मिथलेश देवांगन/राजनांदगांव
संस्कारधानी राजनांदगांव की जनता ने डा. रमन सिंह को विजय दिलाकर एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता का प्रमाण दिया है। कांग्रेस की कर्ज माफी जैसी कथित प्रभावकारी घोषणा और कई तरह के चुनावी दांव-पेंचों के चलते टक्कर वाली मानी जा रही राजनांदगांव सीट पर रमन की ऐतिहासिक मतों से जीत ने बता दिया कि संस्कारधानी को रमन की वह सरल व स्वच्छ छवि भा गई, जो 1999 में लोकसभा चुनाव के बाद से यहां की जनता देख रही हैं।
नकारात्मकता से कोसों दूर रहने वाले रमन उच्च सुरक्षा घेरे के बाद भी बड़ी सहजता से लोगों के बीच पहुंचते रहे। हमेशा उनके लिए उपलब्ध रहे। उनके इसी व्यक्तित्व को जनता ने चौथी बार पसंद किया। लोगों ने उनके 15 वर्षों के मुख्यमंत्रितत्व काल को करीब से देखा है। उनकी बेदाग छवि हर वर्ग को भायी। इस जीत से यहां की जनता के प्रति डा. रमन का विश्वास प्रगाढ़ हुआ है।
यह भी कह सकते हैं कि यह योग्य राजनेता की भी जीत है। क्योंकि विगत पांच वर्ष के विपक्ष वाले विधायकी कार्यकाल को भी बारीकी से समझा। इस दौरान विकास के पैरों पर पड़ी जंजीरों को तोड़ने की अपेक्षा ने रमन की जीत को भारी-भरकम बनाया। कोरोना काल में क्षेत्र की जानता से सतत संपर्क, संवाद और दिलखोल सहयोग ने सहजता की अमिट छाप छोड़ी। महिला, पुरुष, युवा व प्रबुद्ध वर्ग ने दिल खोलकर वोट किया। 61 प्रतिशत मत मिलना यह भी दर्शाता है कि रमन के मन में नंदगांव और नांदगांव के दिल में रमन हैं।
दूसरी तरफ बंद हो चुकी बीएनसी मिल्स के बदल नया उद्योग खोलने का चुनावी वादा पूरा नहीं होना भी भाजपा के लिए लाभकारी रहा। सड़कों की बदहाली, सरकारी कार्यालयों की दूसरे जिलों में शिफ्टिंग, मेडिकल कालेज अस्पताल में आवश्यक सुविधाओं के साथ चिकित्सकों की कमी, क्षेत्र में विकास कार्यों का रुकना, कांग्रेस की अकल्पनीय हार का कारण बना। इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार की शराबबंदी को लेकर वादाखिलाफी, बेरोजगारों को चुनावी वर्ष से भत्ते की शुरुआत, संविदा कर्मचारियों के नियमित नहीं करने की नाराजगी का भी लाभ राजनांदगांव में भाजपा को मिला।