हैदराबाद
कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं. हैदराबाद के LB स्टेडियम में आयोजित भव्य कार्यक्रम में तेलंगाना की राज्यपाल टी सौंदरराजन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. रेवंत रेड्डी के अलावा 10 और विधायकों ने मंत्रिपद की शपथ ली. इनमें भट्टी विक्रमार्क को डिप्टी सीएम बनाया गया है. कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डी शिवकुमार समेत तमाम कांग्रेसी नेता मौजूद रहे. पीएम मोदी ने ट्वीट कर रेवंत रेड्डी को सीएम बनने पर बधाई दी है. रेवंत रेड्डी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. वे तेलंगाना के दूसरे सीएम होंगे. 2013 में तेलंगाना के गठन के बाद से कांग्रेस यहां पहली बार सत्ता में आई है. यहां से अब तक के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ही दो बार सीएम बने थे. हालांकि, वे इस बार हैट्रिक लगाने से चूक गए.
सोनिया के साथ मंच पर पहुंचे रेवंत रेड्डी
56 साल के रेवंत रेड्डी LB स्टेडियम में सीएम पद की शपथ ली. शपथ ग्रहण कार्यक्रम में करीब एक लाख लोग शामिल हुए. शपथ लेने से पहले रेवंत रेड्डी खुली जीप में सोनिया गांधी को लेकर स्टेडियम में पहुंचे.
ये विधायक ले रहे मंत्री पद की शपथ
दामोदर राजनरसिम्हा ने मंत्री पद की शपथ ली. वे एंडोले से विधायक हैं. 2011 से 2014 तक आंध्र सरकार में डिप्टी सीएम भी रहे. वे अब तक चार बार चुनाव जीत चुके हैं. आंध्र की राजशेखर सरकार में मंत्री रह चुके हैं. उत्तम कुमार रेड्डी ने मंत्री पद की शपथ ली. वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. किरण रेड्डी सरकार में मंत्री रहे हैं. 6 बार के विधायक है. पत्नी भी विधायक हैं. भट्टी विक्रमार्क- मंत्री पद की शपथ ली. खम्मम जिले की माधिरा सीट से विधायक हैं. कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे हैं. 2007 में पहली बार MLC और 2009 में विधायक बने. चुनाव से पहले 1400 किलोमीटर की राज्य की यात्रा की. कोमाटी रेड्डी: मंत्री पद की शपथ ली. नालगोंडा से विधायक हैं. 2019 में पहली बार सांसद चुने गए थे. वाईएस राजशेखर सरकार में मंत्री रहे. 5वां चुनाव जीते हैं.
सीताक्का- नक्सली पृष्ठभूमि से राजनीति में आईं. मलुग से विधायक हैं. तीन बार से विधायक हैं. 2009 में पहली बार टीडीपी से विधायक चुनी गईं. तेलंगाना के गठन के बाद कांग्रेस में शामिल हुईं. दिग्गज आदिवासी नेता हैं. पोन्नम प्रभाकर- कांग्रेस के पुराने नेता हैं. NSUI से राजनीति की शुरुआत की. युवा कांग्रेस के महासचिव भी रहे. हुस्नाबाद सीट से विधायक हैं. 2009 में करीमनगर से सांसद चुने गए. श्रीधर बाबू ने मंत्रिपद की शपथ ली. मंथनी सीट से विधायक हैं. पहली बार 29 साल की उम्र में विधायक रहे. 2009 से 14 तक राज्य सरकार में मंत्री रहे. दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है. आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पेश किया था.
तुम्मला नागेश्वर राव- मंथनी से विधायक हैं. 2 महीने पहले ही कांग्रेस में आए. पहले बीआरएस में थे. 1982 में टीडीपी से राजनीति की शुरुआत की थी. अविभाजित आंध्र सरकार में मंत्री रहे. कोंडा सुरेखा- कांग्रेस की वरिष्ठ ओबीसी नेता हैं. पहले भी मंत्री रह चुकी हैं. वारंगल पूर्व से विधायक हैं. 2014 में बीआरएस से कांग्रेस में शामिल हुईं.
जुपल्ली कृष्णा पोंगुलेटी- पलैरु विधानसभा सीट से विधायक हैं. इसी साल जून में कांग्रेस में शामिल हुए. 2014 में YSR से सांसद बने थे. 2018 में YSR छोड़कर बीआरएस में शामिल हुए. तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल की है. पार्टी ने यहां 119 में से 64 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं बीआरएस 39 पर सिमट गई. जबकि बीजेपी ने 8 सीटों पर जीत हासिल की है. कर्नाटक के बाद तेलंगाना दक्षिण का दूसरा राज्य है, जहां कांग्रेस की खुद की सरकार बनी है. तमिलनाडु में वह डीएमके के साथ गठबंधन सरकार में है. तेलंगाना में जीत का श्रेय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को मिला. शुरुआत से ही उन्हें सीएम रेस में आगे माना जा रहा था. मंगलवार को पार्टी ने आधिकारिक तौर पर उनके नाम पर मुहर लगा दी.
एबीवीपी से की राजनीति की शुरुआत
रेवंत रेड्डी का जन्म 1969 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के महबूबनगर हुआ. रेड्डी ने अपनी छात्र राजनीति की शुरुआत एबीवीपी से की. बाद में वे चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हो गए. 2009 में वे आंध्र की कोडांगल से टीडीपी के टिकट पर विधायक चुने गए. 2014 में वो तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी के सदन के नेता चुने गए. 2017 में रेवंत रेड्डी कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि, वे 2018 में विधानसभा चुनाव हार गए. हालांकि, कांग्रेस ने उनपर भरोसा जताते हुए 2019 लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से टिकट दिया, इसमें उन्होंने जीत हासिल की. 2021 में कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.