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4 मंत्री और एक यादव CM; कैसे OBC राजनीति में सपा, RJD से आगे निकली BJP

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भोपाल

भाजपा ने सोमवार को मध्य प्रदेश में नया मुख्यमंत्री दे दिया और मोहन यादव को सूबे की कमान सौंपने का ऐलान हुआ। यह पूरा घटनाक्रम मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चला, लेकिन असर यूपी, बिहार, हरियाणा और राजस्थान तक दिख रहा है। मोहन यादव को सीएम बनाकर भाजपा ने एक ऐसा दांव चल दिया है, जिसकी काट करना सपा, आरजेडी और कांग्रेस जैसे दलों के लिए मुश्किल होगा। भाजपा पहले भी उमा भारती, कल्याण सिंह, शिवराज सिंह चौहान जैसे ओबीसी मुख्यमंत्री दिए हैं, लेकिन अब तक उसकी सियासी कोशिश गैर-यादव ओबीसी को एकजुट करने तक रही है। इस बार भाजपा ने एक कदम और आगे बढ़ा दिया है।

यूपी में करीब 10 फीसदी और बिहार में 14 पर्सेंट यादव बिरादरी को भी भाजपा लुभाने की कोशिश में है। इसी के तहत उसने मोहन यादव को मध्य प्रदेश का सीएम बनाया है। हरियाणा और राजस्थान में भी यादव समाज की अच्छी संख्या है। इस तरह भोपाल में हुए फैसले का असर कम से कम 4 राज्यों में 2024 में देखा जा सकता है। भाजपा अब इस कदम के बाद यह संदेश देने का प्रयास करेगी कि उसने ओबीसी के नेताओं को आगे बढ़ाया है और वह यादवों को भी महत्व देती रही है। ऐसा कहने के लिए उसके पास पर्याप्त आधार भी मौजूद हैं।

दरअसल भाजपा ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को सीएम का पद दिया है तो केंद्र सरकार में उसने 4 मंत्री भी बनाए हैं। राजस्थान से आने वाले भूपेंद्र यादव, हरियाणा के राव इंद्रजीत सिंह, बिहार के नित्यानंद राय और झारखंड की अन्नपूर्णा देवी यादव ही हैं। इसके अलावा संसदीय बोर्ड में सुधा यादव और पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन हंसराज अहीर भी इसी समाज से आते हैं और महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। भूपेंद्र यादव को केंद्रीय चुनाव समिति में भी जगह दी गई है। इस तरह भाजपा ने हरियाणा से महाराष्ट्र तक यादव समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है और दूसरी बार मध्य प्रदेश में यादव सीएम बनाया है। इससे पहले बाबूलाल गौर को भी भाजपा ने एमपी का सीएम बनाया था।

वह मूल रूप से यूपी के रहने वाले थे और मध्य प्रदेश में सीएम की कुर्सी तक पहुंचे। यादवों की मुख्य तौर पर यूपी और बिहार में आबादी है, लेकिन हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड में भी अच्छी खासी संख्या है। खासतौर पर यूपी और बिहार में यादवों के वोट सपा और आरजेडी को ही ज्यादा मिलते रहे हैं, लेकिन अब इनके वोटबैंक में भी भाजपा सेंध की कोशिश में है। यदि वह सफल हुई तो भाजपा एक और कदम आगे बढ़ा देगी। अब तक उसे लोधी, मौर्य, कुर्मी, शाक्य, कुम्हार, लुहार, नाई समेत तमाम ओबीसी जातियों के वोट मिलते रहे हैं। अब यादवों के वोट का एक हिस्सा भी यदि भाजपा को मिला तो उसके लिए बड़ी सफलता होगी।