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सिम्स में व्हीलचेयर और स्ट्रेचर के पड़े लाले…कोरोना संक्रमितों को उनके ही परिजन गोद में, तो कोई कंधे का सहारा दे सिम्स अंदर हो रहे दाखिल…निरीक्षण में समस्याओं को दूर करने का वादा करने वाले बिलासपुर विधायक कुम्भकर्णी निंद्रा में…?

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बिलासपुर संभाग/ बिलासपुर में मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही हैं और हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही एवं संसाधनों की कमी होने के कारण अब अस्पतालों में भी कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं हो रहा है, संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल सिम्स में भी भारी अव्यवस्था देखने-सुनने को मिल जाती हैं, यहाँ व्हील चेयर, स्ट्रेचर नहीं मिलने पर कोई मरीज को गोद में उठाकर हॉस्पिटल के अंदर ले जा रहा है, तो कोई कंधे का सहारा देकर उसे हॉस्पिटल अंदर ले जाया जा रहा है, जिससे मरीज के निकट संपर्क में आने के कारण परिजन भी संक्रमित हो रहे हैं। गाइड लाइन के मुताबिक कोरोना संक्रमण को दूर करने के लिए की शारिरिक दूरी जरूरी है। साथ ही मास्क सेनेटाइजर का उपयोग करना है। परंतु सिम्स में स्ट्रेचर नहीं मिल पाने पर परिजन ने गोद में उठाकर अंदर पहुंचाने में लगे है। शुक्रवार को ऐसा ही एक नजारा सिम्स में देखने मिला है। जहां एक 16 वर्षीय युवती कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गई, उसके ईलाज के लिए परिजन उसे लेकर सिम्स पहुंचे, पर वहाँ उन्हें व्हीलचेयर व स्ट्रेचर नहीं मिलने पर उनके परिजन ने उसे गोद मे उठाकर हॉस्पिटल अंदर पहुँचाया।
ठीक उसी तरह सिरगिट्टी निवासी एक व्यक्ति को कोरोना संक्रमण के कारण कोरोना ओपीडी लेकर परिजन पहुंचे व्हीलचेयर व स्ट्रेचर की कमी के कारण अस्पताल का एक कर्मचारी पीपीई किट पहने पहुंचा, सिम्स आये उस मरीज की हालत चल पाने लायक नहीं थी, परिजन ने बिना कोरोना का परवाह किये मरीज को कंधे का सहारा देकर ओपीडी तक पहुंचाया। अब इसमें सोचने और आश्चर्य वाली बात यह हैं कि क्या इतने बड़े सिम्स हॉस्पिटल में व्हीलचेयर और स्ट्रेचर के भी लाले पड़ गए हैं, क्षेत्रवासियों ने कहा कि पहले तो सिम्स में बेड और ऑक्सीजन की कमी देखी गई थी पर अब तो यहां व्हीलचेयर और स्ट्रेचर की भी कमी हैं जो सिम्स प्रबंधन और बिलासपुर विधायक के लिए शर्मनाक बात हैं, क्योंकि कुछ हफ्ते पहले ही शहर विधायक शैलेश पांडेय द्वारा सिम्स का निरीक्षण किया गया था, तो क्या निरीक्षण के दौरान उन्हें खामियां नहीं दिखती ? और दिखाई देती हैं तो उन खामियों को दूर क्यों नहीं किया जा सका ? वैसे भी बिलासपुरवासियों की माने तो बिलासपुर के विधायक शुरू से ही विवादित रहे है और उनमें नेतृत्व-क्षमता का अभाव हैं, कांग्रेस के लहर में वे भले ही जीत गए पर जनता की नजर में उनकी जैसी सक्रिय विधायक की छबि बननी थी वो शायद नहीं बन पाई, तभी उन्हें जनता के कोपभाजन का हमेशा शिकार होना पड़ता हैं, यही स्थिति रही तो इस बार बिलासपुर विधानसभा से उनकी बिदाई तय मानी जा रही हैं।