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छत्तीसगढ़ में बेड की कमीं से अस्पतालों के बाहर दम तोड़ रहे मरीज, महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया राज्य में 2000 से ज्यादा खाली…

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना दिनों-दिन अपना कहर बरपा रहा है। अस्पताल के बाहर कोरोना संक्रमित मरीज बिस्तर नहीं मिलने से दम तोड़ रहे हैं। बिलासपुर के सिम्स अस्पताल में बिस्तर नहीं मिलने से वहीं के कर्मचारी के माँ की मौत हो गयी, वहीं रायपुर के सबसे बड़े डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में बिस्तर के आभाव में वहीं के संविदा कर्मचारी की मौत हो गई। इन दोनों अस्पतालों के प्रबंधन ने बिस्तर की उपलब्धता होने साफ़ इंकार किया। इसके बाद भी सरकार के महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने बिलासपुर उच्च न्यायालय की ओर से अस्पतालों में बिस्तरों की कमीं के मामले को स्वतः संज्ञान में लेकर रेलवे से 2000 बेड लेने कलेक्टर, महाप्रबंधक रेलवे और डीआरएम को बैठक कर उचित प्रबंध करने के निर्देश पर कहा कि राज्य में सैकड़ों ऑक्सीजन और आईसीयू बेड आज की स्थिति में खाली हैं। इन खाली बिस्तरों को जरूरत मंदों को दिए जाने के निर्देश कोर्ट ने दिए।
कोर्ट ने महाधिवक्ता से दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर मेंं मरीजों के भटकने पर जवाब माँगा तब, महाधिवक्ता ने कहा कि इन जिलों में मरीज ज्यादा हैं। इसके बाद भी रायपुर में 112 वेंटिलेटर खाली और ऑक्सीजन के 700 बेड उपलब्ध हैं। अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि अस्पतालों में बेड खाली है, तो कोरोना संक्रमित मरीजों को दर-दर की ठोकरें क्योँ खानी पड़ रही है। या फिर महाधिवक्ता ने सरकार को कोर्ट की फटकार से बचने इस तरह के आंकड़े प्रस्तुत किये।
महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य में 7500 ऑक्सीजन बेड हैं, जिसमें से इस समय 2000 से ज्यादा खाली हैं। इसी तरह एचडीयू और आईसीयू के बेड भी खाली हैं। आज की स्थिति में पूरे राज्य में 242 वेंटिलेटर भी उपलब्ध हैं।
बता दें कि कोरोना प्रबंधन की इस जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सोमवार को कोर्ट इस मामले में सरकार के लिए विस्तृत गाइडलाइन जारी करेगी।