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कांग्रेस में कुछ नेताओं को तो राम और हिंदू शब्द से नफरत: प्रमोद कृष्णम

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नई दिल्ली

कांग्रेस के सीनियर नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर निशाना साधते हुए बड़े दावे किए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में ऐसे कई नेता हैं, जो राम मंदिर ही नहीं बल्कि राम से ही नफरत करते हैं। ये लोग हिंदुत्व से ही नहीं बल्कि हिंदू से ही उन्हें चिढ़ है। हिंदू धर्मगुरुओं का ये लोग अपमान करना चाहते हैं। इन्हें बिलकुल अच्छा नहीं लगता कि कोई हिंदू धर्मगुरु पार्टी में रहे। हालांकि उन्होंने ऐसे किसी भी नेता का नाम नहीं लिया और कहा कि राजनीति में भाषा तो सांकेतिक ही रहती है। उन्होंने कहा कि मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहूंगा, लेकिन मैंने महसूस किया है कि कांग्रेस में ऐसे कुछ नेता हैं।

 

राम मंदिर को रोकने के जो प्रयास हुए हैं उसे सारी दुनिया जानती है

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “…जो राम से नफरत करता हो वो हिंदू नहीं हो सकता… राम मंदिर को रोकने के जो प्रयास हुए हैं उसे सारी दुनिया जानती है… राम से नफरत कौन करता है और राम के प्रति श्रद्धा किसकी है? मुझे नहीं लगता कि इस रहस्य पर कोई परदा है… पार्टी का हिस्सा होने का मतलब ये नहीं है कि सच को सच और झूठ को झूठ न कहा जाए… मैंने महसूस किया है कि कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता हैं जिन्हें राम मंदिर से ही नहीं राम से भी नफरत है…।”

स्टार प्रचारक नहीं बनाए जाने पर बोले- शायद पार्टी को हिंदुओं का साथ नहीं चाहिए

पार्टी स्टार प्रचारक की लिस्ट में नाम न होने पर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “नाराजगी का कोई कारण नहीं है। हो सकता है कांग्रेस को हिंदुओं के समर्थन की जरूरत ना हो या किसी हिंदू धर्म गुरु को स्टार प्रचारक बनाने का जो उद्देश्य होता है, उन्हें उसमें कोई कमी नजर आ रही हो। ये पार्टी का निर्णय है।”

कांग्रेस के कुछ नेताओं के मंदिरों में जाने और बीजेपी द्वारा उन पर धार्मिक पर्यटन का आरोप लगाए जाने पर पार्टी के आचार्य प्रमोद कृष्णम कहते हैं, “मंदिर जाने से कोई हिंदू नहीं बन जाता या सिर्फ मस्जिद में जाने से कोई मुसलमान नहीं बन जाता…।”

 

“मंदिर जाने से कोई हिंदू नहीं बन जाता या मस्जिद में जाने से मुसलमान नहीं बन जाता। जो ईसा मसीह में विश्वास नहीं करता, वह ईसाई नहीं हो सकता। उसी तरह, जो भगवान राम से नफरत करता है, वह हिंदू नहीं हो सकता। दुनिया जानती है कि राम मंदिर निर्माण को रोकने के प्रयासों ने सनातन धर्म में विश्वास करने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इस तथ्य पर कोई पर्दा नहीं है कि भगवान राम से कौन प्रेम करता है या कौन घृणा करता है।”