नई दिल्ली
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 'दिल्ली जल बोर्ड' की सीएजी ऑडिट का फैसला किया है। उन्होंने पिछले 15 साल का ऑडिट कराने का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि शीला दीक्षित की अगुआई में 2013 तक चली कांग्रेस सरकार के दौरान हुए कामकाज की भी जांच की जाएगी। मुख्यमंत्री दफ्तर की ओर से बताया गया है कि जल बोर्ड में गड़बड़ी के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। सरकार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड में आर्थिक अनियमितता के लगाए जा रहे आरोपों की वजह से सीएजी ऑडिट का फैसला लिया गया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि विपक्ष के लोग आरोप लगा रहे हैं और सीएजी ऑडिट से सब साफ हो जाएगा। उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, 'विपक्ष के लोग कुछ कुछ आरोप लगा रहे हैं। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा यदि सीएजी ऑडिट होगा। 15 साल का ऑडिट हमने ऑर्डर किया है दिल्ली जल बोर्ड का। यह थर्ड पार्टी है, देश की सबसे बड़ी संस्था है सीएजी। दूध का दूध और पानी का पानी होगा। अगर किसी ने गड़बड़ की है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। अगर गड़बड़ नहीं की है तो ये लोग जो रोज उलट-सुलट आरोप लगाते रहते हैं वो पता चल जाएगा।'
दिल्ली में होगी पानी की बड़ी समस्या: केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली जल बोर्ड को फंड नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए कहा, 'यह अफसरशाही यदि सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं होगी तो सरकार चलाना असंभव हो जाएगा। अभी दिल्ली जल बोर्ड को फंड नहीं दिया जा रहा है। इससे पूरी दिल्ली में पानी और सीवर की बहुत बड़ी समस्या पैदा होने जा रही है। जल मंत्री आतिशी जगह-जगह जा रही हैं। अभी से कई जगह सीवर ओवरफ्लो कर रहे हैं, मेंटिनेंस की दिक्कत आ रही है। फंड की दूसरी किस्त जारी नहीं की जा रही है। यह स्थिति अच्छी नहीं है।'
भाजपा ने लगाया है भ्रष्टाचार का आरोप
दिल्ली सरकार ने ऑडिट का यह फैसला ऐसे समय पर किया है जब जल बोर्ड को लेकर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली भाजपा ने पिछले सप्ताह आरोप लगाया था कि दिल्ली जल बोर्ड के 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के अपग्रेडेशन में भ्रष्टाचार हुआ। भाजपा ने 400-500 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाते हुए ईडी और सीबीआई से जांच की मांग की थी। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एलजी वीके सक्सेना को लेटर लिखकर जांच कराने की मांग की थी।