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’70 की उम्र में हौसले की उड़ान’: तिरंगा थामे पैदल निकल पड़ते हैं अख्तर, मतदान के लिए युवाओं को कर रहे जागरूक

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रायपुर.

छत्तीसगढ़ चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगा दी हैं। आरोप-प्रत्यारोप की सियासत हो रही है। राजनीति गरमाई हुई है। चुनाव के दौर में रायपुर में अमर उजाला की एक ऐसे शख्स से मुलाकात हुई, जो दोनों हाथों से दिव्यांग हैं, इसके बावजूद 70 की उम्र में तिरंगा थामे सुबह-सुबह पैदल निकल पड़ते हैं। मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए झंडा लेकर पूरे देश-प्रदेश का भ्रमण कर चुके हैं। अपने शर्ट पर वोटिंग करने के लिए पोस्टर लगाकर लोगों से अपील कर रहे हैं।

जम्मू कश्मीर के लाल चौक पर झंडा लहराने वाले रायपुर के अख्तर हुसैन लोगों को मतदान करने के लिए जागरुक कर रहे हैं। उन्होंने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि वह 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके युवाओं को मतदान के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें जागरूक करते हैं। दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद उनके हौसले बुलंद हैं। मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने में उन्हें आनंद मिलता है। लोग जब उनके फोटो लेते हैं, तो उन्हें भारी खुशी मिलती है। साल 2018 से लोगों को जागरूक करने के लिए बीड़ा उठाया है। पूरे देश-प्रदेश में मतदान करने के लिए संदेश दे रहे हैं। वो कोलकाता को छोड़कर देश के बाकी महानगरों में पैदल में ही घूमकर लोगों को जगारूक कर रहे हैं।

साल 2018 में उन्होंने लोगों को जागरूक करने के लिए अपने इस अभियान की शुरुआत की। कोरोना काल में भी चुनाव और कोरोना के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाई। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश समेत कई जगहों का भ्रमण कर लोगों को मतदान करने का संदेश दे रहे हैं। देश में जहां-जहां भी चुनाव होते हैं, वहां-वहां वह लोगों को जागरूक करने के लिए पहुंच जाते हैं। उनके इस कार्य के लिए अभी तक निर्वाचन आयोग से कोई सहयोग नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि वो दोनों हाथों से दिव्यांग हैं। इसके इलाज के लिए राजनीतिक दलों से कई बार फरियाद लगा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, रायपुर के महापौर एजाज ढेबर से भी इलाज कराने के लिए कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सभी ने सिर्फ आश्वासन दिया। अभी तक उन्हें किसी प्रकार का कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिला है। आर्थिक तंगी होने से उन्होंने रायपुर के मेकाहारा में इलाज कराया, लेकिन वहां भी ठीक नहीं हो पाया उल्टे केस को और बिगाड़ दिया गया। पैसे की कमी होने की वजह से वह प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज नहीं करा पाए। अख्तर ने कहा कि वह अब वह इलाज नहीं करवाएंगे और नेताओं से भी मदद की कोई उम्मीद नहीं रखते हैं। वह अपनी इसी जिंदगी से खुश हैं। इसके अलावा वह युवाओं को नशे के नशे के खिलाफ भी जागरूक कर रहे हैं।