बेंगलुरु
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने शीर्ष नेतृत्व में बड़ा बदलाव किया है। भाजपा आलाकमान ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे और मौजूदा विधायक बीवाई विजयेंद्र को पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया है। भाजपा महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि बीवाई विजयेंद्र की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी।
लोकसभा चुनाव से पहले विजयेंद्र की नियुक्ति अहम
लोकसभा चुनाव से पहले येदियुरप्पा के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाने वाले 47 साल के विजयेंद्र की नियुक्ति काफी अहम मानी जा रही है। बीवाई विजयेंद्र ने नलिन कुमार कतील की जगह ली है। वहीं, इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में वह कुशल संगठनात्मक नेता के रूप में उभर कर सामने आए थे। हालांकि, भाजपा को कर्नाटक चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
मई में कांग्रेस से चुनाव हारने के बाद मिली पार्टी की कमान
मई में चुनावों में कांग्रेस से हारने पर महीनों की अटकलों के बाद विजयेंद्र येदियुरप्पा को प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपी गई है। हालांकि यह तय माना जा रहा था कि भाजपा पार्टी की बागडोर किसी लिंगायत नेता को ही देगी लेकिन वह पहली बार विधायक बने नेता को अपना यकीन पक्का करेगी इसका अंदाजा शायद ही किसी को था।
इसकी एक वजह यह भी है कि उनके पिता बीएस येदियुरप्पा चुनावी राजनीति से अलग होने के बावजूद अभी भी राजनीतिक महत्व रखते हैं। पूर्व सीएम येदियुरप्पा के बड़े बेटे बीवाइ राघवेंद्र लोकसभा सांसद हैं।
'संगठन में खुद को किया साबित?'
विजयेंद्र ने सबसे पहले जुलाई 2020 में पार्टी उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला. इससे पहले वो मई 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले मैसूर जिले की वरुणा सीट से दावेदारी कर रहे थे. हालांकि, पार्टी ने टिकट नहीं दिया था. बाद में संगठन ने बीजेपी युवा विंग का महासचिव बना दिया था. इस बीच, विजयेंद्र का पार्टी में और पुराने मैसूर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ गया. 2019 और 2020 में हुए उपचुनावों में बीजेपी की पहली जीत में विजयेंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका को श्रेय दिया गया.
'2024 से पहले रणनीति को जमीन पर उतार रही बीजेपी'
अब 2024 के चुनाव से पहले विजयेंद्र (47 साल) को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने अपनी रणनीति को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है. दरअसल, बीजेपी ने 2023 का विधानसभा चुनाव पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में लड़ा था. बीजेपी की हार को लेकर तमाम तरह की कमियां और दावे किए गए. लेकिन, पार्टी के अंदरखाने इस हार के बाद टॉप लीडरशिप और रणनीतिकारों के सामने दो बड़े पहलू सामने आए थे. पहला- स्थानीय लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा को जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री पद से हटा दिए जाने के गुस्से ने पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाया? और दूसरा- 2024 में आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए समय रहते लिंगायतों के साथ कैसे सामंजस्य बनाया जा सकता है? अब पार्टी ने फीडबैक के आधार पर आगे के लिए बड़ी रणनीति अपनाई है.
'शिकारीपुरा से पहली बार विधायक बने विजयेंद्र'
बीजेपी को उम्मीद है कि विजयेंद्र को जिम्मेदारी देने से ना सिर्फ लिंगायत समुदाय को साधा जा सकता है, बल्कि उस नैरेटिव को भी खत्म किया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में येदियुरप्पा समेत लिंगायत नेताओं को पार्टी में दरकिनार किया गया था. इसके अलावा, विजयेंद्र युवा चेहरे हैं और अपने जोशीले अंदाज के लिए जाने जाते हैं. वे इस साल चुनाव में पहली बार शिवमोग्गा जिले की शिकारीपुरा सीट से विधायक बने हैं. ये इलाका येदियुरप्पा का गढ़ माना जाता है. शिकारीपुरा से येदियुरप्पा 1983 से अब तक 8 बार विधायक चुने गए हैं.
