भोपाल
मध्य प्रदेश में भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाती नजर आ रही है। मध्य प्रदेश के नतीजों के साथ-साथ अब रिजल्ट पर विश्लेषण भी शरू हो गया है। मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत के कारणों में पर मंथन जारी है। आइये जानते हैं मध्य प्रदेश में केंद्रीय की जीत के पांच बड़े कारण क्या रहे?
मध्य प्रदेश विधानसभा चनाव में भाजपा स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाती दिख रही है। अभी तक की गिनती में मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से भाजपा 163 सीटों और कांग्रेस 65 सीटों पर आगे चल रही है। इन रुझानों के बाद मध्य प्रदेश भाजपा कार्यालय में खुशी का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मध्य प्रदेश चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव की चुनावी रणनीति और धुआंधार प्रचार के बाद मध्य प्रदेश में भाजपा ने जिस तरह से जीत हासिल की है वह अपने आप में बड़ी बात है। मध्य प्रदेश के अब तक रुझानों के बाद अब परिणाम पर मंथन हो रहा है।
नरोत्तम मिश्रा 5400 वोट से पीछे
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा अपने प्रतिद्वदी कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र भारती से चार राउंड की काउंटिग के बाद करीब 5400 वोट से पीछे चल रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी को 29571 वोट मिले हैं। वहीं, नरोत्तम मिश्रा को 24171 वोट मिले हैं।
CM शिवराज ने जताया आभार
शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, 'सोशल मीडिया के मेरे मित्रों, पूरे कैंपेन के दौरान आपका जो प्यार, सहयोग और स्नेह मिला, वो अद्भुत व अभूतपूर्व था। आपके प्यार और सहयोग के जरिये आज भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। आपका यह प्रेम और स्नेह बना रहे… मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आपकी अपेक्षाओं पर हम खरा उतरेंगे और प्रदेश व प्रदेशवासियों की सेवा करते रहेंगे। सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।'
लाडली बहना योजना बनी मास्टर स्ट्रोक
भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले लाडली बहना योजना लांच की। इसमें 1.31 करोड़ महिलाओं को एक शुरुआत में एक हजार रुपए और बाद में 1250 रुपए की आर्थिक सहायता दी गई। इसको 3 हजार रुपए तक बढ़ाने का वादा किया गया। यह योजना भाजपा के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हुई है। इसके अलावा भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में किसानों के लिए गेहूं और धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने, युवाओं को रोजगाद देने का वादा किया गया। इसके अलावा केंद्र सरकार के मूफ्त राशन, प्रधानमंत्री आवास से लेकर पांच लाख रुपए तक मुफ्त इलाज कराने की योजनाओं के लाभार्थियों को भी भाजपा ने अपने साथ जोड़ा और उनको वोट में बदला।
सत्ता विरोधी लहर को खत्म किया
प्रदेश में 18 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार को लेकर सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने के लिए भाजपा ने रणनीति के रूप से काम किया। इसके लिए पहले प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा ही सामने नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कमल चिन्ह पर चुनाव लड़ने का प्रचार किया गया। प्रदेश में मख्यमंत्री के दावेदार केंद्रीय मंत्री और सांसदों को उतारकर जनता को संदेश देने के साथ ही नाराज कार्यकर्ताओं को साधा। क्षेत्रवार दिग्गज नेताओं को अपनी सीट के साथ ही दूसरी सीटे भी जीतने का काम सौंपा गया।
आदिवासी वोटरों को साधने दो साल पहले से जुटे
भाजपा ने आदिवासी वोटरों को साधने के लिए दो साल पहले से काम शुरू कर दिया। पेसा एक्ट से लेकर कई योजनाओं का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने आदिवासी वोटरों को साधने के लिए पूरी ताकत लगा दी गई। भोपाल में आदिवासी दिवस कार्यक्रम में पीएम शामिल हुए। अमित शाह जबलपुर में राजा शंकर शाह और विजय शाह के शहीदी कार्यक्रम में शामिल हुए। पीएम ने शहडोल में आदिवासी वर्ग के साथ कार्यक्रम किया। अनुसूचित जाति वर्ग को साधने के लिए भी पीएम ने सागर में संत रविदास मंदिर की आधारशीला रखी। भाजपा ने हर वर्ग को साधने का प्रयास किया।
सही चुनाव प्रबंधन और आक्रामक प्रचार
भाजपा ने इस बार मध्य प्रदेश में चुनावी प्रबंधन बहुत मजबूत रखा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव रणनीति की बागडोर अपने हाथ में संभाली। उन्होंने अपने विश्वासपात्र केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव को चुनाव प्रभारी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव चुनाव सह प्रभारी बनाकर मध्य प्रदेश भेज दिया। शाह ने खुद मैराथन बैठकें कीं। इसके माध्यम से नाराज और असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को एकजुट किया। इसके बाद चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने धुआंधार प्रचार किया।
राम मंदिर, सनातन जैसे मुद्दों को उठाया
भाजपा ने इंडी गठबंधन की सदस्य डीएमके के नेता उदयनिधि के सनातन को खत्म करने के बयान को मुद्दा बनाया। भाजपा के बड़े नेताओं ने इसको लगातार उठाया। वहीं, राम मंदिर के होर्डिंग लगाने की काग्रेस की शिकायत को भी भाजपा ने हिंदू विरोधी होने का प्रचार किया। यह मुद्दे सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रही कांग्रेस को नुकसान हुआ तो भाजपा रणनीतिक रूप से बहुसंख्यक वोटरों को साधने में सफल रही।