नई दिल्ली
लैंडर विक्रम द्वारा चंद्रमा पर उड़ान भरने के कुछ सप्ताह बाद ही चंद्रयान-3 का प्रणोदन मॉड्यूल (पीएम) पृथ्वी की कक्षा में वापस आ गया। इस घटना ने इसरो को भारत के अगले बड़े चंद्रयान मिशन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने का एक सुनहरा मौका प्रदान किया है। इसरो ने यह भी कर दिखाया है कि चंद्रमा की सतह पर इंजनों को फिर से चालू कर सकता है। साथ ही एक अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में वापस लाया जा सकता है। चंद्रयान-4 का उद्देश्य चंद्रमा से नमूने वापस लाना है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ के हवाले से इस नए मिशन की जानकारी दी है।
इसके लिए इसरो की पाइपलाइन में स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SPADEX) शामिल है। सोमनाथ ने कहा, “नमूना वापसी मिशन बहुत अधिक जटिल है, क्योंकि इसमें कई स्तर पर सफल होना होगा। नमूने एकत्र करें और उन्हें एक कनस्तर में रखें। इसके बाद उस यूनिट को उस यूनिट में लौटाएं जो चंद्रमा से उड़ान भरेगी। चंद्रमा की कक्षा तक पहुंच जाएगी। जहां इसे एक ऐसे अंतरिक्ष यान की आवश्यक्ता होगी, जो पृथ्वी की कक्षा में वापस आएगा। इसके बाद यूनिट को अलग होने और पृथ्वी की कक्षा में एक अंतरिक्ष यान से जुड़ने की जरूरत है।”
इसलिए SPADEX न केवल चंद्र नमूना वापसी मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयोग होगा, बल्कि इसरो को अंतरिक्ष में यान के मिलन से संबंधित तकनीक पर डेटा भी देगा। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दो अंतरिक्ष यान एक दूसरे को ढूंढ सकते हैं और एक ही कक्षा में रह सकते हैं। यह एक अंतरिक्ष स्टेशन के लिए महत्वपूर्ण है। इससे वहां मनुष्यों को भेजने में भी आसानी होगी। आपको बता दें कि पीएमओ ने हाल ही में इसरो के लिए एक रोडमैप सार्वजनिक किया था, जिसमें 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा पर मानव को भेजने का लक्ष्य शामिल है।
सोमनाथ ने कहा, “हम 2024 के अंत तक SPADEX का लक्ष्य रख रहे हैं। उपग्रह तैयार हो रहा है। प्रयोग के हिस्से के रूप में उपग्रह दो घटकों के साथ लॉन्च किया जाएगा। यह दो टुकड़ों में अलग हो जाएगा और फिर एक टुकड़े में जुड़ जाएगा। जुड़ने के बाद फिर यह अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम करने लगेगा। चंद्रयान -4 की अब तक की प्रगति पर सोमनाथ ने कहा: “हमने एक टीम की पहचान की है और मैंने प्रारंभिक परियोजना और समग्र वास्तुकला की समीक्षा की है। अब सिस्टम-दर-सिस्टम समीक्षा, तकनीक समीक्षा और विभागीय समीक्षा आदि करनी होगी। यह एक लंबी प्रक्रिया है लेकिन काम जारी है।”
भारत जापान के साथ लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (लुपेक्स) मिशन पर भी काम कर रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी की पुष्टि करना है। इसरो ने अभी तक मंजूरी के लिए अंतिम परियोजना रिपोर्ट जमा नहीं की है, क्योंकि लैंडर और रोवर के वजन से संबंधित कुछ मुद्दों पर दोनों पक्षों द्वारा विचार किया जा रहा है। क्या चंद्रयान-4 लुपेक्स को प्रभावित करेगा? सोमनाथ ने इस सवाल के जवाब में कहा, “मैं आज तक भविष्यवाणी नहीं कर सकता। दोनों अनुमोदन प्रक्रिया में हैं। ल्यूपेक्स एक अंतरराष्ट्रीय भागीदारी है और हमें दूसरी तरफ से भी तत्परता की जरूरत है जबकि चंद्रयान-4 हमारा अपना है। मैं भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि कौन सा पहला होगा।”