भोपाल
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में एक दर्जन उम्मीदवार ऐसे है जो एक हजार से भी कम मतों से चुनाव जीते है। नोटा ने यहां उम्मीदवारों की जीत-हार का गणित गड़बड़ा दिया। इन विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं ने जितने वोट नोटा को दिए है वे यदि उम्मीदवारों के खाते में आते तो यहां जीत-हार का पासा पलट सकता था।
यहां उम्मीदवारों की जीत-हार के अंतर से अधिक वोट नोटा पर पड़े है। प्रदेश में सबसे कम मात्र 28 वोटों से शाजापुर विधानसभा सीट का चुनाव जीतने वाले भाजपा के उम्मीदवार अरुण भीमावद से कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व मंत्री रहे हुकुम सिंह कराड़ा 98 हजार 932 मत लेकर भी चुनाव हार गये। इस विधानसभा सीट पर नोटा पर 1534 वोट पड़े है। यह जीत हार के अंतर से काफी अधिक है।
प्रदेश में दूसरी सबसे कम मतों से जीत महिदपुर में कांग्रेस के दिनेश जैन की रही है। वे मात्र 290 मतों से चुनाव जीते है जबकि यहां नोटा पर ही 1417 वोट पड़े है। यहां कुल दस उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। इनमें से निर्दलीय प्रताप सिंह आर्य ने 20 हजार 662 मत लेकर जीत-हार का समीकरण बिगाड़ा। वहीं आजाद समाज पार्टी के राजेश वारसी ने 1388 और बसपा के राधेश्याम ने 931 मत लेकर जीत-हार का समीकरण बदल दिया। शेष पांच निर्दलीय उम्मीवारों ने यहां 2216 मत प्राप्त किए।
धरमपुरी में कांग्रेस के पांचीलाल मेढ़ा 83 हजार 851 मत लेकरभी भाजपा के कालू सिंह ठाकुर से मात्र 356 मतों से चुनाव हार गए। यहां नोटा पर ही 2455 मत पड़े है। तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी यहां 5796 मत प्राप्त किए है। ये मत यदि पांचीलाल मेढ़ा को मिल जाते तो वे हारी हुई बाजी जीत सकते थे।