसदों ने एक सुर में घटना से सबक लेते हुए मामले में सख्त ऐक्शन की मांग की है और कहा है कि इस घटना की जेपीसी जांच होनी चाहिए। उधर, आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील रिंकू ने इससे उलट बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वे लड़के ऐसे नहीं दिख रहे थे कि मामला राष्ट्रीय या संसद की सुरक्षा से जुड़ा लगे। वे सिर्फ देश के युवा हैं और उनके साथ इतनी सख्ती ठीक नहीं है।

संसदीय सुरक्षा उल्लंघन की घटना पर बात करते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील रिंकू ने कहा, "यह जांच का विषय है कि वे लोग अपने साथ धुएं का डिब्बा कैसे लेकर आए? यह राष्ट्रीय सुरक्षा और संसद की सुरक्षा का मामला है। वे (आरोपी) ऐसे नहीं दिखते थे वे किसी बाहरी एजेंसी से जुड़े हों। वे सिर्फ देश के युवा थे। क्योंकि सरकार युवाओं के अधिकारों को दबा रही है, उन्होंने (आरोपियों ने) अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए गलत तरीका अपनाया। सांसद सुशील रिंकू ने कहा कि उन लड़कों का तरीका जरूर गलत रहा होगा लेकिन मकसद गलत नहीं था। यदि वे हैं अगर वे किसी एजेंसी का हिस्सा नहीं पाए जाते हैं, तो उनके साथ इतनी सख्ती नहीं बरती जानी चाहिए। आखिरकार, वे हमारे देश के नागरिक हैं।"

हथियार लेकर संसद जा सकते थे
आप सांसद ने अपने बयान में कहा कि, "मैंने जो कल देखा। वे लोग जो अंदर नारे लगा रहे थे, बाहर नारे लगा रहे थे। मुझे नहीं लगता कि वे लोग बाहरी एजेंसी के लोग थे। मुझे वो देश के नौजवान ही लगे। मुझे यह लग रहा है कि ये सरकार नौजवानों का हक मार रही है। उनका हक छीन रही है। मैं इनके तरीके से सहमत नहीं हूं। लेकिन, इनके साथ इतनी सख्ती नहीं होनी चाहिए। आखिर वे देश के नौजवान हैं। अगर जांच में कुछ नहीं निकलता है तो मुझे नहीं लगता कि इनके साथ इतनी सख्ती होनी चाहिए। वे चाहते थे तो अपने साथ हथियार या कोई विस्फोटक सामान ला सकते थे। लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया।"