'अभी नेता प्रतिपक्ष भी चुना जाना बाकी'
हालांकि, बीजेपी ने कर्नाटक को लेकर अपने पूरे पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं. धीरे-धीरे जिम्मेदारी तय की जा रही हैं. पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक विपक्ष के नेता (एलओपी) की घोषणा भी नहीं की है. माना जा रहा है कि जल्द ही नए चेहरे को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है. इसका मतलब साफ है कि पार्टी कर्नाटक में अब नए चेहरों को मौका देना चाहती है. इसके साथ युवाओं को राजनीति आगे आने का मौका दे रही है. नए प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र ने कहा, 17 नवंबर को बीजेपी विधायक दल के नए नेता का चुनाव होगा. हमने इस बारे में जेपी नड्डा जी से चर्चा की है. उन्होंने आगे कहा, अगले शुक्रवार को विधायक दल की बैठक बुलाकर सभी की राय लेकर नेता प्रतिपक्ष का चुनाव किया जाएगा. इसके लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक दिल्ली से आएंगे. विजयेंद्र ने कहा, सभी को विश्वास में लिया जाएगा। उन्होंने कहा, हम एकता के साथ काम करेंगे.
बोम्मई को लोकसभा का टिकट दे सकती है बीजेपी!
माना जा रहा है कि अब पार्टी विधानसभा में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी किसी गैर-लिंगायत विधायक को दे सकती है. ऐसे में लिंगायत समुदाय के ही बसवराज बोम्मई को लेकर चर्चाओं पर विराम लग सकता है. बोम्मई ने जुलाई 2021 में सीएम के रूप में येदियुरप्पा की जगह ली थी. सूत्रों ने कहा कि बोम्मई 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं.
'2024 में पार्टी को मजबूत करने का लिया संकल्प'
बीवाई विजयेंद्र ने कहा, 'हम आगामी लोकसभा चुनावों में कर्नाटक से ज्यादा सीटें जीतकर और पीएम मोदी के ब्रांड और प्रतिष्ठा को मजबूत करके पार्टी की सफलता की दिशा में काम करेंगे.' उन्होंने कहा, उन्हें पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है, सिर्फ इसलिए नहीं कि वो दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे हैं. हमारे सामने बड़ी चुनौतियां सभी को साथ लेकर संगठन को मजबूत करना और लोकसभा चुनाव में राज्य में अधिकतम सीटें जीतना है. बीएस येदियुरप्पा और लाखों कार्यकर्ताओं समेत कई नेताओं के प्रयासों के कारण बीजेपी कर्नाटक में इस ऊंचाई तक पहुंची है. बताते चलें कि विजयेंद्र, सीटी रवि, सुनील कुमार और बसनगौड़ा पाटिल यतनाल समेत और कई लोगों के साथ पार्टी भाजपा प्रमुख की दौड़ में सबसे आगे चल रहे थे.
विजयेंद्र के सामने चुनौतियां भी रहेंगी
विजयेंद्र के सामने संगठन की कमान संभालते ही कई बड़ी चुनौतियां भी रहेंगी. दो पहले महीने (सितंबर) ही कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस एनडीए गठबंधन में शामिल हुई है. दोनों दलों ने अभी तक लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे समेत गठबंधन के अन्य मसलों को औपचारिक रूप नहीं दिया है. समझा जा रहा है कि आने वाले दिनों में विजयेंद्र अलायंस में सीट बंटवारे से लेकर अन्य पहलुओं पर फॉर्मूले निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. बता दें कि नई दिल्ली में कुमारस्वामी ने गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की थी. उसके बाद सितंबर में जद (एस) और बीजेपी ने एनडीए गठबंधन में शामिल होने घोषणा की थी.
