नई दिल्ली
विधि एवं न्याय मंत्रालय भारतीय विधि संस्थान के सहयोग से आज रविवार 26 नवंबर को यहां विज्ञान भवन में संविधान दिवस मनाएगा। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि होंगे। वे पूर्ण सत्र में मुख्य भाषण देंगे। इस संगोष्ठी का उद्देश्य विश्व और उसमें रहने वालों की भलाई के साथ संवैधानिक मूल्यों और वैश्विक आकांक्षाओं के बीच महत्वपूर्ण संबंध का पता लगाना भी है।
26 नवंबर, 1949 को भारत के लोगों ने संविधान को अपनाया था। इस वर्ष समारोह के अंग के रूप में पांच तकनीकी सत्रों वाली एक राष्ट्रीय स्तर की परिवर्तनकारी संगोष्ठी रविवार 26 नवंबर को अपराह्न 2 बजे से शाम 4 बजे तक होगी। इससे कानूनी विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और शिक्षा जगत सहित अन्य लोगों को 2047 के विजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए देश के कानूनों की सुधारात्मक जरूरतों पर विचार-विमर्श करने का अवसर मिलेगा।
यहां पर कानून राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुश्री इंदिरा बनर्जी और कानूनी मामलों के सचिव डॉ. नितेन चंद्रा भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। इस मौके पर 'ए गाइड टू अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन' और 'पर्सपेक्टिव्स ऑन कॉन्स्टिट्यूशन एंड डेवलपमेंट' नामक दो पुस्तकों का विमोचन भी होगा।
इसके अलावा विधि एवं न्याय मंत्रालय भारतीय विधि संस्थान के सहयोग से संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए 'स्वतंत्रता की सीमा – मौलिक अधिकार बनाम मौलिक कर्तव्य' विषय पर एक वाद-विवाद का आयोजन कर रहा है। इसमें प्रथम पुरस्कार के विजेता को 50,000 रुपये, दूसरे पुरस्कार विजेता को 30,000 रुपये और तीसरे पुरस्कार विजेता को 20,000 रुपये पुरस्कार राशि के रूप में मिलेंगे।