नई दिल्ली
पाकिस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित करने के लिए भारतीय सेना के सौर्य और पराक्रम की याद दिलाने वाला 53वां विजय दिवस आज मनाया जाएगा। इसी दिन पाकिस्तानी सेना ने 1971 में भारत से 13 दिनों तक चले युद्ध में बुरी तरह से पराजित होने के बाद आत्मसमर्पण किया था। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल एए नियाजी खान ने 93000 सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था। बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग करने लिए हुए इस युद्ध में भारतीय सेना करीब 4000 जांबाज सैनिक भी शहीद हुए थे जिन्हें देश विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इसी अवसर की खुशी में 16 दिसंबर के दिन तीनों सेनाएं (थल सेना, नौसेना, वायुसेना) विजय दिवस के रूप में मनाती हैं।
जानिए 16 दिसंबर 1971 विजय दिवस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें-
– 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध 3 दिसंबर को शुरू हुआ और 13 दिन बाद 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण पर समाप्त हुआ था।
– इस युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व फील्ड मार्शल मानिक शॉ कर रहे थे और उस वक्त प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं।
– 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के शहर ढाका में सरेंडर किया था।
– पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल एए नियाजी खान ने अपना आत्म समर्पण भारतीय सेना की अगुवाई कर रहे उस वक्त लेफ्टीनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने किया।
– पाकिस्तान पर भारत की इसी विजय के साथ बांग्लादेश को एक अगल राष्ट्र बनाने कार्य संपन्न हुआ।
– 1971 युद्ध में भारतीय सेना के करीब 1400 (Mygov.in पर मौजूद दस्तावेज के अनुसार) जांबाज जवान भी शहीद हुए थे।
– वहीं पीआईबी डॉट जीओवी के अनुसार, 1971 युद्ध में 3843 सैनिक शहीद हुए थे और 9851 सैनिक घायल हुए थे।
– कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जब सरेंडर कर रहे थे तब उनहें हाथ लगभग कांप रहे थे और आंखों में आंसू भरे थे।