पूरे राज्य की यात्रा पर निकलेंगे विजयेंद्र
इसके अलावा, 2024 के चुनाव से पहले संगठन को एकजुट करने की रहेगी. नाराज नेताओं से लेकर बीजेपी के परंपरागत वोटर्स को फिर से जोड़ने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ेगी. हालांकि, विजयेंद्र के पक्ष में प्लस पॉइंट यह है कि उन्हें राजनीति में अनुभवी पिता येदियुरप्पा के मार्गदर्शन का लाभ मिलेगा. विजयेंद्र का कहना था कि हमारे केंद्रीय नेतृत्व और राज्य के नेताओं का मार्गदर्शन लिया जाएगा. मैं राज्य भर में यात्रा करूंगा और राज्य में पार्टी को और मजबूत करने के लिए काम करूंगा. उन्होंने कहा, पार्टी के सामने एकमात्र लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना है. हमारा कर्तव्य है कि हम पार्टी को संगठित करें और मोदी के हाथों को मजबूत करने के लिए कर्नाटक से अधिक से अधिक सांसदों की जीत सुनिश्चित करें. मुझे विश्वास है कि हम इसमें सफल होंगे.
नियुक्ति के बाद पिता का लिया आशीर्वाद
नियुक्ति की घोषणा के तुरंत बाद विजयेंद्र ने येदियुरप्पा से उनके आवास पर मुलाकात की और अपने पिता का आशीर्वाद लिया. विजयेंद्र ने जब यह पूछा गया कि उनकी नियुक्ति पार्टी नेतृत्व की स्वीकृति है या येदियुरप्पा को 'खुश' करने की कोशिश है? इस पर उन्होंने कहा, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष से परामर्श करने के बाद यह अवसर दिया है. उन्होंने मुझे 'कार्यकर्ता' के रूप में सभी को साथ लेकर पार्टी का नेतृत्व करने का आशीर्वाद दिया है.
'मुझे गर्व है कि मैं येदियुरप्पा का बेटा हूं'
जब विजयेंद्र से यह पूछा गया कि यह जिम्मेदारी उन्हें उनके पीछे की ताकत के कारण दी गई है या उनके नाम के आगे येदियुरप्पा नाम होने के कारण? इस पर उन्होंने कहा, मुझे गर्व है कि मैं येदियुरप्पा का बेटा हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे अध्यक्ष पद सिर्फ इसलिए दिया क्योंकि मैं येदियुरप्पा का बेटा हूं. मुझे एक अच्छा अवसर दिया गया है. मैं येदियुरप्पा, केएस ईश्वरप्पा, गोविंद करजोल, बसवराज बोम्मई, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, वी सोमन्ना और आर अशोक जैसे नेताओं का मार्गदर्शन भी लूंगा.
'नाराज नेताओं को भी मनाएंगे'
यह पूछे जाने पर कि वो उन लोगों को कैसे संतुष्ट करेंगे जो नाखुश हैं और प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल थे? विजयेंद्र ने कहा, अवसर बहुत बड़ा है, मुझे सभी को एक साथ लेना होगा. यहां कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है. पार्टी संगठन और लोकसभा चुनाव जीतना एकमात्र लक्ष्य है.
नियुक्ति पर क्या कहते हैं बीजेपी के नेता…
एक वरिष्ठ बीजेपी पदाधिकारी ने कहा, यह नियुक्ति एक तरह से आश्चर्यजनक है, लेकिन नहीं भी… एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में मुझे खुशी है कि नियुक्ति की गई है और उम्मीद है कि पार्टी की गतिविधियों को गति मिलेगी. इस पद के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि के नाम चर्चा में थे.विजयेंद्र को राज्य में कांग्रेस के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष के रूप में देखा जा रहा है. एक अन्य बीजेपी नेता कहा, उनके पास सभी को साथ लेकर चलने का अनुभव और कौशल है. उन्होंने अपने पिता को लंबे समय तक राजनीति में काम करते हुए देखा है. उन्हें इस प्रयास में येदियुरप्पा और उनके कैंप से जुड़े नेताओं का भी समर्थन और मार्गदर्शन मिलेगा. हालांकि यह शुरुआत में थोड़ा मुश्किल होगा. लेकिन असंभव नहीं है, उनके पीछे मजबूत राष्ट्रीय नेतृत्व है. एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, निश्चित रूप से वंशवाद की राजनीति के आरोप लगेंगे. दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी इस बार एक बार फिर येदियुरप्पा मॉडल पर उनके बेटे के जरिए वापसी कर रही है.
