भोपाल
मध्य प्रदेश में आज नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह हुआ । सूबे में भाजपा को मजबूती देने वाले और 15 साल से ज्यादा मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने अलविदा कह दिया है। विधायक दल की बैठक ने पार्टी ने मोहन यादव को सूबे की कमान सौंपी है। आज कार्यक्रम से पहले शिवराज ने मीडिया से बात करते हुए नए मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं दीं साथ ही साथ अब विदा कहकर भावुक माहौल बना दिया।
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कार्यक्रम से ऐन पहले मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, सब पर भगवन कृपा करते रहें। आज साढ़े 11 बजे सूबे के नए मुयख्यमंत्री मोहन यादव जी शपथ लेंगे और मुझे पूरा विश्वास है कि वो मध्य प्रदेश की समृद्धि और विकास और जनता के कल्याण को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। उनको शुभकामनाएं। कार्यक्रम में आने वाले नेताओं का स्वागत।" इसके बाद शिवराज ने अंतिम विदाई करते हुए कहा,'' मित्रों अब विदा! जस की तस रख दीनी चदरिया।''
नए CM के नाम के ऐलान के बाद शिवराज लगातार पार्टी पर आश्वासन जताने और पार्टी कार्यकर्ता होने के नाते जो भी जिम्मेदारी मिलने की बात कह रहे हैं लेकिन मंगलवार को सरकारी आवास पर परिजनों के सामने शिवराज की आंख से भी आंसू छलक गया। लंबे समय तक MP के CM बने रहने के बाद शिवराज के लिए अगले कुछ महीने ट्रांजीशन फेज की तरह होगा।
गौरतलब हो सूबे की सियासत में सबसे कद्दावर चेहरा और पार्टी में गहरी पैठ रखने वाले शिवराज को इस बार पार्टी ने फिर से CM बनने का मौका नहीं दिया है। शिवराज सिंह चौहान का आगे राजनीतिक कद कितना बड़ा होगा, उन्हें केंद्र में बुलाया जाएगा या फिर मध्य प्रदेश में ही संतुष्ट करने की कोशिश की जाएगी, ये सब अगले कुछ समय के लिए कयासों के दायरे में आ गया है। केंद्रीय मंत्रियों और कद्दावर नेताओं को दरकिनार करते हुए पार्टी द्वारा डॉ मोहन यादव का नाम आगे लाने को जातीय और राजनीतिक समीकरण और गुणा-गणित से जोड़ा जा रहा है।
विदाई की बात कह शिवराज दे गए मैसेज
बधाई के बाद विदाई की बात करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कबीर के प्रसिद्ध भजन की पंक्ति का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि 'जस की तस रख दीनी चदरिया'. दरअसल ये पंक्ति कबीर के भजन से ली गई है. कबीर की पंक्तियों से प्रेरित इन पंक्तियों का सामान्य अर्थ निकलता है कि उन्हें जो पद दिया गया था उन्होंने ज्यों का त्यों वापस कर दिया है. हमेशा ऊर्जावान दिखने वाले शिवराज सिंह चौहान जब ये पंक्तियां कह रहे थे तब उनका बॉडी लेंग्वेज पहले की तुलना बदला-बदला सा रहा. जानकारों का कहना है कि शिवराज केंद्र के फैसले से खुश नहीं हैं.
बंपर जीत के बाद भी बदला सीएम
मालूम हो कि शिवराज सिंह चौहान डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. इसबार भी जब भारतीय जनता पार्टी चुनाव में उतरी तब भी वो मुख्यमंत्री पद पर ही थे. बीजेपी को चुनाव में विराट जीत मिली और 230 विधानसभा सीटों में से 163 सीटें उनके खाते में गईं. चुनाव में पार्टी को बंपर बहुमत मिला इसके बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा है. जानकारों का कहना है कि ये शायद पहला ऐसा मामला होगा, जहां बंपर बहुमत मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री बदला गया हो.
