जयपुर
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में प्रदेश की जनता ने एक बार फिर राज बदलकर रिवाज कायम रखा है। चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 199 सीटों में से भाजपा 114 सीटों पर आगे है और सत्तारूढ़ कांग्रेस 70 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। बीजेपी अपनी प्रतिद्वंदी कांग्रेस को पछाड़ते हुए बहुमत के आंकड़े को पार कर बड़ी जीत की ओर बढ़ रही है। राजस्थान की झालरापाटन सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राज चुनाव जीत गई हैं, वहीं आमेर सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया हार गए हैं। हालांकि, बड़ी जीत की ओर बढ़ रही भाजपा को आज एक बड़ा झटका भी लगा है। कांग्रेस की बात करें तो सरदारपुरा सीट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव जीत गए हैं। वहीं टोंक सीट से कांग्रेस नेता सचिन पायलट की जीत और ओसियां से दिव्या मदेरणा की हार तय मानी जा रही है।
अब तक की मतगणना के दौर में कई प्रदेश के कई मंत्रियों सहित दोनों दलों के बड़े नेता भी पीछे चल रहे हैं। राजस्थान में 25 नवंबर को हुए चुनाव में 75.45 प्रतिशत मतदान हुआ था। राजस्थान चुनाव 2023 के लिए राज्य की कुल 200 में से 199 विधानसभा सीटों के लिए आज मतगणना हो रही है। मतगणना के लिए सुरक्षा के कड़े इंंतजाम किए गए हैं। काउंटिग के लिए 2524 टेबल लगाई गई हैं। राजस्थान चुनाव की 199 विधानसभा सीटों के लिए सभी 36 केंद्रों पर मतगणना के लिए 1121 एआरओ की ड्यूटी लगाई गई है। राजस्थान में 25 नवंबर को हुए चुनाव में 75.45 प्रतिशत मतदान हुआ था।
बता दें कि, 51 हजार 890 मतदान केन्द्रों पर ईवीएम में प्राप्त मतों की गणना के लिए मतगणना केन्द्रों पर 2524 टेबल लगाई गई हैं। इनमें कुल 4245 राउंड में मतों की गिनती का कार्य पूरा होगा। शिव विधानसभा क्षेत्र के लिए मतगणना सर्वाधिक 41 राउंड तक चलेगी, जबकि अजमेर दक्षिण के लिए मतगणना 14 राउंड में ही पूरी हो जाएगी। इसके लिए मतगणना स्थल और उसके आस-पास के क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात किए गए हैं। मतगणना प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा इंतजामों के तहत केन्द्रीय पुलिस बल और आरएएसी की व्यापक तैनाती की जाएगी।
मतगणना स्थल पर प्रवेश के लिए त्रि-स्तरीय सुरक्षा की व्यवस्था की गई है ताकि मतगणना स्थल पर किसी तरह का कोई व्यवधान नहीं आए। केन्द्रीय पुलिस बलों की 40 कम्पनियां ईवीएम की सुरक्षा के लिए और आरएसी की 36 कंपनियां मतगणना केन्द्रों पर तैनात रहेंगी। आरएएसी की 99 कंपनियां विभिन्न जिलों में कानून-व्यवस्था के मद्देनजर तैनात की जाएंगी। इन चुनावों में चार लाख 36 हजार 664 मतदाताओं ने पोस्टल बैलट का उपयोग किया है, जिसमें से 80 वर्ष से अधिक उम्र के 49 हजार 365, दिव्यांग श्रेणी के 11 हजार 656 एवं आवश्यक सेवाओं के चार हजार 427 तथा मतदान प्रक्रिया में जुटे तीन लाख 71 हजार 166 मतदाता शामिल हैं।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव में 75.45 प्रतिशत हुआ मतदान
राजस्थान में इस बार हुए विधानसभा चुनाव में 2018 की तुलना में ज्यादा मतदान हुआ है। इस वर्ष प्रदेश में 75.45 फीसदी मतदान हुआ। निर्वाचन विभाग की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, 2023 के विधानसभा चुनाव में पिछली बार की तुलना में 0.73 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ। इसमें डाक मत पत्रों के जरिए हुआ 0.83 प्रतिशत मतदान भी शामिल है। राजस्थान में 25 नवंबर को 200 में से 199 विधानसभा क्षेत्रों के 51000 से ज्यादा मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ। कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण श्रीगंगानगर जिले के करणपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव स्थगित कर दिया गया था।
चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, राजस्थान में बीजेपी को 114 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है। इसी बीच राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने कहा, राजस्थान की यह जो शानदार जीत है, यह प्रधानमंत्री मोदी जिनका मंत्र था- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास, यह उसकी जीत है। उनकी दी हुई गारंटी की जीत है, यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति की जीत है और यह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के कुशल नेतृत्व की जीत है। यह जीत जनता की है जिसने कांग्रेस को नकारते हुए भाजपा को अपनाने का काम किया है।