'कर्नाटक आए शाह दे गए थे संकेत?'
बीजेपी के कुछ नेता यह भी बताते हैं कि छह महीने पहले जब विधानसभा चुनाव को लेकर जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर्नाटक दौरे पर आए थे. तब वो यहां येदियुरप्पा के घर नाश्ते करने पहुंचे थे. तब एक दिलचस्प घटनाक्रम देखने को मिला था. शाह ने वहां येदियुरप्पा की बजाय पहले उनके बेटे विजयेंद्र से फूलों का गुलदस्ता स्वीकार किया था. शाह का यह संकेत महत्वपूर्ण हो गया था. क्योंकि यह देखा जा रहा था कि येदियुरप्पा की जगह पार्टी उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी की तलाश में है और उसे आगे लेकर बढ़ सकती है. चूंकि, पहले ऐसी खबरें थीं कि येदियुरप्पा नाराज हैं. बेटे विजयेंद्र को पार्टी में कोई प्रमुख पद नहीं दिया गया था. इतना ही नहीं, 2021 में सीएम पद से हटने के बाद उन्हें संगठन से लेकर सरकार तक में जिम्मेदारी भी नहीं दी गई. यही वजह है कि उन्होंने 2018 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया था. येदियुरप्पा ने यह भी कहा था कि अगर आलाकमान सहमत हुआ तो वो अपनी शिकारीपुरा विधानसभा सीट खाली कर देंगे. यहां से विजयेंद्र चुनाव लड़ेंगे.
'कम उम्र में बड़ी जिम्मेदारी मिलने पर बधाई'
विजयेंद्र की नियुक्ति पर जद (एस) के संरक्षक और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी ने फोन पर बधाई दी है. बाद में कुमारस्वामी ने 'एक्स' पर लिखे पोस्ट में कहा, एक युवा नेता के रूप में (बीजेपी) संगठन में पहले से ही सक्रिय विजयेंद्र को कम उम्र में एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. मुझे विश्वास है कि वे इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभालने में सक्षम होंगे. मैं विजयेंद्र को शुभकामनाएं देता हूं.
कांग्रेस ने 'वंशवाद की राजनीति' पर तंज कसा
कर्नाटक कांग्रेस ने बीजेपी पर 'वंशवाद की राजनीति' का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा, 'येदियुरप्पा के बेटे को बधाई, जो येदियुरप्पा के बेटे होने की योग्यता के आधार पर बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुने गए हैं.'
बीजेपी के दिग्गजों ने फोन पर दी बधाई
विजयेंद्र को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय कौशल विकास मंत्री राजीव चंद्रशेखर, पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता एसएम कृष्णा, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष ने भी फोन कर बधाई दी है.
'विजयेंद्र की नियुक्ति से युवाओं में जोश'
नलिन कुमार कतील ने कहा, विजयेंद्र एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में पार्टी में उभरे और उनकी नियुक्ति से पार्टी में एक नया जोश आया है. उन्होंने कहा, विजयेंद्र के नेतृत्व में पार्टी बूथ स्तर तक एकजुट होकर मजबूत होगी और बीजेपी कांग्रेस के कुशासन के खिलाफ लड़ेगी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपने 4.5 साल के कार्यकाल के बारे में नलिन ने कहा, हमने 18 बार राज्य भर में यात्रा की है. प्रदेश से लेकर बूथ स्तर तक पार्टी संगठन को प्रभावी ढंग से खड़ा किया है और कई चुनाव प्रभावी ढंग से लड़े हैं. उन्होंने कहा, हां, हम हाल में विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन मुझे संतुष्टि है कि मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से संगठन का निर्माण करने में सक्षम रहा हूं. उन्होंने इसके लिए पार्टी नेतृत्व और सीनियर लीडरशिप को धन्यवाद दिया.