भोपाल
इस बार के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को खासा झटका लगा है। उनकी परम्परागत सीट भी इस बार जहां फंसी हुई सी दिखाई दी, वहीं उनके छोटे भाई सहित कुछ रिश्तेदार और उनके खास समर्थक चुनाव में हार गए। वहीं दूसरा संयोग यह भी रहा कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर गरजने वाले अधिकांश कांग्रेस विधायकों को हारना का सामना करना पड़ा।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस बार अपने रिश्तेदारों समेत कई समर्थकों को टिकट दिलाए थे। उनके बेटे जयवर्धन सिंह उनकी ही परम्परागत सीट राघौगढ़ से चुनाव लड़े थे। जयवर्धन सिंह इस बार बहुत संघर्ष करने के बाद जीत सके। जयवर्धन सिंह ने वर्ष 2018 में 46 हजार 697 वोटों से जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार उनकी जीत घटकर 4505 वोटो पर सिमट गई। दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह पिछला चुनाव करीब दस हजार वोटों से चाचौड़ा से जीते थे, इस बार वे 48 हजार 684 वोटों से चुनाव हार गए। उनके रिश्तेदार केपी सिंह कक्काजू पिछोर से लगातार चुनाव जीत रहे थे, लेकिन इस बार उन्हें दिग्विजय सिंह ने शिवपुरी से टिकट दिलाया और वे हार गए। खिलचीपुर से उनके रिश्तेदार प्रियव्रत सिंह 13 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव हार गए। उनके करीबी नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, विक्रम सिंह नातीराजा भी इस बार चुनाव में हार गए।
सिंधिया पर गरजना नहीं आया काम
वहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर गरजने वाले कांग्रेस के विधायक इस बार चुनाव नहीं जीत सके। सिंधिया पर सबसे ज्यादा डॉ. गोविंद सिंह निशाना साधते थे। सिंधिया जब कांग्रेस में थे, तब भी वे डॉ. गोविंद सिंह के निशाने पर रहते थे। इस बार गोविंद सिंह चुनाव हा गए। ग्वालियर-चंबल की राजनीति में केपी सिंह कक्काजू को भी सिंधिया का विरोधी शुरू से माना जाता रहा है। वे भी इस बार चुनाव हार गए। सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, कुणाल चौधरी भी पिछले तीन साल से सिंधिया के खिलाफ मुखर थे, ये भी चुनाव हार गए।