नाइजीरिया : इस्लामी विद्रोहियों ने 11 किसानों की हत्या की, खाद्य आपूर्ति को लेकर संकट गहराया
मैदुगुड़ी
नाइजीरिया के उत्तरपूर्व में इस्लामी विद्रोहियों ने 11 किसानों की हत्या कर दी और कई अन्य किसानों को अगवा कर लिया। स्थानीय लोगों और अधिकारियों ने यह जानकारी दी। विश्लेषकों ने ऐसे हमलों की हालिया घटनाओं के मद्देनजर कहा कि ये घटनाएं पहले से ही बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र में खाद्य आपूर्ति को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इलाके के निवासी डौडा इब्राहिम के मुताबिक, विद्रोहियों ने बोरनो राज्य के येरे जिले में अपने खेतों पर काम कर रहे किसानों पर हमला कर दिया और उनके सर कलम कर दिए। फिर वे गोलबारी कर दूसरों को घायल करते हुए भाग गए।
डौडा ने कहा, ”मारे गए किसानों में से करीब छह लोग एक ही परिवार के सदस्य थे।”
बोरनो पुलिस के प्रवक्ता दासो नाहुम ने हमले की पुष्टि की लेकिन यह कहते हुए ज्यादा जानकारी देने से इंकार कर दिया कि हालात का जायजा लेने के लिए पुलिस प्रमुख राज्य के इलाके में मौजूद हैं।
संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुताबिक, इस तरह के हमलों ने संकटग्रस्त क्षेत्र में भुखमरी के खतरे को और बढ़ा दिया है। इस संकटग्रस्त क्षेत्र में 44 लाख लोग पहले से भुखमरी का सामना कर रहे हैं।
बोरनो राज्य में किसानों पर ऐसे हमले अक्सर होते हैं, जहां इस्लामी चरमपंथी विद्रोहियों ने पश्चिमी शिक्षा के खिलाफ लड़ने और क्षेत्र में इस्लामी शरिया कानून स्थापित करने के लिए 2009 में विद्रोह शुरू किया था।
नाइजीरिया में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के अनुसार, बोको हराम समूह और इस्लामिक स्टेट समर्थित एक अलग गुट की हिंसा के कारण कम से कम 35,000 लोग मारे गए हैं और 20 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
2020 में जेरे में एक हमले में 100 से अधिक किसान मारे गए थे और तब से यह सिलसिला जारी है, जिससे कृषि समुदायों के कई लोग सुरक्षा के लिए अन्यत्र जाने को मजबूर हो गए हैं। जब विद्रोही उन पर हमला करते हैं तो वे अक्सर अपर्याप्त सुरक्षा उपस्थिति और सुरक्षा बलों की धीमी प्रतिक्रिया की शिकायत करते हैं।
ईरान में कैद के दौरान भूख हड़ताल पर बैठीं नोबल पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी
दुबई
नोबल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी ने उनके साथ-साथ अन्य कैदियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने से रोकने और देश में महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य किए जाने के विरोध में भूख हड़ताल शुरू की। मानवाधिकार कार्यकर्ता को मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान के सदस्यों ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।
मोहम्मदी (51) के इस फैसले ने उन्हें कैद करने को लेकर ईरान के ‘धर्मतन्त्र’ (धर्म के नाम पर नियम बनाना) पर दबाव बढ़ा दिया है। मोहम्मदी को एक महीने पहले ही, उनके वर्षों पुराने अभियान के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित करने का ऐलान किया गया था। मोहम्मदी ने सरकार के हिजाब अनिवार्य करने के फैसले के खिलाफ अभियान चलाया है, जिसपर ईरान सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।
इस बीच, जेल में कैद एक अन्य कार्यकर्ता अधिवक्ता नसरीन सोतौदेह को भी चिकित्सा सुविधा की जरूरत है लेकिन अभी तक उन्हें मदद नहीं मिली है। नसरीन को एक नाबालिग लड़की के अंतिम संस्कार समारोह में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसकी मौत तेहरान मेट्रो में हिजाब नहीं पहनने की वजह से विवादास्पद हालात में हुई थी।
नरगिस मोहम्मदी को मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान ‘फ्री नरगिस मोहम्मदी’ के एक कार्यकर्ता ने विदेश में रह रहे उनके परिवार के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि नरगिस ने सोमवार को एविन जेल से एक संदेश भेजकर अपने परिवार को सूचित किया है कि उन्होंने कई घंटों पहले भूख हड़ताल शुरू कर दी है।