कांग्रेस नेता और राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी नाथद्वारा सीट से चुनाव हार गए हैं। इस हार के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, 'नाथद्वारा की जनता के निर्णय को मैं स्वीकार करता हूं। पूरे चुनाव के दौरान साथ देने वाले कार्यकर्ताओं और साथियों का मैं धन्यवाद करता हूं। मैं हमेशा की तरह नाथद्वारा की जनता के हितों की पैरवी करता रहूंगा। भाजपा प्रत्याशी विश्वराज सिंह जी को जीत के लिए हार्दिक बधाई। मुझे उम्मीद है कि वो आने वाले 5 साल में पिछले 5 साल से चली आ रही विकास की गति को जारी रखेंगे।
राजस्थान की विद्याधर नगर सीट से जीतीं दीया कुमारी। उन्हें 158516 वोट मिले।
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के रुझान को लेकर बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि पूरे देश के मन में प्रधानमंत्री मोदी है। विकास है, महिलाओं का सम्मान है, न्याय है, राष्ट्र की रक्षा है और हिंदुत्व है…यह हिंदुओं का देश है और रहेगा और भाजपा धर्म के साथ है।
रुझानों से साफ है कि भाजपा सत्ता में लौट रही है और एक बड़ी जीत दर्ज कर रही है। एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस को थोड़ी ऑक्सीजन मिलती दिख रही थी, लेकिन कांग्रेस के सारे पासे उल्टे पड़े हैं। बड़ा सवाल फिर वही कि भाजपा में कमान किसको मिलेगी?
सुबह जब मतपत्रों से गिनती शुरू हुई तो भाजपा और कांग्रेस लगभग बराबरी पर थे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओल्ड पेंशन स्कीम की गारंटी का थोड़ा असर देखने को मिला, लेकिन जैसे ही ईवीएम से वोटों की गिनती शुरू हुई तो थोड़ी ही देर में भारतीय जनता पार्टी ने निर्णायक बढ़त बनाना शुरू कर दी। दोपहर आते-आते यह बहुमत के आंकड़े से काफी ऊपर जा चुकी थी।
राजस्थान का सियासी रिवाज जनता ने निभाया
राजस्थान में 1993 से एक रिवाज चला रहा है, जब हर 5 साल में सरकार बदल जाती है। इस बार अपनी सरकार की योजनाओं के भरोसे अशोक गहलोत ने दम लगाया था कि वह इस रिवाज को बदल देंगे।
उन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम के अलावा चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना, महिलाओं को मोबाइल फोन, साल में 10,000 रुपए, वृद्धों को पेंशन, कॉलेज के छात्रों को लैपटॉप/टैबलेट जैसी कई लोक-लुभावन गारंटी दी थीं। नतीजे से साफ है कि गहलोत की गारंटियों को मतदाता ने सिरे से नकार दिया है। यहां तक की उनके कई मंत्री भी चुनाव हार रहे हैं।
दूसरी ओर, बिना चेहरे के भारतीय जनता पार्टी राजस्थान के चुनाव में उतरी थी। पार्टी ने युवाओं के पेपर लीक, किसानों के कर्जमाफी, महिलाओं के कानून व्यवस्था जैसे कई मुद्दे उठाए थे। भाजपा ने सनातन और तुष्टिकरण के मुद्दों पर भी चुनाव में बहुत अधिक फोकस किया था।
कांग्रेस के लिए कितनी मुश्किलें?
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राजस्थान में कांग्रेस की हार के कई मायने हैं। राजस्थान ने गांधी परिवार को भी झटका दिया है और अशोक गहलोत, जो खुद को नरेंद्र मोदी के समकक्ष नेता बताने पर तूले थे, उनकी राजनीति को गहरा धक्का लगा है।
सचिन पायलट, जो इस पूरे चुनाव में खामोश रहे और बेहद कम सभाएं कीं और नतीजे से पहले कहीं नजर भी नहीं आ रहे तो यही माना जा रहा है कि अब अशोक गहलोत अध्याय समाप्त होकर सचिन पायलट अध्याय राजस्थान में फिर से शुरू होगा। जानकारों का तो यह तक कहना है कि गांधी परिवार भी शायद ही चाहता था।
दूसरी ओर, भाजपा में नेतृत्व को लेकर आगामी एक सप्ताह काफी मंथन वाला रहने वाला है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अलावा केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, बाबा बालक नाथ, दीया कुमारी समेत के नाम उनके समर्थक मुख्यमंत्री की रेस में बताते हैं, लेकिन भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा कि राजस्थान की कुर्सी पर कौन बैठेगा? कुल मिलाकर भाजपा ने राजस्थान में कांग्रेस को गहरा धक्का दिया है। यह मोदी की गारंटी और चेहरे की जीत है।