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कांग्रेस शासित कर्नाटक, हिमाचल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ वसूल रहे 18 राज्यों से 16 प्रतिशत अधिक सेल्स टैक्स और वैट – हरदीप पुरी

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जयपुर
केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने आज भाजपा प्रदेश मीडिया सेंटर पर प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार द्वारा अधिक टैक्स लगाने वाले बयान पर पलटवार किया, और कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत को अपनी गिरेबान में झांकना चाहिए। आज देशभर में पेट्रोल का प्रति लीटर औसत रेट 96 रूपये 72 पैसे है , जबकि राजस्थान के श्री गंगानगर में यह सबसे ज्यादा 113 रूपये 34 पैसे है। भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी तेजी के साथ आगे बढ़ रही है, हम आज विश्वभर में पांचवे स्थान पर हैं और कुछ ही समय में हम पांचवे से तीसरे नंबर पर होंगे। हमारे यहां कच्चा तेल और एनर्जी की डिमांड बढ़ रही है। हमारे यहां यह डिमांड दुनिया के मुकाबले औसत से तीन गुना ज्यादा है, इसलिए हमें 80-85 प्रतिशत कच्चा तेल चाहिए होता है जिसे हम इंपोर्ट करते हैं। उसके बाद रिफाईनरी से रिफाइन करके पैट्रोल-डीजल व गैस में बांटा जाता है। कच्चे तेल के दाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तय होते हैं। वहीं कीमत पर इंश्योन्स और फ्रेक लगता है प्रोडक्शन के बाद भारत लाने में उसके ऊपर रिफाईनरी का मार्जन कटता है। इसके बाद केंद्र सरकार एक्साईज ड्यूटी लगाती है और राज्य सरकारें वैट लगाती हैं।

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम पिछले 2 साल की बात करें तो राजस्थान की सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर 2021-22 और 2022-23 नवंबर तक 35975 करोड़ रूपये टैक्स वसूल किया है। जबकि अन्य 18 राज्यों से इस टैक्स की तुलना की जाए तो भी अकेले राजस्थान का टैक्स बहुत ज्यादा है। दिल्ली, उत्तराखंड, नागालैंड, लक्षदीप, मणिपुर, लद्दाख, दमन-दीव, जम्मू और कश्मीर सहित इन 18 राज्यों का टैक्स कलेक्शन 32597 करोड़ है। वहीं यदि हम नवंबर 2023 तक राजस्थान में पेट्रोल पर वैट रेट की बात करें तो 31.04 प्रतिशत और डीजल पर 19.03 प्रतिशत है। जिसके कारण आज जयपुर में पेट्रोल की रेट प्रति लीटर 108 रुपए 48 पैसे है वहीं गुजरात के गांधीनगर में 96 रूपये 63 पैसे प्रति लीटर और लखनऊ में 96 रूपये 53 पैसे प्रति लीटर के रेट है। यदि हम तुलना करें तो जयपुर में गांधीनगर के मुकाबले 11 रूपये 85 पैसे ज्यादा है, और लखनऊ से 11 रूपये 91 पैसे ज्यादा है। वहीं डीजल की बात करें तो जयपुर में आज 93.72 रूपये प्रति लीटर का रेट है। डीजल के मामले में भी गुजरात के गांधीनगर में 88.03 प्रति लीटर है राजस्थान के मुकाबले यह 5 रूपये 78 पैसे सस्ता है। अब आप देखिए की हालात क्या हैं, और राजस्थान के मुख्यमंत्री हमारे ऊपर आरोप लगाते हैं।

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत में पिछले दो साल में नवंबर 2021 से लेकर नवंबर 2023 तक पेट्रोल के दाम 11.8 प्रतिशत कम हुए हैं। देश में पेट्रोल 2021 में 109 रुपए 70 पैसे और अब है 96.72 है। वहीं पाकिस्तान में पेट्रोल के दाम 41 प्रतिशत बढ़ा, बांग्लादेश में 24 प्रतिशत से ज्यादा, श्रीलंका में 54 प्रतिशत और नेपाल में लगभग 30 प्रतिशत बढ़ा है। और यही स्थिति डीजल की है दो साल में भारत में डीजल के दाम 8.9 प्रतिशत कम हुए हैं। जबकि पाकिस्तान में 53.06 प्रतिशत बढ़ा, बांग्लादेश में 118.03 प्रतिशत, श्रीलंका में 54.3 प्रतिशत और नेपाल में 41.2 प्रतिशत बढ़ा है। ये बात हुई दक्षिण एशिया के देशों की वहीं यूरोप की बात करें तो यूके में 7.04 प्रतिशत बढ़ा, यूएस में 21.02 प्रतिशत बढ़ा, इटली में 11.02 प्रतिशत बढ़ा। वहीं डीजल की रेट की तुलना यूरोप के देशों से करें तो भारत में डीजल की रेट 8.9 प्रतिशत कम हुए और यूके में 10 प्रतिशत दाम बढ़े, इटली में 20 प्रतिशत से ज्यादा रेट बढ़े, स्पेन में 20 प्रतिशत रेट बढ़ी और फ्रांस में 24 प्रतिशत दाम बढ़े। भारत मे ये दाम इसलिए कम हुए नवंबर 2021 और मई 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक्साईज ड्यूटी कम की गई और भारत में पेट्रोल पर 13 रूपये और डीजल पर 16 रूपये कम हुए।

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम पेट्रोल-डीजल पर सेल्स टैक्स की बात करें तो कांग्रेश शासित चार राज्यों हिमाचल, कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 86 करोड़ 622 लाख सेल्स टैक्स वसूला गया। यदि देश के 18 राज्यांे से इस टैक्स की तुलना की जाए तो ये 16 प्रतिशत ज्यादा है वहीं एलपीजी गैस की बात करें तो कांग्रेस के लोग कहते हैं कि राजस्थान में उज्जवला योजना में 500 रूपये का सिलेंडर है, जब यह सिलेंडर 1100 बिकता था तब केंद्र सरकार ने 200 रूपये की सब्सिडी दी। अगस्त में हमने एडिशनल 300 रूपये की सब्सिडी दी। इसमें राजस्थान सरकार की ओर से महज 100 रूपये का सहयोग किया गया। 600 रूपये केंद्र सरकार दे रही है और कांग्रेस शासित राज्य 16 प्रतिशत ज्यादा टैक्स वसूल रहे हैं। 2014 में देश में जहां 14 करोड़ एलपीजी कनेक्शन थे वहीं हमारे समय में ये बढ़कर 32 से 33 करोड़ हो गए। इसमें केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत 9 करोड़ 60 लाख कनेक्शन दिये हैं। कांग्रेस के समय ऑयल बॉंड के नाम पर जो उधार ली गई उसे आज हमें चुकाना पड़ रहा है जिसका केंद्र सरकार पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।