आईजोल
मिजोरम में ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) ने आम आदमी पार्टी (AAP) जैसा मैजिक किया है। मिजोरम के मुख्यमंत्री के दफ्तर में अस्सिटेंट की पहली नौकरी करने वाले पूर्व आईपीएस ऑफिसर लालदुहोमा सुर्खियों में हैं। इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी इंचार्ज रहे चुके लालदुहोमा (Lalduhoma) का सफर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। पांच साल पहले 2018 में चुनावों में आठ पार्टियों ने मिले जेडीपीएम का गठन किया था। तब लालदुहोमा ने उस वक्त के मौजूदा सीएम को हराने के साथ दो सीटों से जीत हासिल की थी। इसमें एक सीट उन्होंने छोड़ दी थी, लेकिन बाद में सत्ता में आए मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) की तरफ से विधानसभा स्पीकर को दी गई शिकायत के बाद उन्हें विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित कर दिया गया था, हालांकि वे उप चुनाव में फिर से जीत का विधानसभा में पहुंच गए थे। जेडपीएम की कामयाबी की आम आदमी पार्टी से तुलना की जा रही है।
यह भगवान का आशीर्वाद और लोगों का आशीर्वाद है जिसके लिए मैं बहुत खुश हूं। हम पिछले साल से ही (इतनी बड़ी जीत) उम्मीद कर रहे थे। हम लोगों का मूड जानते हैं। हम जानते हैं कि वे हमारे पक्ष में हैं…कोई दावेदार ही नहीं है। उन्होंने मुझे पिछले साल ही चुन लिया था। लोगों को यह पहले ही घोषित कर दिया गया था कि अगर ZPM सत्ता में लौटती है तो लालदुहोमा सीएम बनने जा रहे हैं। यह तो लोगों को पिछले वर्ष से ही पता चल गया है। कई मुद्दे हैं, एक सरकार के रूप में हमारे पास 45 विभाग हैं जो विभिन्न चीजों की देखभाल करते हैं।
अपने बूते पर जीतीं 27 सीटें
पूर्वोत्तर के इस राज्य में तीन दशक बाद कोई नई पार्टी कमान संभालेगी। जेडपीएम की आंधी में सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) 10 सीटों पर सिमट गया तो वहीं 22 साल तक राज्य की सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पाई। जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने मजबूत वापसी करते हुए अपने बूते पर बहुमत हासिल किया और राज्य की 40 सीटों में से 27 सीटें जीत लीं। मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के सत्ता से बाहर होने के पीछे बीजेपी की नजदीकी को जिम्मेदार माना जा रहा है। राज्य में बीजेपी को दो सीटें मिली हैं। 2018 के चुनावों में बीजेपी को एक सीट मिली थी। जेडपीएम का चुनाव निशान टोपी है।
क्यों बड़ी है जेडपीएम की जीत?
2018 के चुनावों इस 2023 के नतीजों की तुलना करें तो जेडपीएम की जीत कई मायने में चौंकाने वाली है। पिछले चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट ने 26 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को पांच सीटें मिली थी। जेडीएम ने तब आठ सीटें जीती थीं। लालदुहोमा के आईजोल-1 सीट छोड़ने पर संख्या सात और फिर दूसरी सीट से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद संख्या 6 तक पहुंच गई थी। बीजेपीे को 1 सीट मिली थी। 2023 के चुनावों में जेडीएम ने 27 सीटें जीती हैं। जो पिछले चुनावों के मुकाबले मिजो नेशनल फ्रंट से एक सीट अधिक है। 2018 के चुनावों में जेडपीएम को 22.9% वोट मिले थे। इन चुनावों में जेडपीएम को 37.86% वोट हासिल हुए हैं। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस भले ही पूर्वोत्तर में मिजोरम से वापसी का दावा कर रही थी लेकिन राज्य में लहर जेडपीएम की चल रही थी।
फिर सेरछिप से जीते लालदुहोमा
मिजोरम विधानसभा चुनावों में मैन ऑफ द मूमेंट लालदुहोमा इन चुनावों में भी सेरछिप से जीते हैं। सेरछिप को उनका गढ़ माना जाता है। लालदुहोमा में एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। जेडपीएम के मुखिया के तौर पर अब वे मिजोरम के मुख्यमंत्री बनेंगें। उन्होंने सेरछिप में एमएनएफ उम्मीदवार को हराया। तो वहीं एमएनएफ चीफ और मौजूदा सीएम जोरमथांगा अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। राज्य में पहली बार गैर कांग्रेसी और गैर एमएनएफ सरकार बनने जा रही है। विधानसभा चुनावों में एमएनएफ सरकार के 11 मंत्रियों से 9 को हार का सामना करना पड़ा, तो वहीं गृह मंत्री चुनाव ही नहीं लड़े थे।
आप से है जेडीएम की सामनता
जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) का भी आप की तरह आंदोलन से कनेक्शन है। लालदुहोमा ने जोरम नेशनल पार्टी बनाई थी, लेकिन बाद में उन्होंने तमाम पार्टियों के ग्रुप को मिलाकर जोरम पीपुल्स मूवमेंट का गठन कर लिया था। ऐसे में जेडीएम का 2019 में एक मोर्चा बना गया था। ZPM ने भी शासन में भ्रष्टाचार को खत्म करने का वादा किया था। जेडपीएम की विचारधारा की बात करें तो पार्टी हिंदुत्व वाले राष्ट्रीयता का विरोध करती है और धर्मनिरपेक्षता में यकीन करती है। ऐसे में चार साल पहले बनी जेडीएम ने तीन बार राज्य की सत्ता संभाल चुके एमएनएफ को बाहर किया तो वहीं कांग्रेस को 1 सीट पर रोक दिया।