नईदिल्ली
जमीन के बदले नौकरी मामले में लालू यादव की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. ईडी ने लालू यादव परिवार के कथित सहयोगी अमित कत्याल को गिरफ्तार कर लिया है. अमित एक व्यवसायी हैं और एके इन्फोसिस्टम के प्रमोटर हैं. यह कंपनी भी जमीन के बदले नौकरी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल रही है. कात्याल और एके इंफोसिस्टम जमीन घोटाले में ईडी और सीबीआई की जांच और जांच के दायरे में हैं.
आरोप है कि 2004 से 2009 तक, भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह ‘डी पदों पर कई लोगों को नियुक्त किया गया था और बदले में इन लोगों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और ए.के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी थी। पीएमएलए की आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया ईडी मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत के आधार पर है।
सीबीआई के अनुसार, नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बदले में उम्मीदवारों ने सीधे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से कथित तौर पर प्रसाद के परिवार के सदस्यों को अत्यधिक रियायती दरों पर जमीन बेची, जो मौजूदा बाजार दरों के एक-चौथाई से पांचवें हिस्से तक थी।
लालू परिवार के करीबी हैं कात्याल
ईडी के अनुसार, कात्याल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो के करीबी सहयोगी होने के साथ-साथ मामले में लाभार्थी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशक भी हैं. यह कंपनी साउथ दिल्ली में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के एक पते पर रजिस्टर्ड है. लालू के परिवार द्वारा इस आवासीय इमारत का इस्तेमाल किया जा रहा था. ईडी ने मार्च में एक बयान में कहा था, "संपत्ति को कागज पर मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय के रूप में घोषित किया गया है, लेकिन इसका उपयोग विशेष रूप से तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा आवासीय परिसर के रूप में किया जा रहा है.
सीबीआई ने घोटाले में दायर किया है आरोप पत्र
बता दें कि, सीबीआई ने कथित घोटाले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देव और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है. ईडी की ओर से दायर आरोप पत्र के मुताबिक यह घोटाला तकरीबन 600 करोड़ रुपये का है. जुलाई में, सीबीआई ने भूमि के बदले नौकरी घोटाले में एक आरोपी के रूप में इकाई एके इंफोसिस्टम पर आरोप पत्र दायर किया था.
क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम मामला
लैंड फॉर जॉब स्कैम का यह केस 14 साल पुराना है. उस वक्त लालू यादव रेल मंत्री थे. दावा है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में लोगों को नौकरी देने के बदले उनकी जमीन लिखवा ली थी. बताते चलें कि लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहे थे. सीबीआई ने इस मामले में 18 मई को केस दर्ज किया था. सीबीआई के मुताबिक, लोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया और जब उनके परिवार ने जमीन का सौदा किया, तब उन्हें रेगुलर कर दिया गया.
सीबीआई का कहना है कि पटना में लालू यादव के परिवार ने 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन पर कथित तौर पर कब्जा कर रखा है. इन जमीनों का सौदा नकद में हुआ था. यानी, लालू परिवार ने नकद देकर इन जमीनों को खरीदा था. सीबीआई के मुताबिक, ये जमीनें बेहद कम दामों में बेच दी गई थीं.
ईडी कर रही है मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच
मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ED रेलवे में नौकरी के बदले रिश्वत में जमीन लेने के आरोपों के मामले में सीबीआई जांच कर रही है. वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी जांच कर रही है. सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल कर दी. इस मामले में लालू यादव के करीबी व पूर्व विधायक भोला यादव और हृदयानंद चौधरी भी अभियुक्त हैं. भोला 2004 से 2009 के बीच तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के ओएसडी थे.