कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को तुलसी पूजन का उत्सव पूरे भारत ही नहीं अपितु विश्व भर में श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति तुलसी का विवाह भगवान श्री हरि विष्णु से श्रद्धा भाव के साथ करता है । उसके पूर्व जन्म के समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं। इसी कारण से कार्तिक मास में जगह- जगह और विधि विधान से गाजे-बाजे के साथ मंडप आदि को सुसज्जित करके मंगलचार के साथ संपन्न कराया जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि जिन दंपतियों को कोई भी संतान नहीं है ।
विशेषकर कन्या संतान नहीं है उनको जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्यादान का परम पुण्य अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए। अगर आप भी इस दिन व्रत कर रहे हैं तो तुलसी विवाह व्रत की कथा जरूर पढ़ लें। एकादशी तिथि में अयोध्या की अंतरगृही परिक्रमा की जाएगी । इस दिन तुलसी शालिग्राम का विवाह करने की अनंत काल से परंपरा है और इस विवाह का शास्त्रों में बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है।
एकादशी तिथि का आरंभ 22 नवंबर दिन बुधवार की रात में 10:34 बजे से आरंभ होकर 23 नवंबर दिन गुरुवार की रात में 8:21 बजे तक व्याप्त रहेगी। अर्थात सूर्योदय के साथ ही प्राप्त हो रही एकादशी तिथि रात में 8:21 बजे तक व्याप्त रहेगी ।
इस दिन भद्रा दिन में 9:28 बजे के पूर्व ही गन्ने का पूजन कर उसका सेवन कर लिया जाएगा। क्योंकि इस दिन भद्रा सुबह में 9:28 बजे से आरंभ होकर रात में 8:21 बजे तक व्याप्त रहेगी । भद्रा मृत्यु लोक की होने के कारण अशुभ कारक है । इसलिए भद्रा से पूर्व गन्ने का पूजन करके सेवन किया जाना श्रेष्ठ फल प्रदायक होगा। तुलसी शालिग्राम का विवाह उत्सव इसी दिन से आरंभ होकर पूर्णिमा तक चलता रहेगा ।