नई दिल्ली
मध्य प्रदेश समेत चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ रहे हैं। कांग्रेस को जिस तरह के प्रदर्शन की उम्मीद थी, उससे रिजल्ट एकदम उलट है। मध्य प्रदेश में बीजेपी की बंपर जीत हो रही है तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी भगवा दल की सरकार बन रही है। सिर्फ तेलंगाना में ही कांग्रेस सरकार बनाती दिख रही। राज्य के गठन के बाद पहली बार तेलंगाना में सत्ता परिवर्तन हो रहा है और बीआरएस की जगह कांग्रेस आ रही है। राज्य में कांग्रेस की जीत के बाद यह सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या कुछ महीनों के बाद होने वाला लोकसभा चुनाव उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत होने जा रहा है? तेलंगाना से पहले कांग्रेस को कर्नाटक में भी जीत मिल चुकी है, जबकि तमिलनाडु समेत अन्य दक्षिण के राज्यों में भी विपक्षी दलों की सरकार है।
तेलंगाना में जीत से बढ़ा कांग्रेस का दक्षिण में दबदबा
आज आ रहे नतीजों में कांग्रेस हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों को पूरी तरह से गंवा रही है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी को पूरी उम्मीद थी कि उसकी सरकार बनेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। अब सिर्फ एक राज्य तेलंगाना ही झोली में आता दिख रहा। कर्नाटक के बाद तेलंगाना में जीत से कांग्रेस का दक्षिण भारत में दबदबा बढ़ा है। इसी साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बंपर जीत मिली थी। 10 मई को आए नतीजों में कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी को सिर्फ 66 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी। जेडीएस को पिछले चुनाव के मुकाबले 18 सीटों का नुकसान हुआ और 19 सीटें ही हासिल हुईं। कर्नाटक के अलावा तेलंगाना में अब जीत के बाद कांग्रेस का विश्वास थोड़ा जरूर बढ़ेगा और लोकसभा चुनाव के दौरान दक्षिण भारत से पार्टी को ज्यादा उम्मीद होगी।
उत्तर भारत, खासकर हिंदी पट्टी में सफाया कांग्रेस के लिए चिंता का विषय
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का ग्राफ हिंदी पट्टी के राज्यों में और गिरता चला गया है। पहले भी पार्टी की स्थिति यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अच्छी नहीं थी, लेकिन 2018 में छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में जीत दर्जकर पार्टी को कुछ उम्मीदें जरूर बनी थीं। हिंदी पट्टी की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को पिछले साल जीत मिली है और अभी वहां उसकी सरकार है। बिहार में पार्टी महागठबंधन सरकार का हिस्सा है, लेकिन अकेले दम पर बहुत चमत्कार करती हुई नहीं दिखाई देती। इसके अलावा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा आदि में पार्टी की स्थिति बहुत खराब हो गई है।
सिर्फ दक्षिण के राज्य नहीं दिलवा सकते लोकसभा में जीत
दक्षिण भारत में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, तमिलनाडु, तेलंगाना जैसे राज्य आते हैं। इन राज्यों में लोकसभा सीटों की बात करें तो आंध्र प्रदेश में 25, केरल में 20, तेलंगाना में 17, कर्नाटक में 28, तमिलनाडु में 39 सीटें हैं। यानी कि इन पांच राज्यों को मिलाकर कुल 129 सीटें हैं, जहां पर कांग्रेस और उसके इंडिया गठबंधन के विपक्षी दलों को लोकसभा में उम्मीदे हैं। कर्नाटक के बाद तेलंगाना में कांग्रेस को जीत के बाद उम्मीद होगी कि वह अगले लोकसभा चुनाव में अपनी सीटों की संख्या में और इजाफा करे। पिछले लोकसभा चुनाव में टीआरएस को 9, बीजेपी को चार, कांग्रेस को तीन और एआईएमआईएम को एक सीट मिली थी।
वहीं, उत्तर भारत में लोकसभा की सीटों की बात करें तो दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्य आते हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश, बिहार जैसे हिंदी पट्टी के राज्यों में भी भाजपा की अच्छी पकड़ है। यूपी, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड जैसे राज्यों में पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ज्यादातर सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में यदि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को बीजेपी को कुछ टक्कर देनी है तो उसे हिंदी पट्टी में बेहतर प्रदर्शन करना होगा। सिर्फ दक्षिण भारत के दम पर कांग्रेस समेत विपक्षी दल बीजेपी को पटखनी दे देगा, ऐसा फिलहाल होता नहीं दिख रहा है।