नई दिल्ली
क्या है मामला: दरअसल, Alpha Inc बायजू की सब्सिडयरी है और इसका कंट्रोल कंपनी के लेंडर्स ने अपने हाथों में ले लिया है। ये वो लेंडर्स हैं जिन्होंने बायजू को कर्ज दिए हैं। लेंडर्स का आरोप है कि कंपनी ने 1.2 बिलियन डॉलर के लोन पर डिफॉल्ट किया था। लोन देने वाले लेंडर्स में रेडवुड इन्वेस्टमेंट्स एलएलसी और सिल्वर पॉइंट कैपिटल एलपी शामिल हैं। लेंडर्स समूह के एक प्रवक्ता ने कहा, "हमें खुशी है कि चांसरी कोर्ट इस बात से सहमत है कि बायजू ने अपने ऋण दायित्वों पर बार-बार चूक की है। लेंडर्स उनके लिए उपलब्ध सभी अधिकार सुरक्षित रखते हैं।"
क्या कहा कोर्ट ने: न्यायाधीश मॉर्गन जर्न ने अपने फैसले में कहा कि डिफॉल्ट की स्थिति में लोन की शर्तों ने उधारदाताओं को गिरवी रखे गए Bjyu के अल्फा शेयरों पर नियंत्रण लेने की अनुमति दी है। लोन डिफॉल्ट को लेकर मुकदमा ग्लास ट्रस्ट कंपनी द्वारा दायर किया गया था, जो लेंडर्स के लिए ट्रस्टी के रूप में कार्य करता है। हालांकि, लोन भुगतान करने की स्थिति में लेंडर्स अपना कंट्रोल हटा भी सकते हैं।
पैसे जुटाने की कोशिश कर रहा बायजू: बता दें कि बायजू अपने समूह की दो कंपनियों- बच्चों पर केंद्रित डिजिटल रीडिंग प्लेटफॉर्म एपिक और उच्च शिक्षा प्लेटफॉर्म ग्रेट लर्निंग को टर्म लोन के री-पेमेंट के लिए तत्काल पैसे जुटाने को बिक्री कर रहा है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार कंपनी अपने एपिक को जोफ्रे कैपिटल लिमिटेड को लगभग 400 मिलियन डॉलर में बेचने के लिए बातचीत कर रही है। माना जा रहा है कि डील फाइनल होने पर बायजू लोन का 300 मिलियन डॉलर तीन महीने के भीतर चुकाने की पेशकश कर सकती है और शेष राशि अगले तीन महीनों में चुकाने की योजना है।