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अखिलेश दिखा रहे थे कमलनाथ को सीटों पर हेकड़ी, 50 से ज्यादा पर जमानत जब्त

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लखनऊ
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में खूब मेहनत की और ताबड़तोड़ रैलियां कीं, लेकिन पार्टी नतीजा उनके लिए बेहद निराशाजनक रहा। समाजावीदा पार्टी खाता तक नहीं खोल सकी और अब तक का सबसे कम वोट शेयर मिला। सपा को इस चुनाव में महज 0.46 फीसदी वोट मिला जोकि नोटा से भी कम है। अखिलेश यादव के 2017 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से सपा को उत्तर प्रदेश और इसके बाहर कई चुनावी हार का सामना करना पड़ा है।

सपा को सबसे पहले 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, जब उसने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। दो साल बाद समाजवादी पार्टी ने धुर विरोधी दल बहुजन समाज पार्टी के साथ भी हाथ मिला लिया। वह 2019 लोकसभा चुनाव में 'बुआ' मायावती के साथ चुनाव लड़े, लेकिन भतीजे अखिलेश के लिए यह निराशाजनक रहा। हार का सिलसिला यहीं नहीं थमा। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा और अब मध्य प्रदेश में धूल फांकना पड़ा।

समाजावदी पार्टी ने इस बार मध्य प्रदेश में 69 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन किसी भी सीट पर दूसरे नंबर पर भी नहीं पहुंचे। यह तब है जब सपा को उत्तर प्रदेश के बाहर सबसे अधिक समर्थन मध्य प्रदेश से ही मिलता रहा।  1998 में मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली और 1.58 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ। 2007 में पार्टी 3.7 फीसदी वोट शेयर पर कब्जा किया।  2008 और 2018 में एक-एक सीट पर जीत मिली और क्रमश: 1.9 और 1.3 फीसदी वोट शेयर मिला। यहां तक कि 2013 में जब सपा को कोई सीट नहीं मिली, तब भी वोट शेयर 1.2 पर्सेंट था।

जिन 69 सीटों पर सपा लड़ी उनमें से 43 पर एक हजार से कम वोट मिले। चार विधानसभा सीटों बहोरीबंद, चंदला, जतारा और निवाड़ी में सपा ने वोट काटकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ा। भाजपा ने इन सभी चार सीटों पर जीत हासिल की। सपा का इतना खराब प्रदर्शन इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के बाहर पहली बार इतनी मेहनत की थी। अखिलेश यादव ने 6 दिनों तक 24 रैलियां, रोड शो और रथ यात्रा की। उन्होंने 20 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर पार्टी के लिए प्रचार किया। अखिलेश यादव की पत्नी और मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने भी कुछ रैलियां और रोड शी कीं।

चुनाव के बीच कांग्रेस से खटास
2024 लोकसभा चुनाव के लिए 'इंडिया' गठबंधन में शामिल कांग्रेस और सपा के बीच मध्य प्रदेश में टकराव भी हुआ। कांग्रेस की ओर से गठबंधन नहीं किए जाने का आरोप लगाते हुए अखिलेश यादव ने सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाया और यहां तक कहा कि यदि राज्य में चुनावों के लिए गठबंधन नहीं है तो वह लोकसभा चुनाव को लेकर भी इस पर विचार करेंगे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने भी सपा प्रमुख को 'अखिलेश-वखिलेश' कह दिया जिससे रार और बढ़ गई।

सपा ने नतीजे से क्या निकाला संदेश
समाजवादी पार्टी के नेता सुधीर पंवार ने सपा और कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर कहा कि नतीजों से तीन चीजें सामने आई हैं। उन्होंने इसे विस्तार से बताते हुए कहा, 'पहली बात यह कि, इंडिया गठबंधन के गठन के बावजूद कांग्रेस का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला गलत साबित हुआ। दूसरी बात यह साबित होती है कि भाजपा से मुकाबले के लिए संगठन की मजबूती आवश्यक है। तीसरी बात यह कि बीजेपी सरकारें डीबीटी से किसान सम्मान निधि और लाडली बहना जैसी योजना चला रही है और विपक्ष के पास इसका कोई जवाब नहीं है। क्योंकि विपक्ष सिर्फ वादे कर सकता है और दूसरी तरफ भाजपा सरकार मुफ्त फायदे दे रही है।' उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश के चुनावी नतीजे के इतर सपा उत्तर प्रदेश में मजबूत है। उन्होंने कहा कि 'डबल इंजन' सरकार के बावजूद सपा ने 32 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था।