नई दिल्ली
भाजपा आलाकमान ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर भजनलाल शर्मा का नाम और राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर देववासु देवनानी के नाम का एलान कर सबको चौंका दिया है। इससे पहले मोहन यादव को मध्य प्रदेश और विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाकर सबको हैरत में डाल दिया था। इस बीच, सोशल मीडिया से लेकर चौक-चौराहों तक आमजन के बीच चर्चा है कि मोदी-शाह की ये जोड़ी सरप्राइज देने में अव्वल है। इनकी ओर से लिए गए बड़े-बड़े फैसलों की भनक मीडिया तो दूर इनके खुद के करीबी नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों तक को नहीं होती है।
विष्णुदेव साय: सीएम रेस में नहीं था नाम
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। विष्णुदेव साय कुनकुरी विधानसभा सीट से विधायक हैं और प्रदेश की राजनीति में बड़ा आदिवासी चेहरा हैं। विष्णुदेव रायगढ़ से चार बार सांसद चुने गए। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वह केंद्रीय मंत्री भी रहे। जून, 2020 से अगस्त 2022 तक वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। विष्णुदेव साय को सीएम बनाए जाने पर लोग इसलिए भी हैरान हो गए, क्योंकि उनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में था ही नहीं।
पुष्कर धामी : दूसरी बार के विधायक ने ली शपथ
तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद पार्टी ने नए चेहरे दूसरी बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी को नया मुख्यमंत्री बनाकर राजनीतिक विशेषज्ञों के सारे अनुमान गलत साबित कर दिए। पुष्कर धामी को आगे करके भाजपा ने 2022 का चुनाव लड़ा और प्रचंड बहुमत से जीती। हालांकि, धामी अपनी सीट खटीमा में प्रचार नहीं कर सके और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर भी पार्टी आलाकमान ने उन पर भरोसा करते हुए उन्हें दूसरी बार सीएम बनाया।
भूपेंद्र पटेल: CM रेस में दूर-दूर तक नहीं था जिक्र
साल 2014 तक नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे। फिर आम चुनाव हुए और भाजपा मोदी के चेहरे पर प्रचंड बहुमत से जीती। जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो भाजपा ने गुजरात में आनंदीबेन पटेल को सीएम बनाया। आनंदीबेन सिर्फ दो साल 77 दिन तक कुर्सी पर रह पाई। इसके बाद विजय रूपाणी को सीएम बनाया। उनके कार्यकाल में पार्टी चुनाव जीती, लेकिन वोट मोदी के चेहरे पर मिले। रूपाणी को भी पौने चार साल में इस्तीफा देना पड़ा। ऐसे में कहा जाने लगा कि गुजरात को अभी नरेंद्र मोदी का विकल्प नहीं मिला। कई नामों पर चर्चा जारी थी, तभी सितंबर, 2021 में भाजपा ने भूपेंद्र पटेल को सीएम बना दिया, जबकि उनके नाम की चर्चा दूर-दूर तक नहीं थी। एक साल बाद हुए चुनाव में भाजपा को भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में बंपर जीत मिली।
तीरथ सिंह रावत: ईमानदार छवि के नेता को सौंपी कुर्सी
साल 2017 में भाजपा चुनाव जीती तो त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया गया। उनके नाम पर किसी को हैरानी नहीं थी, लेकिन 2021 त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा देकर प्रदेश का सियासी पारा बढ़ा दिया। नए सीएम के नाम पर कयास लगाए जा रहे थे, तभी आलाकमान ने ईमानदार छवि वाले तीरथ सिंह रावत को सीएम की कुर्सी सौंप दी। भाजपा के इस कदम को एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना गया। हालांकि, तीरथ सिंह रावत को कुछ विवादों के चलते 114 दिन बाद इस्तीफा दे दिया।