बयान के मुताबिक, ”मोहम्मदी और उनके वकील कई सप्ताह से उन्हें (नरगिस) ह्रदय और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं के लिए किसी विशेषज्ञ अस्पताल में भर्ती कराए जाने की मांग कर रहे हैं। ”
कुछ दिन पहले मोहम्मदी के परिवार ने बताया कि उनकी तीन नसें अवरुद्ध हैं और फेफड़ों में भी समस्या है। इसके बावजूद जेल अधिकारियों ने हिजाब पहनने से मना करने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने से इंकार कर दिया।
बयान के मुताबिक, ”नरगिस दो चीजों के विरोध में आज (सोमवार) से भूख हड़ताल पर हैं। पहली, बीमार कैदियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में विलंब और उन्हें सुविधा प्रदान नहीं करने की ईरान की नीति, जिसके परिणामस्वरूप लोगों की मौत हो रही है। दूसरी, ईरानी महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य करने की नीति।”
बयान में कहा गया है, ‘‘अगर हमारी प्रिय नरगिस को कुछ भी होता है तो इस्लामिक राष्ट्र उसके लिए जिम्मेदार होगा। मोहम्मदी सिर्फ पानी, चीनी और नमक ले रही हैं । उन्होंने दवाइयां लेने से इंकार कर दिया है।’’
नरगिस मोहम्मदी को शांति पुरस्कार से सम्मानित करने वाली नॉर्वे की नोबल समिति ने उनके स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। समिति के प्रमुख बेरित रीज एंडरसन ने कहा ‘‘महिला बंदियों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए हिजाब की अनिवार्यता अमानवीय और नैतिक रूप से अस्वीकार्य है। नरगिस ने स्थिति की गंभीरता बताने के लिए अनशन शुरू किया है। नार्वे नोबेल समिति ईरान के प्रशासन से नरगिस और अन्य महिला बंदियों को तत्काल आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने का अनुरोध करती है।’’
केन्या-सोमालिया में भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ में 40 लोगों की मौत, हजारों लोग विस्थापित
नैरोबी
केन्या और सोमालिया में भारी बारिश व अचानक आई बाढ़ में कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई और दस हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। राहत एवं बचाव एजेंसियों ने यह जानकारी दी।
सोमालिया में संघीय सरकार ने बिगड़े मौसम से हुई तबाही के बाद राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की। सोमालिया में आपदा की वजह से कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई और बड़ी संख्या में मकान, सड़कें और पुल तबाह हुए हैं। आपात एवं बचाव कर्मी दक्षिणी सोमालिया के जुबालैंड राज्य के लुक जिले में बाढ़ के पानी में फंसे करीब 2400 लोगों तक पहुंच बनाने के प्रयास में जुटे हैं।
मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने जुबा और शबेले नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को बाढ़ की चेतावनी दी और सभी लोगों को वहां से निकालने का आदेश दिया।
एजेंसी के प्रबंध निदेशक हसन इस्से ने द एसोसिएटेड प्रेस को बताया, ”सोमालिया आपदा प्रबंधन एजेंसी संकट से निपटने के लिए सुचारू रूप से काम कर रही है और लोगों को बाहर निकलाने में मदद करने के लिए उसने डोलो के वास्ते एक विमान को रवाना करने, किसमायो से लुक तक दो नाव और बारधीरे तक एक नाव भेजने की योजना बनाई है।”
हसन ने बताया, ”अगले कुछ दिनों में मौजूदा बाढ़ की स्थिति और बिगड़ने की संभावना है क्योंकि ऊंचाई पर स्थित इथियोपियाई हाइलैंड्स से ज्यादा पानी नीचे की ओर आ सकता है।” सोमालिया में लगातार चार वर्षों तक पड़े सूखे के बाद इस साल हुई भारी बारिश ने देश को अकाल के कगार पर ला खड़ा किया है।
पड़ोसी देश केन्या में केन्या रेड क्रॉस ने बताया कि शुरू हुई भारी बारिश से अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है। रेड क्रॉस के मुताबिक, केन्या का बंदरगाह शहर मोम्बासा, उत्तरपूर्वी शहर मंदेरा और वजीर भारी बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले शहर हैं।
केन्या रेड क्रॉस ने बताया कि अचानक आई बाढ़ ने 241 एकड़ कृषि भूमि को नष्ट कर दिया और 1067 जानवरों की मौत हो गई।
केन्या के मौसम विभाग ने सितंबर में चेतावनी दी थी कि अक्टूबर और दिसंबर के बीच आमतौर पर कुछ दिनों तक होने वाली वर्षा इस बार पहले के मुकाबले काफी ज्यादा होगी।