मुंगेली/ जिला बनने के बाद से ही मुंगेली अवैध कालोनाईजरों के शिकंजे में है, और जिला प्रशासन मुकदर्शक बनी हुई है। मुंगेली को जिला बने अभी लगभग 9 वर्ष से अधिक हो गये परंतु यहां भू-माफियाओं, जमीन दलालों द्वारा शासन प्रशासन के नियमों-कायदों को नजर अंदाज करते हुये उनके ही संरक्षण में अवैध रूप से प्लाटिंग कर तथा अवैध कालोनी विकसित कर आम जनता जो बेवकूफ बनाया जा रहा हैं। शहर व ग्रामीण में गिने चुने ही है जो कालोनाईजर का लाईसेंस बनवा पाये है और वे भी टाउन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है, और यदि टाउन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग से भी अनुमति मिल गई है तो उनके द्वारा छत्तीसगढ़ नगर पालिका (कालोनाईजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बधन तथा शर्तो) तथा छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत (कालोनाईजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बधन तथा शर्तो) नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है और इस पर नगर पालिका, अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय के अधिकारी व जिला प्रशासन के अधिकारी मौन धारण किये हुये है। अधिकांश प्लाटिंग एवं कालोनी का निर्माण तो जिला मुख्यालय करही एवं उसके आसपास हो रहा है जहां बहुत सारे विभाग है और जिले के दो महत्वपूर्ण विभाग कलेक्टर और एसपी कार्यालय भी है उसके बाद भी प्लाटिंग करने वाले भू-माफियाओं को इन अधिकारियों का भी भय नही है। जमीन दलालों के द्वारा ग्राहकों को फंसाकर अपनी जेबें भरी जा रही हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंगेली शहर का एक बड़ा कपड़ा व्यवसायी है जिसका अवैध प्लाटिंग के इस गोरखधंधे में अच्छी खासी दखल रहती है कुछ नेताओं को उसके द्वारा मोटी रकम फायनेंस भी किया जाता है, और खरीदे गये जमीन या खेत में एक मोटी रकम का हिस्सा उसके द्वारा ही दिया जाता है, और उस जमीन या खेत पर अवैध प्लाटिंग कर अच्छी खासी रकम में बेचा जाता है जिससे कपड़ा व्यवसायी द्वारा जो लागत लगाया जाता है उससे कई गुना ज्यादा कमाई उसे इस अवैध प्लाटिंग के कारोबार में हो जाता है, हालांकि इस कपड़ा व्यवसायी द्वारा अपना नाम कहीं भी सामने नही लाया जाता परंतु पूरे शहर में उसके नाम की जोरों से चर्चा है और इस कपड़ा व्यवसायी द्वारा शहर के कुछ नेताओं को अपना संरक्षक बना लिया गया है जिसके चलते वह खुद को कानूनी दांवपेंच से सुरक्षित होने का भ्रम पाल रखा है। नियम, कानून या निर्देश सभी के लिये समान है चाहे वो जो भी हो, ऐसे में अब जिला प्रशासन के अधिकारियों के समक्ष बड़ी चुनौती है कि वे पर्दे के पीछे छिपे इस कपड़ा व्यवसायी जो कि जमीन खरीददारी व अवैध प्लाटिंग मामले में करोड़ों का भागीदार है उसे कैसे बेनकाब किया जाता है ? प्राप्त जानकारी के मुताबिक बहुत ही जल्द दो मामलों में इस कपड़ा व्यवसायी का नाम सामने आ सकता है जिसके बाद इस पर कार्यवाही की उम्मीद बताई जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा भी अवैध प्लाटिंग मामले में अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नही की गई है, कार्यवाही के नाम पर केवल औपचारिकता निभा दी गई है, ऐसे में अधिकारियों पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है, क्योंकि अवैध प्लाटिंग मामले में नोटिस की कार्यवाही की गई थी, परंतु इस पर अभी तक कानूनी कार्यवाही क्यों नहीं की गई यह समझ से बाहर हैं ? साथ अवैध कालोनी या जिन कालोनियों ने निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं किया गया हैं उन्हें नोटिस दिया गया हैं या नहीं ? इस संबंध में अधिकारियों द्वारा सही जवाब नहीं दिया जा रहा।