नई दिल्ली
जिसकी आशंका थी वही हुआ। चीन का रियल एस्टेट संकट धीरे-धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने लगा है। चीन की इकॉनमी में रियल एस्टेट की करीब 30% हिस्सेदारी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह सेक्टर चीन की इकॉनमी के लिए कितना अहम है। अगर यह डूबा तो इससे बैंकिंग सेक्टर भी तबाह हो जाएगा। दुनिया के कई बैंकों ने चीन के रियल एस्टेट सेक्टर में जमकर पैसा लगा रखा है। अब उसके साइड इफेक्ट दिखने भी शुरू हो गए हैं। स्टैंडर्ड चार्टर्ड के बाद अब यूरोप के सबसे बड़े बैंक एचएसबीसी को भी चीन 50 करोड़ डॉलर का झटका लगा है। बैंक ने आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में स्थिति और विकट हो सकती है।
एचएसबीसी ने अपना रिजल्ट जारी किया जो उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। बैंक ने चीन के रियल एस्टेट लोन में हुए नुकसान को कवर करने के लिए 50 करोड़ डॉलर का प्रावधान किया है। इससे बैंक का प्रॉफिट प्रभावित हुआ है। यूके के इस बैंक का कहना है कि चीन में आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है। पिछले हफ्ते एक और बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने भी कहा था कि चीन के कारण उसका प्रॉफिट प्रभावित हुआ है। चीन में मकानों की बिक्री बुरी तरह गिरी है और एक के बाद एक डेवलपर्स डिफॉल्ट करती जा रही हैं। सरकार ने इसे पटरी पर लाने के लिए कई कदम उठाए हैं लेकिन अब तक उनका कोई फायदा नहीं हुआ है।
मैन्यूफैक्चरिंग में फिर गिरावट
इस बीच कमजोर मांग के कारण चीन में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में एक बार फिर गिरावट आई है। अक्टूबर में परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स गिरकर 49.5 पर आ गया जो सितंबर में 50.2 पर था। नॉन-मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई भी 50.6 रह गया जो दिसंबर 2022 के बाद सबसे कम है। पीएमआई इकनॉमिक एक्टिविटी का मंथली इंडिकेटर माना जाता है। यह 50 से ऊपर विस्तार और 50 से नीचे संकुचन दिखाता है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है लेकिन पिछले कुछ समय से यह कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। लोग खर्च करने के बजाय बचत करने में लगे हैं, बेरोजगारी चरम पर है और एक्सपोर्ट में भी गिरावट आई है। साथ ही अमेरिका के साथ भी तनाव लगातार बना हुआ है।