भोपाल
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पर सस्पेंस आज खत्म हो जाएगा. बीजेपी ने आज नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक बुलाई है. मीटिंग में केंद्रीय पर्यवेक्षक की मौजूदगी में विधायक दल का नेता चुना जाएगा. बीजेपी ने 230 सीटों वाले एमपी में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में 163 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं कांग्रेस इस बार 66 सीटों पर सिमट गई.
बीजेपी इस बार मध्यप्रदेश में बिना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए उतरी थी. बीजेपी ने पीएम मोदी और सामूहिक नेतृत्व पर यह चुनाव लड़ा था. ऐसे में सभी की निकाहें इसी सवाल पर टिकी हैं, कि सूबे की कमान किसे मिलेगी?
माना जा रहा है कि विधायक दल की बैठक 4 बजे शुरू होगी. 7 बजे तक सीएम चेहरे का ऐलान हो सकता है. पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के प्रमुख के लक्ष्मण और सचिव आशा लाकड़ा के सुबह 11 बजे भोपाल पहुंचने की उम्मीद है. समाचार एजेंसी के मुताबिक, एक विधायक ने बताया कि हमने 1 बजे लंच रखा है. मीटिंग 4 बजे शुरू होगी. 2004 के बाद से यह तीसरी बार है जब बीजेपी ने मध्य प्रदेश में केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजे हैं.
अगस्त 2004 में, जब उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, तो पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन और अरुण जेटली को राज्य में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में भेजा गया था. इसके बाद नवंबर 2005 में जब बाबूलाल गौर ने सीएम पद से इस्तीफा दिया, तो नया विधायक चुनने में मदद करने के लिए राजनाथ सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था. उस वक्त शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना गया था.
शिवराज की रणनीति
अब शिवराज सिंह चौहान एक काफी अनुभवी और समझदार नेता माने जाते हैं। वे दूसरे नेताओं की तरह दिल्ली नहीं गए, बल्कि मध्य प्रदेश में रहकर ही अपनी लोकप्रियता दर्शाते रहे। उन्होंने उन इलाकों का सबसे ज्यादा दौरा किया जहां पार्टी कुछ कमजोर है। छिंदवाड़ा से लेकर श्योपर तक उन्होंने यात्रा की, कई लोगों से मुलाकात की, अपनी लाडली बहनों से संपर्क साधा। साफ संदेश दिया गया कि 2024 के चुनाव में इन हारी हुई सीटों पर भी कमल खिलाने के लिए शिवराज की जरूरत पड़ने वाली है।
अभी तक आलाकमान ने तो कोई संकेत नहीं दिया है कि वे शिवराज को कायम रखने वाले हैं या नए चेहरे पर दांव चलने वाले हैं, लेकिन माना जा रहा है कि कुछ तो बड़ा और निर्णायक फैसला लिया जाएगा। मध्य प्रदेश में अगर शिवराज की दावेदारी को छोड़ दिया जाए तो सीएम रेस में प्रह्लाद सिंह पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता के नाम भी सामने आ रहे हैं।
विजवर्गीय और प्रह्लाद की आस
कैलाश विजयवर्गीय ने तो रविवार को ही शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात भी की। इसी तरह शनिवार को प्रह्लाद सिंह भी शिवराज से मिलने पहुंच गए थे। इसी वजह से कन्फ्यूजन कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ गया। एमपी में वैसे भी बीजेपी को क्योंकि दो तिहाई वाला बहुमत मिला है, पार्टी सीएम चुनने में जल्दबाजी नहीं करना चाहती। जानकारी जरूर ऐसी मिल रही है कि इस समय प्रह्लाद सिंह पटेल को रेस में ज्यादा आगे बताया जा रहा है। वे भी शिवराज सिंह चौहान की तरह एक ओबीसी चेहरा हैं और उनके लोधा समुदाया की एमपी की राजनीति में निर्णायक भूमिका है।
अब पार्टी क्या उनके साथ जाती है या फिर शिवराज सिंह चौहान का ही हाथ थामती है, इसके लिए कुछ घंटे और इंतजार करने की जरूरत है। विधायक दल बता देगा कि मध्य प्रदेश में इस बार किसके सिर सजने जा रहा ताज।
मुख्यमंत्री की रेस में ये चेहरे
इस बार बीजेपी ने चार बार के सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपने सीएम चेहरे के रूप में पेश किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा. शिवराज 2005, 2008, 2013 और 2020 में सीएम पद की शपथ ले चुके हैं. ऐसे में उन्हें सीएम की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है.
हालांकि, छत्तीसगढ़ की तरह बीजेपी एमपी में भी नए चेहरे को सीएम बना सकती है. छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने तीन बार के सीएम रमन सिंह के बजाय विष्णु देव साय को कमान दी है. ऐसे में पूर्व केंद्रीय मंत्री और ओबीसी चेहरा प्रह्लाद पटेल का नाम भी रेस में हैं. उन्होंने इस बार विधानसभा चुनाव भी लड़ा है. इसके अलावा दिमनी से विधायक नरेंद्र तोमर, इंदौर के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम इस पद के लिए सबसे आगे चल रहे हैं
2003 के बाद से मध्य प्रदेश में ओबीसी सीएम है. भाजपा के सभी तीन मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज चौहान तीनों अन्य पिछड़ा वर्ग से रहे हैं. एमपी में ओबीसी की आबादी करीब 48 फीसदी है. प्रह्लाद पटेल, नरेंद्र तोमर, वीडी शर्मा और सिंधिया नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं. इन सभी नेताओं ने जेपी नड्डा से भी मुलाकात की है.