मुंबई। भीमा कोरेगांव मामले की जांच के लिए गुरुवार को नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने पुणे जिला सत्र न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर आवश्यक कागजात प्राप्त करने का निवेदन किया है। अदालत मामले की सुनवाई सोमवार को करेगी।
गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि सरकार इस बारे में कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है। अभी तक केंद्र सरकार की ओर इस संबंध में जारी निर्णय की प्रति नहीं मिली है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने भीमा कोरेगांव और एलगार परिषद की जांच एनआईए को सौंप दी है। इसके बाद एनआईए की एक टीम पुणे गई थी,लेकिन पुणे पुलिस ने इस मामले से जुड़े कागजात देने से मना कर दिया था। उसी के लिए एनआईए ने गुरुवार को पुणे जिला सत्र न्यायालय में आवेदन कर कागजात उपलब्ध कराने की मांग की है।
पुणे स्थित भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी, 2018 को विजय जुलूस के दौरान हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इससे पहले भीमा कोरेगांव में एलगार परिषद का भी आयोजन किया गया था। पुणे पुलिस ने इन दोनों मामलों की जांच कर चार्जशीट पेश कर चुकी है। एलगार परिषद की जांच में नक्सलवाद कनेक्शन सामने आया था और पुलिस ने शहरी नक्सलवाद से जुड़े 9 लोगों को गिरफ्तार किया था। उनमें साहित्यकार वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण परेरा आदि का समावेश है।
राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच एनआईए को सौप दी है। गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि भीमा कोरेगांव तथा एलगार परिषद मामले की जांच में पिछली सरकार की गलतियां सामने आने वाली हैं। इसी वजह से यह मामला एनआईए को सौपा गया है, जबकि इस मामले की जांच पिछले दो वर्ष से राज्य सरकार कर रही है।
उन्हेांने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच एनआईए को देने से पहले राज्य सरकार को विश्वास में नहीं लिया है। वह राज्य के महाधिवक्ता से इस विषय में विचार-विमर्श कर रहे हैं। इसके बाद निर्णय लेंगे।