तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए 30 नवंबर को मतदान होना है. इसी बीच चुनाव प्रचार के दौरान पुलिस ने रंगारेड्डी के गच्चीबाउली से एक कार से पांच करोड़ रुपये कैश बरामद किया है. जब कार चालकों से इस कैश के बारे में पूछा गया, तो वे इस कैश का कोई हिसाब नहीं दे पाए. पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में ले लिया है.
पुलिस के मुताबिक, वाहन चेकिंग के दौरान एक कार में दो सूटकेस मिले. इन्हें जब खोलकर देखा गया, तो पुलिस के होश उड़ गए. पुलिस ने कैश को जब्त कर तीनों लोगों को हिरासत में ले लिया. कैश को आयकर विभाग को सौंप दिया गया.
5 राज्यों में अब तक 1760 करोड़ जब्त
इससे पहले चुनाव आयोग ने बताया था कि 5 राज्यों में चुनाव के ऐलान के बाद से अब तक करीब 1760 करोड़ रुपये का बेहिसाब कैश जब्त किया गया है. यह 2018 में इन 5 राज्यों से मिले कैश का 7 गुना ज्यादा है. चुनाव आयोग राज्य और केंद्र की एजेंसियों के साथ मिलकर इस तरह की कार्रवाई को अंजाम देता है. चुनाव आयोग के मुताबिक, चुनाव ऐलान के बाद एमपी, मिजोरम, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान से 1760 करोड़ रुपये से ज्यादा की जब्ती की गई है. जबकि 2018 में इन्हीं राज्यों से 239.15 करोड़ रुपये की जब्ती हुई थी.
इससे पहले गुजरात, हिमाचल, नगालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और कर्नाटक में चुनाव आयोग ने 1400 करोड़ रुपये का बेहिसाब कैश जब्त किया था. यह पिछले चुनाव में जब्त किए गए कैश से 11 गुना था.
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि पांच राज्यों के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते समय, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सभी उम्मीदवारों और दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के मद्देनजर प्रलोभन मुक्त चुनाव पर जोर दिया था. बयान में कहा गया कि इस बार, आयोग ने चुनाव व्यय निगरानी प्रणाली (ईएसएमएस) के माध्यम से निगरानी प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी को भी शामिल किया है जो एक उत्प्रेरक साबित हो रहा है, क्योंकि इसने बेहतर समन्वय और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए केंद्रीय और राज्य प्रवर्तन एजेंसियों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक साथ लाने का काम किया.
दिलचस्प बात यह है कि चुनाव आयोग के अनुसार, मिजोरम में कोई नकदी या कीमती चीजें जब्त नहीं की गई, लेकिन अधिकारियों ने 29.82 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ बरामद किये. चुनाव आयोग ने विभिन्न सेवाओं के 228 अधिकारियों को व्यय पर्यवेक्षकों के रूप में तैनात किया है. कड़ी निगरानी के लिए 194 विधानसभा क्षेत्रों को ‘‘व्यय संवेदनशील’’ सीटों के रूप में चिह्नित किया गया था. आयोग का मानना है कि जब्ती का यह आकड़ा बढ़ सकता है.