नई दिल्ली
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया है. चुनाव में जो सांसद जीतकर आए हैं, वो संसद की सदस्यता से इस्तीफा देंगे. बुधवार को ऐसे 12 सांसदों ने इस्तीफा सौंप दिया है.
बता दें कि बीजेपी ने तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनाई है. जबकि तेलंगाना में आठ सीटें जीती हैं. बीजेपी ने चार राज्यों में विधानसभा चुनाव में 21 सांसदों को टिकट दिया था. राजस्थान और मध्य प्रदेश में सात-सात सांसदों को चुनाव लड़ाया था. वहीं, छत्तीसगढ़ में चार और तेलंगाना में तीन सांसदों को विधानसभा में टिकट दिया था.
बीजेपी ने चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में अपने 21 सांसदों को मैदान में उतारा था, ताकि वे ज्यादा सीटें जीत सके। बीजेपी ने राजस्थान और एमपी में 7-7, छत्तीसगढ़ में 4 और तेलंगाना में 3 सांसदों को उम्मीदवार बनाया था। इनमें से 12 सांसद चुनाव जीते यानी 9 अन्य सांसद विधानसभा का चुनाव हार गए। जीते सांसद क्या सांसदी से इस्तीफा देंगे या फिर विधानसभा से, और जो सांसद हारे हैं उनका क्या होगा, चुनावी नतीजों के बाद इन सवालों पर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं।
अब बीजेपी हाईकमान ने विधानसभा चुनाव जीते हुए सांसदों से मुलाकात की और संसद सदस्यता छोड़ने का फैसला लिया. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ सभी सदस्य इस्तीफा देने के लिए स्पीकर से मिलने पहुंचे.
राजस्थान से कौन देगा इस्तीफा..
-राज्यवर्धन राठौड़
-दीया कुमारी
– किरोड़ी लाल मीना
मध्य प्रदेश…
– नरेंद्र तोमर
– प्रह्लाद पटेल
– राकेश सिंह
– रीति पाठक
– उदय प्रताप सिंह
छत्तीसगढ़
– गोमती साईं
– अरुण साव
जो पार्टी कहेगी वो करेंगे
विधानसभा चुनाव जीते तीन सांसदों से बात करने पर उन्होंने कहा कि जो पार्टी कहेगी, वह करेंगे। पार्टी के एक नेता ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि लोकसभा चुनाव में छह महीने से भी कम का वक्त बचा है, इसलिए इसकी ज्यादा संभावना है कि विधानसभा चुनाव जीते ज्यादातर सांसद अपनी संसद की सदस्यता छोड़ देंगे और विधायक बने रहेंगे। नियमों के मुताबिक 14 दिनों के भीतर इन्हें या तो संसद या फिर विधानसभा सदस्यता की से इस्तीफा देना होगा, नहीं तो संसद की सदस्यता खुद ही रद्द मानी जाएगी।
कहां कौन जीता- कौन हारा
एमपी में बीजेपी ने अपने सांसद नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, राकेश सिंह, गणेश सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते, राव उदय प्रताप, रीति पाठक को टिकट दिया था। इसमें फग्गन सिंह कुलस्ते और गणेश सिंह चुनाव हार गए। राजस्थान में बीजेपी सांसद दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, भागीरथ चौधरी, नरेंद्र खीचड़, किरोणी लाल मीणा, देवजी पटले और राज्यवर्धन राठौड़ को विधानसभा चुनाव लड़वाया था। इनमें भागीरथ चौधरी, नरेंद्र खीचड़ और देवजी पटेल जीत नहीं पाए। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सांसद विजय बघेल, रेणुका सिंह, गोमती साय और अरुण साव भी मैदान में थे। इनमें से विजय बघेल चुनाव हारे। तेलंगाना में सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार, धर्मपुरी अरविंद और सोयम बाबू को विधानसभा में चुनाव लड़वाया गया था, लेकिन बीजेपी के ये तीनों सांसद ही चुनाव हार गए।
हारे सांसदों का क्या होगा?
बीजेपी के 9 सांसद जो विधानसभा का चुनाव हारे हैं, उनका क्या होगा? अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में क्या पार्टी उन्हें फिर से लोकसभा का उम्मीदवार बनाएगी? इस सवाल पर बीजेपी के एक नेता ने कहा कि विधानसभा चुनाव हारने का मतलब यह नहीं है कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकते। अगर छत्तीसगढ़ में देखें तो विजय बघेल ने वहां भूपेश बघेल को कड़ी टक्कर दी। वह चुनाव हारे, यह अलग बात है। तेलंगाना के एक बीजेपी नेता ने कहा कि तेलंगाना के लोगों ने बदलाव का मन बनाया था और उन्होंने कांग्रेस पर भरोसा जताया। यह चुनाव सत्ता विरोधी लहर पर सवार था और इसलिए लोगों ने एक पार्टी को वोट दिया। बीजेपी सांसदों का अपने इलाके में काफी जनाधार है।
पार्टी के एक सीनियर नेता ने तेलंगाना में चुनाव हारे एक सांसद का नाम लेकर कहा कि उन्होंने तो वोटिंग से पहले ही अपनी सीट पर नतीजा बता दिया था। पहले दिन ही लोगों ने उनसे कहा था कि वे उन्हें सांसद देखना चाहते हैं और लोकसभा चुनाव में सपोर्ट करेंगे। बंदी संजय को चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने के फैसले से हुए नुकसान को लेकर भी पार्टी के लोग चर्चा कर रहे हैं।