भोपाल
बीते 3 दिसंबर को आए मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम के 7 दिन बाद आखिरकार सोमवार शाम को मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया गया. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का चयन करने के लिए बीजेपी ने सोमवार शाम 4 बजे विधायक दल की बैठक बुलाई. पर्यवेक्षक के रूप में हरियाणा के मुख्यमंत्री सहित 3 बीजेपी नेता सुबह भोपाल पहुंचे. शाम 4 बजे शुरू हुई विधायक दल की बैठक में पर्यवेक्षकों ने विधायकों से रायशुमारी की. पर्यवेक्षकों ने एक-एक विधायक से मुख्यमंत्री के नाम के बारे में राय ली. इसके बाद एक नाम पर सहमति बनी. इसके बाद इस नाम के बारे में पर्यवेक्षकों ने दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व को जानकारी दी.
छत्तीसगढ़ के बाद अब मध्यप्रदेश को भी नया मुख्यमंत्री मिल गया है. उज्जैन दक्षिण से भाजपा विधायक डॉक्टर मोहन यादव राज्य के MP के नए CM होंगे. बीएससी, एलएलबी और पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुके मोहन यादव शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे हैं. नेटवर्थ की बात करें तो इनके पास करोड़ों की संपत्ति है. विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने चुनाव आयोग में दिए गए हलफनामे में इसका खुलासा किया था. Myneta.com के मुताबिक, मध्य प्रदेश के नए सीएम के पास कुल 42 करोड़ रुपये की संपत्ति है. जबकि उनके ऊपर देनदारी की बात करें तो ये करीब 9 करोड़ रुपये है. MP के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव की गिनती राज्य के अमीर नेताओं में की जाती है, इससे पहले मध्यप्रदेश में 2018 के हुए विधानसभा चुनाव के लिए अधिकतम संपत्ति घोषित करने वाले एमपी के टॉप-3 मंत्रियों में पहले नंबर पर भूपेंद्र सिंह और दूसरे नंबर पर मोहन यादव का नाम था.
प्रहलाद पटेल का नाम सबसे ऊपर था : सोमवार को बीजेपी के पर्यवेक्षेक सुबह भोपाल पहुंचे तो सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई. चूंकि छत्तीसगढ़ में आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसलिए ये कयास लगाए जाने लगे कि मध्यप्रदेश की कमान प्रहलाद पटेल को मिल सकती है. क्योंकि प्रहलाद पटेल ओबीसी वर्ग से आते हैं. इसके साथ ही प्रहलाद पटेल को राजनीति का भी अच्छा अनुभव है. बीजेपी में उनका कोई खेमा नहीं है. वह एक अच्छे वक्ता भी हैं. प्रहलाद पटेल को पीएम मोदी व गृह मंत्री अमित शाह का करीबी भी माना जाता है.
दो डिप्टी सीएम के नाम घोषित : इसके साथ ही छत्तीसगढ़ की तर्ज पर दो डिप्टी सीएम के नाम घोषित किए गए हैं. ये हैं रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ल और मंदसौर जिले से विधायक जगदीश देवड़ा. ये दोनों शिवराज सरकार में मंत्री थे. शुक्ल को जनसंपर्क मंत्री बनाया गया था और देवड़ा वित्त मंत्री थे. इसके अलावा नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है. तोमर हाल ही में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. वह मुरैना के दिमनी सीट से विधायक चुने गए हैं.
ये थे सीएम पद के दावेदार : बता दें कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में शिवराज सिंह चौहान, प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लगातार चलता रहा. चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर ये अन्य दावेदार लगातार दिल्ली में लॉबिंग करते रहे. इनमें प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान के साथ ही कैलाश विजयवर्गीय हाल ही में विधानसभा का चुनाव जीते हैं. नरेंद्र सिंह तोमर व प्रहलाद पटेल मोदी सरकार में मंत्री थे. इन्होंने अपने इस्तीफे दे दिए. इसके बाद इस बात को और बल मिला कि इन दो में से कोई एक एमपी का सीएम बन सकता है. सोमवार को विधायक दल की मीटिंग से पहले सिंधिंया दिल्ली में थे. ऐसे में ये तय हो गया कि सिंधिया सीएम की दौड़ से बाहर हो चुके हैं.
अंत तक नहीं मानी शिवराज ने हार : 18 साल से ज्यादा समय से मुख्यमंत्री पद संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान ने अंत समय तक हार नहीं मानी. चुनाव परिणाम आने के बाद जहां सीएम के दावेदार चेहरे दिल्ली में लॉबिंग करते रहे तो शिवराज ने मध्यप्रदेश में ही रहना ठीक समझा. इसके साथ ही उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को प्रभावित करने के लिए लोकसभा चुनाव में 29 में से 29 सीटें जीतने का संकल्प लिया. इसके साथ ही शिवराज ने छिंदवाड़ा का दौरा किया. क्योंकि छिंदवाड़ा ही ऐसी लोकसभा सीट है जहां बीजेपी 2014 व 2019 में मोदी लहर के बाद भी जीत हासिल नहीं कर सकी. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने उन सीटों का दौरा किया जहां से बीजेपी को मोदी लहर के बाद भी हार का सामना करना पड़ा. इसके साथ ही शिवराज इस दौरान लाड़ली बहना कार्यक्रम में भी शामिल होते रहे. शिवराज ये जताते रहे कि लाड़ली बहना योजना के कारण ही बीजेपी को बंपर जीत मिली है.