नई दिल्ली.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जितना काम को आसान बनाने में सहयोगी हो सकती है उतनी ही खतरनाक भी है। डीपफेक वीडियो हों या अन्य साइबर क्राइम। इसके नुकसान भी नजर आने लगे हैं। एआई की मदद से ठग भी लोगों को चूना लगाने का मौका तलाशते रहते हैं। 59 साल की एक महिला एआई-जनरेटेड वॉइस कॉल का शिकार हो गई। उसके पास कनाडा में रहने वाले भतीजे की आवाज में फोन आया। उधर से कहा गया कि किसी दिक्कत में फंसने की वजह से तत्काल पैसों की जरूरत है। इसके बाद महिला ने 1.4 लाख रुपये अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए । बाद में पता चला कि वह फोन उसके भतीजे ने नहीं बल्कि साइबर ठगों ने किया था। वे महिला के भतीजे की आवाज में बात कर रहे थे।
बता दें कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से किसी की भी आवाज की कॉपी की जा सकती है। आम तौर पर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है और वे फोन पर किसी की भी बातों पर विश्वास कर लेते हैं। स्कैमर अब धड़ल्ले से इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे दोस्त, रिश्तेदार या फिर कस्टमर सर्विस रिप्रजेंटेटिव बनकर काम करते हैं। इस तरह के साइबर अपराधियों से बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। ये ठग खास दोस्त या रिश्तेदार बनकर फोन करते हैं और किसी समस्या की वजह से तत्काल पैसे की मांग करते हैं। लोग अपना समझकर पैसे भेज भी देते हैं। इसके अलावा कई बार ये अपराधी किसी कंपनी कीतरफ से बात करते हैं और लालच देकर साथ में बिजनस करने की बात करते हैं। कई बार वे मुनाफा भी देते हैं और फिर इकट्ठे ही बड़ी चपत लगा देते हैं। इस तरह के ठग सरकारी अधिकारी बनकर भी फोन कर सकते हैं। किसी सरकारी एजेंसी या फिर सोशल सिक्योरिटी ऐडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से फोन करके लोगों को चूना लगाने की कोशिश करते हैं। समस्या से बचने के लिए लोगों को उनकी बात पर यकीन हो जाता है और उनकी बड़ी रकम चली जाती है।
कैसे करें बचाव
इस समस्या से बचने का यही चारा है कि आप तब तक किसी को अपनी निजी जानकारियां ना दें जब तक कि यकीन ना हो जाए कि यह सही व्यक्ति है। अगर कोई तत्काल पैसे मांगें तो एक बार संदेह करके पुष्टि जरूर करें। किसी कॉल की वैधता की जानकारी करें। आधुनिक तकनीकों के प्रति जागरूक और सतर्क रहें। अगर कोई भी संदिग्ध गतिविधि नजर आती है तो इसकी सूचना दें।