4 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज
शिवराज सिंह चौहान पहली बार साल 2005 में सीएम बने थे। दरअसल मध्य प्रदेश में 2003 में बीजेपी के जीतने के बाद उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन उनके विवादित बयानों के आलाकमान नाराज थे और आठ महीने में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद प्रदेश की कमान वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर को सौंपी गई, मगर उनके खिलाफ भी पार्टी में बगावत हो गई। तब बीजेपी ने एक नया चेहरा तलाशा और शिवराज सिंह चौहान पहली बार एमपी के मुख्यमंत्री बनाए गए। जब उन्होने सीएम पद संभाला तब वे लोकसभा सांसद थे। इसके बाद 2005 में उन्होने बुधनी से उपचुनाव लड़ा और भारी मतों से जीते। फिर तो सिलसिला चल पड़ा। 2008 और 2013 में फिर उन्हें ही सूबे का मुखिया बनाया गया। साल 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी और बीजेपी में शामिल हो गए। उनके साथ कई और विधायक भी बीजेपी में आ गए और एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। इसी के साथ फिर शिवराज को ही मुख्यमंत्री बनाया गया।
अपार लोकप्रियता पाने वाले नेता
2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की। लेकिन इस बार पार्टी ने पहले से कोई सीएम फेस घोषित नहीं किया था। इस बार भी शिवराज उनका गढ़ कही जाने वाली बुधनी विधानसभा सीट से 1 लाख से अधिक वोटों के बड़े अंतर से जीते और नतीजों के बाद मुख्यमंंत्री पद के दावेदारों में उनका नाम सबसे ऊपर लिया जा रहा था। मध्य प्रदेश में ‘मामा’ और ‘पांव पांव वाले भैया’ के नाम से पहचाने जाने वाले शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता बेजोड़ रही है और महिलाओं के बीच वो बहुत ही लोकप्रिय हैं। जनता के साथ शिवराज का कनेक्ट अदभुत रहा है।
विवादों में भी घिरे
हालांकि उनके नाम कुछ ऐसे आरोप रहे हैं जिन्होने कभी उनका पीछा नहीं छोड़ा। 2013 में मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाला सामने आया, जिसने देशभर में सनसनी फैला दी थी। परीक्षा में असली कैंडिडेट की जगह पैसे देकर किसी और को बिठाकर नकल कराने के मामले में बहुत हंगामा हुआ। वहीं मंदसौर गोलीकांड और डंपर घोटाला सहित कुछ अन्य मामलों में भी उनके दामन पर छींटें उड़ते रहे। फिर भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं दिखी।
अब आगे क्या ?
इस दफा जब नए मुख्यमंत्री के रूप में बीजेपी ने मोहन यादव का नाम घोषित किया को शिवराज सिंह चौहान के 5वीं बार मुख्यमंत्री बनने के सफर पर विराम लग गया। इस घोषणा के बाद कई महिलाएं उनके निवास पर पहुंचीं और फूट फूटकर रोईं। वहीं एक दिन पहले शिवराज सिंह चौहान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि वो पार्टी के कार्यकर्ता हैं और पार्टी के मिशन में लगे रहेंगे। उन्होने कहा कि संतोष भाव के साथ जा रहा हूं और हम मध्य प्रदेश को अंधेरों के घेरों से निकालकर उजालों की नई दुनिया में लेकर आए हैं। हालांकि कुछ मौकों पर वो भावुक भी नज़र आए और उनकी पीड़ा भी झलकी। अब वो पूर्व मुख्यमंत्री हो चुके हैं और मध्य प्रदश में शिव’राज’ समाप्त हो चुका है लेकिन इतना तो तय है कि उन्हें बहुत जल्दी बहुत आसानी से भुलाया नहीं जा सकेगा। आगे उनकी क्या काम रहेगा। क्या वे प्रदेश में ही रहकर संगठन का काम संभालेंगे या फिर दिल्ली जाएंगे ? वे पत्रकारों के सवाल के जवाब में मंगलवार को कह चुके हैं कि ‘मध्य प्रदेश में बैठा हूं..मध्य प्रदेश कहां छूटेगा”। लेकिन पार्टी उनके लिए क्या तय करती है और आने वाले समय में उनकी क्या भूमिका होगी, ये तो वक्त के साथ ही पता चलेगा।