येरेवान
अजरबैजान, तुर्की और पाकिस्तान की खतरनाक तिकड़ी के शिकार आर्मीनिया ने पिनाका रॉकेट सिस्टम के बाद भारत से अब एंटी ड्रोन सिस्टम खरीदा है। आर्मीनिया भारत से यह हथियार ऐसे समय पर खरीदे हैं जब वह नई दिल्ली से सोवियत जमाने के जमाने के हथियारों को अत्याधुनिक बनाने के गुर सीखना चाहता है। आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच शांति वार्ता चल रही है लेकिन यह कब टूट जाए और जंग फिर से भड़क उठे, इसका डर बना हुआ है। इसी खतरे को देखते हुए भारत आर्मीनिया के खरीदे हुए हथियारों प्राथमिकता के आधार पर आपूर्ति कर रहा है।
यूरो एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आर्मीनिया ने भारत में विकसित किए गए जेन एंटी ड्रोन सिस्टम को खरीदने का समझौता किया था। भारतीय वायु सेना ने भी साल 2021 में इसी एंटी ड्रोन सिस्टम को खरीदा था। भारतीय सेना ने 2.27 अरब रुपये में 20 यूनिट एंटी ड्रोन सिस्टम खरीदे हैं। भारतीय वायुसेना को मार्च 2024 में इस एंटी ड्रोन सिस्टम की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। आर्मीनिया ने हैदराबाद की कंपनी जेन टेक्नॉलजी को 340 करोड़ रुपये का ठेका दिया था। इसमें ट्रेनिंग और एंटी ड्रोन सिस्टम शामिल है।
तुर्की के ड्रोन का खतरा, भारत की शरण में आर्मीनिया
रिपोर्ट के मुताबिक जेन का एंटी ड्रोन सिस्टम एक परखी हुई तकनीक है और इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया है। अब भारतीय सेना भी इसे खरीद रही है। आर्मीनिया को अहसास हो गया है कि भारतीय वायुसेना ने इसे तभी खरीदा है जब उसे लगा है कि यह तकनीक कारगर है। जेन का यह एंटी ड्रोन सिस्टम ड्रोन की पहचान करने, वर्गीकरण और निगरानी करने में कारगर है। यह दुश्मन के ड्रोन के संचार को जाम कर देता है। इससे वह या तो भटक जाता है या गिर जाता है।
यह एंटी ड्रोन सिस्टम कई चरणों वाले सेंसर से लैस होता है और ड्रोन हमलों के खिलाफ व्यापक सुरक्षा मुहैया कराता है। आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच नगर्नो कराबाख के युद्ध में पहली बार दुनिया में ड्रोन युद्ध की शुरुआत हुई थी। तुर्की के बायरकतार टीबी-2 ड्रोन ने आर्मीनिया की तोपों और टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए थे। इससे आर्मीनिया को हार स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। बायरकतार टीबी2 ड्रोन को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान के दामाद की कंपनी ने बनाया है। यह ड्रोन 4 लेजर गाइडेड मिसाइलें दागने में सक्षम है। यह करीब 12 घंटे तक हवा में रह सकता है और 900 किमी तक हमला करने में सक्षम है।