विश्वप्रसिद्ध ओशो के शिष्य स्वामी अगेह भारती ने दावा किया है कि यदि ओशो प्रणीत सक्रिय ध्यान, डायनामिक मेडिटेशन किया जाए तो ऑक्सीजन लेवल बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि ओशो ने ध्यान की 112 विधियां दीं, जिनमें से सक्रिय ध्यान सर्वाधिक चर्चित हुआ। इसमें पांच चरण होते हैं।
पहले चरण में खड़े होकर 10 मिनिट तक जोर-जोर से सांस ली जाती है। इस चरण की शुरुआत होती है, तेज-गहरी व अराजकतापूर्ण भस्त्रिका से भी अधिक तीव्रता से ली गई श्वास-प्रश्वास से। श्वास का यह झंझावात तन-मन को झकझोर देता है। इसके बाद दूसरे चरण में 10 मिनिट तक चीखें, चिल्लाएं, नाचें-गाएं, राेएं-कूदें या फिर शरीर को इस कदर हिलाएं-डुलाएं कि जैसे दीवाने हो गए हों। तीसरे चरण में दोनों हाथ ऊपर उठाकर हू की ध्वनि करें। पूरी ताकत और लय से हू का उच्चारण करते हुए कूदें और उछलें। चौथे चरण में एकदम रुक जाएं। हिलें-डुलें नहीं। जो भी घट रहा है उसके प्रति साक्षी बन जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व के तीन चरणों के बाद इस चौथे रिलेक्सेशन वाले चरण में ऊर्जा पुन: संग्रिहित होने लगती है। पांचवें चरण में थकने के बाद जो शांति मिलती है, उसका उत्सव मनाया जाए। नृत्य करें या मौन होकर ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। इस अनुभव को दिन-भर अपनी दिनचार्य में फैलने दिया जाए तो जीवन आनंद से भर जाता है।