भोपाल
बीजेपी ने सीएम पद के लिए मोहन यादव के नाम की घोषणा करके सबको चौंका दिया। हालांकि उनकी उम्मीदवारी का चयन करने के लिए कई नेताओं की सिफारिशें काम आई हैं। आरएसएस और एबीवीपी से जुड़ाव का भी उन्हें फायदा मिला है। उनके आरएसएस नेता सुरेश सोनी के बहुत करीबी होने के अलावा, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और एमपी के चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव के साथ भी अच्छे संबंध हैं।
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाकर पार्टी ने उनकी पीढ़ी के नेताओं-नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, गोपाल भार्गव और जयंत मलैया को किनारे कर दिया है। अगर राज्य में कोई वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री होगा तो केंद्रीय नेतृत्व राज्य के मामलों में सीधे तौर पर दखल नहीं दे पाएगा। माना जा रहा है कि चूंकि यादव इन मामलों में मददगार हैं, इसलिए केंद्रीय नेतृत्व हस्तक्षेप कर सकता है।
6 दिसंबर को लिख गई थी स्क्रिप्ट
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मोहन यादव को 6 दिसंबर को दिल्ली बुलाया था। उसी समय उन्हें बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने की स्क्रिप्ट लिखी गई थी। नड्डा ने अपने कार्यालय से यादव को फोन कर दिल्ली आने को कहा और नड्डा से मुलाकात के बाद यादव भोपाल लौट आये।
उनकी मुलाकात के बाद शीर्ष पद के लिए कई नाम सामने आए, लेकिन यादव के नाम पर कभी चर्चा नहीं हुई। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले पर चर्चा की और यादव के नाम पर अपनी मुहर लगा दी
तीसरी रॉ से फ्रंट लाइन तक
बीजेपी विधायक दल की बैठक शुरू होने से पहले एक फोटो सेशन हुआ। हर कोई सांस रोककर उस जवाब का इंतजार कर रहा था, जिसकी उन्हें तलाश थी- नया सीएम कौन होगा। उस वक्त मोहन यादव तीसरी पंक्ति में बैठे थे, इसलिए किसी को नहीं पता था कि वह जल्द ही जैकपॉट हासिल करके फ्रंट लाइन में आएंगे। जब उनके नाम की घोषणा की गई तो भाजपा कार्यालय में सन्नाटा छा गया। हर कोई चौंका हुआ था।