चेन्नई
समलैंगिक समुदाय को बड़ी राहत देते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार का आदेश दिया है कि पारिवारिक संघों के द्वारा दिए गए दस्तावेजों को मान्य करके सेम सेक्स कपल को समाज में मान्यता दी जाए। कोर्ट ने कहा कि इस कदम से साथ में रहने की इच्छा रखने वाले समलैंगिकों को समाज में जगह मिलेगी और वे बिना डर के रह सकेंगे। बता दें कि एक लेस्बियन कपल ने हाई कोर्ट में याचिका फाइल कर कहा था कि उन्हें अपने रिश्तेदारों से डर है।
जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने कहा कि अगर इस तरह से समलैंगिक संबंधों में रहने वाले लोगों को जगह दी जाएगी तो LGBTQ+ समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और उन्हें शोषण से बचाया जा सकेगा। कोर्ट ने कहा, इस प्रक्रिया के दौरान पारिवारिक संगठन द्वारा दिए गए दस्तावेजों को मान्य करते हुए राज्य सरकार डीड के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया खुद से बना सकता है। वहीं फैमिलियल असोसिएशन की डीड की जांच
और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया राज्य ही निर्धारित करेगा।
कोर्ट ने कहा, इतनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्य सरकार समलैंगिक कपल के साथ में रहने पर मोहर लगा देगी और उनका सोशल स्टेटस भी बना रहेगा। LGBTQ+ के बारे में कोई भी नियम बनाते वक्त कोर्ट की इस बात को ध्यान में रखना जरूरी होगी। जस्टिस वेंकटेश ने कहा कि सोशल वेलफेयर ऐंड वुमन एंपावरमेंट डिपार्टमेंट को समलैंगिक समुदाय के लिए नीति बनाते वक्त रजिस्ट्रेशन के सिस्टम में फामिलियन असोसिएशन को जगह देनी होगी।
कोर्ट नेक हा कि चुनने के अधिकार और उत्पीड़ने से सुरक्षा के अधिकार के तहत सुप्रियो सुप्रिया अन्य बनाम भारत सरकार के मामले में संविधान पीठ के फैसले को ध्यान में रखना जरूरी है। कोर्ट ने संबंध बनाने के लिए दो व्यक्तियों के पसंद के अधिकार को मान्यता दी थी। वहीं समाज में इनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस तरह पारिवारिक संघ की डीड मिल जाने पर संबंधों को मान्यता मिल जाएगी।