संयुक्त राष्ट्र तेल अवीव
गाजा पट्टी पर इजरायल के ताबड़तोड़ हमले बीते सवा महीने से लगातार जारी हैं। इन हमलों में अब तक करीब 12 हजार लोग मारे जा चुके हैं और लाखों लोगों को पलायन भी करना पड़ा है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी एजेंसी के चीफ फिलिप लज्जैरिनी ने कहा कि फिलिस्तीन में 1948 के बाद हम सबसे बड़ा पलायन देख रहे हैं। खासतौर पर उत्तरी गाजा से बड़ी संख्या में लोगों ने पलायन किया है और करीब 11 लाख लोग अपना घर छोड़कर भागे हैं। इनमें से ज्यादातर लोग दक्षिणी गाजा में गए हैं तो कुछ लोगों ने वेस्ट बैंक में जाकर शरण ली है।
हजारों की संख्या में लोग मिस्र भी गए हैं। लज्जैरिनी ने कहा कि भूख, प्यास से तड़पते और दवाओं तक के संकट से जूझ रहे बीमार लोगों को भी पलायन करना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी एजेंसी का कहना है कि उसने अब तक 8 लाख से ज्यादा लोगों के लिए रहने आदि की व्यवस्थाएं की हैं। इन लोगों के पास खाना, पानी और तमाम जरूरी चीजों की कमी है। यहां तक कि शौच के लिए भी इन लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। एजेंसी का कहना है कि शेल्टरों में रह रहे 30 फीसदी लोगों को स्किन एलर्जी हो गई है। खराब स्थिति में रहने के चलते ये बीमारियां हो रही हैं। इस बीच इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी स्वीकार किया है कि सेना के हमलों में आम नागरिक भी हताहत हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमास के खिलाफ जारी ऑपरेशन में नागरिकों को कम से कम नुकसान पहुंचाने की हमारी कोशिश उतनी सफल नहीं रही, जितना हमारा प्रयास था। नेतन्याहू ने सीबीएस न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि हमने हमलों से पहले आम नागरिकों से सुरक्षित जगहों पर रहने की अपील की थी। लेकिन हमास ने ऐसा नहीं होने दिया और उसने लोगों को खतरनाक स्थानों पर ही रोक लिया।
नेतन्याहू ने भी माना- आम नागरिकों को बचाना मुश्किल हो रहा
बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि एक भी नागरिक की मौत होना दुखद है। हमें ऐसा कुछ भी करने से बचना चाहिए। हमारी कोशिश भी यही है कि नागरिक युद्ध में बचे रहें। लेकिन हमास उन्हें जंग के रास्ते में ला रहा है। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बुधवार को ही एक प्रस्ताव पारित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि इजरायल युद्ध विराम करे ताकि गाजा में मदद पहुंचाई जा सके। इसके अलावा नागरिकों की सहायता के लिए एक कॉरिडोर बनाया जा सके।