भोपाल
प्रदेश में लगभग 7 साल बाद आईजी के पद पर सूखा खत्म होने जा रहा है। प्रदेश में एक साथ 13 आईपीएस अफसर आईजी के पद को एक जनवरी को मिलने जा रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश में आईजी रेंक के अफसरों की संख्या दो दर्जन पार हो जाएगी। इससे पहले करीब 2016 तक इतने पद भरे हुए थे। इसके बाद धीरे-धीरे इन पदों पर अफसरों की संख्या कम होती गई।
एक जनवरी को वर्ष 2006 बैच के आईपीएस अफसर डीआईजी से पदोन्नत होकर आईजी के पद पदोन्नत होने जा रहे हैं। इन अफसरों की संख्या 13 होगी। प्रदेश में अभी 15 अफसर आईजी के पद पर पदस्थ हैं। इनमें से दो अफसर अब एडीजी के पद पर पदोन्नत होने जा रहे हैं। वर्ष 2000 से 2005 बैच के 13 अफसर जहां आईजी के पद पर पदस्थ रहेंगे। वहीं वर्ष 2006 बैच के अफसर आईजी के पद पर पदोन्नत होने जा रहे हैं। इनकी भी संख्या 13 होगी। ऐसे में प्रदेश में लंबे अरसे बाद इस पद पर 26 अफसर पदस्थ होंगे।
इसलिए अस्थाई तौर पर डीजी के बढ़े थे दो पद
एडीजी रैंक पर अफसरों की संख्या ज्यादा होने के चलते डीजी के दो पद अस्थाई तौर से राज्य शासन को बढ़ाने पड़े थे। प्रदेश में जब ऋषि कुमार शुक्ला डीजीपी थे, उस वक्त दो साल के लिए डीजी के दो अस्थाई पद बढाए गए थे। बाद में फिर से दो पद बढ़ाए गए। प्रदेश में डीजी के पांच पद कॉडर के हैं, जबकि पांच पद एक्स कॉडर के हैं। इनके अलावा दो अस्थाई पद हैं। इस तरह से प्रदेश में डीजी रेंक के 12 अफसर पदस्थ हैं।
कम संख्या के कारण एडीजी को दिया था रेंज का प्रभार
प्रदेश में जब आईजी रेंक के अफसरों की संख्या कम होना शुरू हुई तो उनकी जगह का काम एडीजी रेंक के अफसरों से करवाने का क्रम शुरू हुआ। इसके चलते एडीजी रेंक के अफसरों को रेंज में पदस्थ किया गया। हालात यह बने ही भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर का पद कॉडर में आईजी रेंक का मिला, लेकिन यहां भी एडीजी रेंक के अफसर ही पदस्थ हुए। भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर एडीजी मकरंद देउस्कर बने थे। अब देउस्कर इंदौर पुलिस कमिश्नर हैं।