इंदौर
आम चुनाव के मौसम में सरकार ने दाल सस्ती करने की गरज से पीली मटर का आयात खोल दिया है। केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दस साल बाद देश में पीली मटर का आयात शुरू करने के संकेत दिए। पीली मटर के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया गया है। पहले आयात शुल्क 50 प्रतिशत था जिसे अब शून्य कर दिया गया है। हालांकि अधिसूचना में न्यूतम कीमत का बंधन छह गुना तय किया गया है। इस नोटिफिकेशन से कारोबारी और आयातक उलझ गए हैं।
देश के किसानों के हितों के लिए करीब दस साल से देश में पीले मटर के आयात को अनुमति नहीं है। बीते दिनों में देश में चना दाल के दाम ऊंचे हुए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने नैफेड के चने से दाल बनवाकर रियायती दामों पर देशभर में वितरित की थी। अब नैफेड के पास चने का स्टाक न के बराबर है। ऐसे में सरकार ने नया नोटिफिकेशन जारी कर मटर आयात पर लगने वाली ड्यूटी 31 मार्च 2024 तक के लिए तत्काल प्रभाव से हटा दी है।
कुछ वर्ष पहले केंद्र सरकार ने मटर आयात को प्रतिबंधित केटेगरी में डालने के साथ न्यूनतम आयात मूल्य (एमआइपी) 200 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया था। सरकार के ताजा नोटिफिकेशन को ध्यान से पढ़ा जाए तो इसके अनुसार अभी ड्यूटी तो हटा दी गई है, लेकिन एमआइपी वही रखा गया है। कारोबारियों के अनुसार इसका अर्थ है कि विदेश से आयातित मटर का मूल्य 200 रुपये प्रति किलोग्राम से कम नहीं होना चाहिए।
दलहन आयात कारोबार से जुड़े कारोबारी अरुण दोषी के अनुसार सरकार दाल सस्ती करने के लिए मटर का आयात खोलना चाह रही है। पीला मटर देश में आयात हुआ तो यहां चने के दाम में सीधे तौर पर एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की कमी आ जाएगा। हालांकि ताजा नोटिफिकेशन में एआइपी 200 रुपये तय की है।
दरअसल विदेश में मटर के दाम 400 से 450 डालर प्रति टन है। यानी वहां 28 से 30 रुपये किलो मटर मिल रहा है। भारत का व्यापारी आयात करता है तो ताजा अधिसूचना के अनुसार उसे 200 रुपये किलो का बिल बनवाना होगा। विदेशी निर्यात करने वाला उसे छह गुना कीमत का बिल कैसे बनाकर देगा। दूसरी और सस्ता मटर कोई झूठे बिल पर आयात करता है और रुपये विदेश भेजकर फिर वापस लेता है तो वह आगे मनी लांड्रिंग के मामले में उलझ जाएगा। आने वाले समय में न्यूनतम मूल्य सीमा को हटाना होगा। तभी मटर का आयात शुरू हो सकेगा।