प्रमोद सावंत: आयुर्वेद चिकित्सक को बनाया मुख्यमंत्री
गोवा की राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया था, जब 17 मार्च 2019 को सीएम मनोहर लाल पर्रिकर का निधन हो गया। मनोहर लाल के निधन के बाद सीएम के लिए फ्रांसिस डिसूजा समेत कई दिग्गज नेताओं के नाम पर चर्चा जारी थी। इस बीच, पार्टी ने पेशे से आयुर्वेद चिकित्सक प्रमोद सावंत को मुख्यमंत्री बना दिया। प्रमोद का नाम सभी के लिए चौंकाने वाला था। हालांकि, भाजपा हाईकमान का यह दांव सफल रहा। साल 2022 के विधानसभा में भाजपा बहुमत से जीती और प्रमोद सावंत दूसरी बार सीएम बने।
मनोहर लाल खट्टर: गैर जाट नेता पर लगाया दांव
साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी। इसके कुछ महीने बाद ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें भाजपा बहुमत से जीत गई। सीएम के चेहरों को लेकर तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कृष्णपाल गुर्जर, राव इंद्रजीत सिंह कई के नामों पर कयास लगाए जा रहे थे, तभी भाजपा ने गैर जाट नेता मनोहर लाल खट्टर के नाम का ऐलान कर दिया। भाजपा का मनोहर के नाम पर दांव लगाना सफल रहा। पार्टी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक सीटें जीतीं। फिर दुष्यंत चौटाला की पार्टी के साथ गठबंधन किया और मनोहर लाल दूसरी बार सीएम बने।
रघुवर दास: पहले गैर आविासी सीएम बने
साल 2014 में झारखंड विधानसभा में भाजपा जीत गई, लेकिन चार पूर्व सीएम हार गए थे। राज्य के पहले सीएम बाबूलाल मरांडी दोनों सीटों से और अर्जुन मुंडा भी चुनाव हार गए थे। सीएम की रेस में कई दिग्गजों का नाम चल रहा था, लेकिन पार्टी हाईकमान ने सबको चौंकाते हुए गैर आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाया। बता दें कि भाजपा ने राज्य के गठन के बाद पहली बार गैर आदिवासी चेहरे पर दांव पर लगाया था। रघुवर दास ने पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाया। हालांकि, 2019 में राज्य में भाजपा हार गई।
देवेंद्र फडणवीस: दूसरे सबसे युवा सीएम बने
महाराष्ट्र में साल 2014 में मुख्यमंत्री के नामों को लेकर चर्चा जारी थी। सीएम रेस में कई बड़े दिग्गजों के नाम आ रहे थे। इस बीच भाजपा हाईकमान ने देवेंद्र फडणवीस को राज्य का सीएम बनाकर सबको हैरत में डाल दिया। इसी के साथ वह राज्य के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री बन गए थे। अपना कार्यकाल पूरा किया और फिर 23 नवंबर 2019 को फिर दोबारा सीएम पद की शपथ ली। हालांकि, वह कुर्सी पर दो दिन ही रहे।
बता दें कि फडणवीस जब 17 साल के थे, तब उनके पिता गंगाधर राव का निधन हो गया। इसके बाद वह 21 साल की उम्र में पहली बार पार्षद चुने गए थे। फडणवीस साल 1997 में नागपुर से देश के दूसरे सबसे युवा मेयर बने थे। तब वे 27 साल के थे। फडणवीस के पिता भाजपा नेता नितिन गडकरी के राजनीतिक गुरु भी थे।
हिमंत बिस्वा सरमा: सर्वानंद नहीं सरमा बन गए सीएम
साल 2021 में असम विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद सर्वानंद सोनोवाल समेत कई नेता सीएम पद के दावेदार माने जा रहे थे। इस बीच, भाजपा ने हिमंत बिस्व सरमा को ही असम का नया मुख्यमंत्री बना दिया। बता दें कि साल 2014 में सरमा कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
द्रौपदी मुर्मू और रामनाथ कोविंद के नाम पर चौंके लोग
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम पर भी पूरा देश हैरत में पड़ गया था।