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कोरोना से लड़ने में राज्य सरकारें हो रही नाकाम, केंद्र पर बनाया जा रहा राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का दबाव…

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नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर सामने आने के बाद लॉकडाउन या कर्फ्यू का फैसला राज्य सरकारें ही ले रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में भी कहा कि राज्य ही इस पर फैसला ले, लेकिन दिन ब दिन बिगड़ते हालात के बीच राज्यों की ये सख्तियां नाकाफी साबित हो रही हैं। अब केंद्र सरकार पर दबाव डाला जा रहा है कि वह राष्ट्रव्यापी सख्त लॉकडाउन का ऐलान करे। देश के कई नामी डॉक्टरों के बाद अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है कि यदि देश को कोरोना से बचाना है तो पूरे देश में लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए। टुकड़ों टुकड़ों में राज्यों द्वारा लगाई जा रही पाबंदियों का फायदा नहीं मिल रहा है। बता दें, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के नेता भी पूरे देश में लॉकडाउन की वकालत कर चुके हैं।
इस बीच, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी में कहा है कि गुजरात में लॉकडाउन करने का कोई इरादा नहीं है। राज्य में आक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है। गांधीनगर जिले की कलोल तहसील के ओरसिया गांव में मेरा गांव कोरोना मुक्त गांव अभियान के तहत ग्रामीणों से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री रूपाणी ने गांव में कोरोना महामारी को लेकर की गई व्यवस्थाओं और कोरोना संक्रमितों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि गुजरात में रात्रि कर्फ्यू तथा कोरोना नियंत्रण के लिए जारी केंद्र सरकार व आइसीएमआर की गाइडलाइन का पूरा-पूरा पालन किया जा रहा है। राज्य में ऑक्सीजन की कमी से अभी तक एक भी मौत नहीं हुई है। रूपाणी ने एक बार फिर कहा कि गुजरात में लाकडाउन लागू करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। मार्च 2021 में गुजरात में 41 हजार बेड की व्यवस्था थी जो अब करीब एक लाख तक पहुंच गई है। राज्य में अभी आइसीयू और आक्सीजन से सुविधा वाले 55 हजार बेड मौजूद हैं। राज्य में सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों को पर्याप्त आक्सीजन मिल रही है। रूपाणी ने बताया कि कोरोना की पहली लहर के दौरान गुजरात के अस्पतालों को 250 टन आक्सीजन की जरूरत थी।